किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक अहम भूमिका निभाता है। किडनी का मुख्य कार्य रक्त को फिल्टर करना है और अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से हटाकर इलेक्ट्रोलाइट्स और ब्लड प्रेशर जैसे आवश्यक कारकों को नियंत्रित करना है। किडनी खराब होने की समस्या समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है। यही कारण है कि अक्सर शुरुआती चरणों में किडनी खराब होने के लक्षण उत्पन्न ही नहीं होते हैं। 

जैसे-जैसे किडनी की कार्य करने की क्षमता कम होती है, लक्षण अधिक स्पष्ट होने लगते हैं। जब तक लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तब तक किडनी को अपरिवर्तनीय नुकसान हो जाता है। इसलिए समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए किडनी की विफलता के शुरुआती लक्षणों को पहचानना आवश्यक होता है और सही समय पर एक श्रेष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट (Nephrologists) से भी मिलने का सुझाव दिया जाता है।

किडनी की बीमारी का पता लगाने वाला एक सरल रक्त परीक्षण क्रिएटिनिन परीक्षण है। मांसपेशियों की कोशिकाओं के सामान्य टूटने से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पाद है। स्वस्थ गुर्दे रक्त से क्रिएटिनिन को छानकर मूत्र में डाल देते हैं। यदि गुर्दे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, तो क्रिएटिनिन रक्त में जमा हो जाता है।



किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण


किडनी खराब होने पर पेशेंट को निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है - 

  • बार-बार पेशाब आना: किडनी की समस्याओं के शुरुआती लक्षणों में बार-बार पेशाब आना एक मुख्य लक्षण है। पेशेंट इस समस्या का सामना सबसे ज्यादा रात में ही करते हैं। 
  • कम पेशाब आना: दूसरी ओर कुछ लोगों को कम पेशाब आता है, जिसका सीधा संबंध किडनी की समस्या से होता है।
  • मूत्र में रक्त (हेमाट्यूरिया): मूत्र में रक्त का मिलना विभिन्न किडनी रोग का संकेत देता है। इस स्थिति को चिकित्सा भाषा में हेमाट्यूरिया (Hematuria) भी कहा जाता है।
  • प्रोटीनुरिया (Proteinuria): स्वस्थ किडनी का कार्य अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फिल्टर करना है। इसके साथ-साथ किडनी शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन को शरीर में ही रहने देते हैं। हालांकि, किडनी की बीमारी के शुरुआती चरणों में मूत्र में प्रोटीन का रिसाव हो सकता है, जिसे प्रोटीनूरिया कहा जाता है। 
  • सूजन: किडनी खराब होने से शरीर में नमक और पानी जमा होने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में सूजन होने लगती है। विशेष रूप से खराब किडनी की स्थिति में टखनों, पैरों और चेहरे पर सूजन दिखने लग जाती है। यह सूजन सुबह के समय अधिक देखने को मिलती है।
  • थकान और कमजोरी: जब किडनी सही से काम नहीं कर पाती है, तो इसके कारण शरीर में हानिकारक पदार्थ जमा होने लग जाते हैं। इसके कारण थकान, कमजोरी और ऊर्जा में कमी देखने को मिलती है।
  • हाई ब्लड प्रेशर: किडनी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान हो जाता है, तो ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और किडनी डैमेज होने की शुरुआत हो जाती है। 
  • पीठ दर्द: किडनी की समस्या में पीठ दर्द तो होता ही है, लेकिन इसकी तीव्रता और स्थान अलग-अलग होते हैं। 
  • भूख और स्वाद में बदलाव: किडनी रोग के प्रारंभिक चरण में रोगी को मुंह में धातु जैसा स्वाद या भूख की कमी का अनुभव होता है।
  • रूखी और खुजलीदार त्वचा: जब किडनी रक्त से हानिकारक पदार्थों को हटाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, तो इसके कारण वह पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं, जिसके कारण सूखापन और खुजली सहित त्वचा की अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। 
  • मतली और उल्टी: जैसे ही हानिकारक पदार्थ रक्त में जमा होने लगते हैं, इसके कारण रोगी को मतली और उल्टी का सामना करना पड़ता है। यह समस्या अक्सर सुबह देखने को मिलती है।
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: किडनी जब अपना सामान्य काम नहीं कर पाती है, तो इसके कारण दिमाग को भी अपना सामान्य काम करने में समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके कारण ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत तो होती ही है, इसके साथ-साथ व्यक्ति को चीजों को याद रखने में भी समस्या आती है। 

किडनी खराब होने के लक्षण और उपाय किसी को भी समय रहते उचित इलाज प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए लक्षण दिखने पर तुरंत एक अनुभवी और श्रेष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर (किडनी के डॉक्टर) से मिलें।



निष्कर्ष

किडनी डैमेज होना एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है, जो धीरे-धीरे विकसित होती है, और अक्सर शुरुआती चरणों में ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए किडनी की विफलता के शुरुआती लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है। शुरुआती सामान्य लक्षणों में पेशाब में बदलाव, पेशाब में खून, पेशाब में प्रोटीन, सूजन, थकान, हाई ब्लड प्रेशर, पीठ दर्द, भूख और स्वाद में बदलाव, शुष्क त्वचा और खुजली वाली त्वचा, मतली, उल्टी, अस्पष्टीकृत वजन कम होना और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई शामिल है। 

अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं या उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में आते हैं, तो तुरंत नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श से मिलें । शीघ्र हस्तक्षेप से किडनी की बीमारी का प्रबंधन आसान हो जाता है। याद रखें कि नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली किडनी की समस्याओं को रोकने और आपके किडनी को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।