घर पर किडनी की सेहत कैसे चेक करें?

 घर पर किडनी की सेहत जांचने के लिए, आप मूत्र परीक्षण कर सकते हैं, जो प्रोटीन, रक्त या ग्लूकोज की उपस्थिति का पता लगा सकता है, जो किडनी की समस्याओं के संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा, आप एल्बुमिन होम टेस्ट किट या स्मार्टफोन-सक्षम होम यूरिनलिसिस डिवाइस का उपयोग कर सकते हैं।

  • सरल मूत्र परीक्षण: आमतौर पर मूत्र में एल्ब्यूमिन मौजूद नहीं होता है। यह परीक्षण किट सुविधाजनक है और एल्ब्यूमिन्यूरिया का सटीक निदान कर सकता है
    (मूत्र में एल्ब्यूमिन की उपस्थिति), जो किडनी की क्षति का संकेत है। एक व्यक्ति एल्ब्यूमिन्यूरिया की सीमा का रिकॉर्ड रख सकता है और उसके अनुसार डॉक्टर से मिलने की योजना बना सकता है।

    गुर्दे के 8 प्रमुख कार्य 

  • इलेक्ट्रोलाइट्स
  • अपशिष्ट उत्पादों का उत्सर्जन
  • बनाए रखने के लिए अतिरिक्त द्रव को निकालनाइलेक्ट्रोलाइट
  • का निष्कासनड्रग्स
  • रसायनों का संतुलन बनाए रखें
  • रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन जारी करें
  • के सक्रिय रूप का उत्पादनविटामिन डी
  • लाल रक्त कोशिका उत्पादन को नियंत्रित करता है

    गुर्दे के प्राथमिक कार्यों में शामिल हैं:

    अपशिष्ट और विष को हटाना: गुर्दे रक्त को छानते हैं, चयापचय से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों, जैसे यूरिया और क्रिएटिनिन को हटाते हैं, और उन्हें मूत्र में उत्सर्जित करते हैं। वे अतिरिक्त दवाओं और विषाक्त पदार्थों को भी हटाते हैं जो शायद अंतर्ग्रहण या अवशोषित हो गए हों।

    किडनी की कार्यप्रणाली की जांच करना क्यों महत्वपूर्ण है?

    किडनी की बीमारियों से कई तरह की जटिलताएँ हो सकती हैं, जिनमें उच्च रक्तचाप, एनीमिया, कमज़ोर हड्डियाँ और तंत्रिका क्षति शामिल हैं। अगर इलाज न कराया जाए, तो किडनी की बीमारियाँ किडनी फेलियर का कारण बन सकती हैं, जिसके लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है। समय रहते पता लगाने और उचित प्रबंधन से किडनी की बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए, नियमित रूप से अपने किडनी फंक्शन की जाँच करना ज़रूरी है, खासकर अगर आपके परिवार में किडनी की समस्याओं का इतिहास रहा हो या आप मधुमेह या उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित हों।


    घर पर किडनी की कार्यप्रणाली की जांच कैसे करें?

    घर पर किडनी की कार्यप्रणाली की जांच करने के कई तरीके हैं। ये तरीके आपकी किडनी के स्वास्थ्य की निगरानी करने और किसी भी असामान्यता का जल्द पता लगाने में आपकी मदद कर सकते हैं। हालाँकि, व्यापक मूल्यांकन और उचित निदान के लिए किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श करना आवश्यक है।

  • मूत्र परीक्षण
  • घर पर किडनी के स्वास्थ्य की जांच करने का एक सरल तरीका मूत्र परीक्षण करना है। ये परीक्षण मूत्र में प्रोटीन, रक्त या ग्लूकोज की उपस्थिति का पता लगा सकते हैं - ये सभी गुर्दे की समस्याओं के संकेतक हो सकते हैं। आप अपने स्थानीय फार्मेसी या ऑनलाइन से मूत्र परीक्षण स्ट्रिप्स खरीद सकते हैं। परीक्षण करने के लिए, परीक्षण स्ट्रिप्स के साथ दिए गए निर्देशों का पालन करें। स्ट्रिप पर रंग परिवर्तन यह संकेत देगा कि आपके मूत्र में कोई असामान्यता है या नहीं। यदि आपको कोई असामान्य परिणाम दिखाई देता है, तो आगे के मूल्यांकन के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

    • रक्तचाप की निगरानी

    उच्च रक्तचाप गुर्दे की बीमारी का एक कारण और लक्षण दोनों है। नियमित रूप से अपने रक्तचाप की निगरानी करने से आपको अपने गुर्दे के स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी समस्या की पहचान करने में मदद मिल सकती है। आप किसी फार्मेसी या ऑनलाइन से ब्लड प्रेशर मॉनिटर खरीद सकते हैं और घर पर अपना रक्तचाप जांच सकते हैं। सटीक रीडिंग के लिए दिशा-निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें, जैसे कि आराम की स्थिति में बैठना और अपने हाथ को हृदय के स्तर पर रखना। यदि आपको लगातार उच्च रक्तचाप की रीडिंग मिलती है, तो आगे के मूल्यांकन और प्रबंधन के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।


    • लक्षणों पर नज़र रखें

    किडनी रोग के सामान्य लक्षणों के बारे में जानकारी होने से आपको किसी भी समस्या का पहले ही पता लगाने में मदद मिल सकती है। कुछ संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:

    • टखनों, पैरों या हाथों में सूजन
    • थकान और कमजोरी
    • पेशाब की आवृत्ति और मात्रा में परिवर्तन
    • झागदार या खून वाला मूत्र
    • समुद्री बीमारी और उल्टी
    • लगातार खुजली
    • सांस लेने में कठिनाई
    • भूख में कमी
    • नींद न आना

    यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो आगे के मूल्यांकन और प्रबंधन के लिए किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लें।

    कैसे पता चलेगा कि किडनी खराब है?

     किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक अहम भूमिका निभाता है। किडनी का मुख्य कार्य रक्त को फिल्टर करना है और अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से हटाकर इलेक्ट्रोलाइट्स और ब्लड प्रेशर जैसे आवश्यक कारकों को नियंत्रित करना है। किडनी खराब होने की समस्या समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है। यही कारण है कि अक्सर शुरुआती चरणों में किडनी खराब होने के लक्षण उत्पन्न ही नहीं होते हैं। 

    जैसे-जैसे किडनी की कार्य करने की क्षमता कम होती है, लक्षण अधिक स्पष्ट होने लगते हैं। जब तक लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तब तक किडनी को अपरिवर्तनीय नुकसान हो जाता है। इसलिए समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए किडनी की विफलता के शुरुआती लक्षणों को पहचानना आवश्यक होता है और सही समय पर एक श्रेष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट (Nephrologists) से भी मिलने का सुझाव दिया जाता है।

    किडनी की बीमारी का पता लगाने वाला एक सरल रक्त परीक्षण क्रिएटिनिन परीक्षण है। मांसपेशियों की कोशिकाओं के सामान्य टूटने से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पाद है। स्वस्थ गुर्दे रक्त से क्रिएटिनिन को छानकर मूत्र में डाल देते हैं। यदि गुर्दे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, तो क्रिएटिनिन रक्त में जमा हो जाता है।



    किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण


    किडनी खराब होने पर पेशेंट को निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है - 

    • बार-बार पेशाब आना: किडनी की समस्याओं के शुरुआती लक्षणों में बार-बार पेशाब आना एक मुख्य लक्षण है। पेशेंट इस समस्या का सामना सबसे ज्यादा रात में ही करते हैं। 
    • कम पेशाब आना: दूसरी ओर कुछ लोगों को कम पेशाब आता है, जिसका सीधा संबंध किडनी की समस्या से होता है।
    • मूत्र में रक्त (हेमाट्यूरिया): मूत्र में रक्त का मिलना विभिन्न किडनी रोग का संकेत देता है। इस स्थिति को चिकित्सा भाषा में हेमाट्यूरिया (Hematuria) भी कहा जाता है।
    • प्रोटीनुरिया (Proteinuria): स्वस्थ किडनी का कार्य अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फिल्टर करना है। इसके साथ-साथ किडनी शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन को शरीर में ही रहने देते हैं। हालांकि, किडनी की बीमारी के शुरुआती चरणों में मूत्र में प्रोटीन का रिसाव हो सकता है, जिसे प्रोटीनूरिया कहा जाता है। 
    • सूजन: किडनी खराब होने से शरीर में नमक और पानी जमा होने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में सूजन होने लगती है। विशेष रूप से खराब किडनी की स्थिति में टखनों, पैरों और चेहरे पर सूजन दिखने लग जाती है। यह सूजन सुबह के समय अधिक देखने को मिलती है।
    • थकान और कमजोरी: जब किडनी सही से काम नहीं कर पाती है, तो इसके कारण शरीर में हानिकारक पदार्थ जमा होने लग जाते हैं। इसके कारण थकान, कमजोरी और ऊर्जा में कमी देखने को मिलती है।
    • हाई ब्लड प्रेशर: किडनी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान हो जाता है, तो ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और किडनी डैमेज होने की शुरुआत हो जाती है। 
    • पीठ दर्द: किडनी की समस्या में पीठ दर्द तो होता ही है, लेकिन इसकी तीव्रता और स्थान अलग-अलग होते हैं। 
    • भूख और स्वाद में बदलाव: किडनी रोग के प्रारंभिक चरण में रोगी को मुंह में धातु जैसा स्वाद या भूख की कमी का अनुभव होता है।
    • रूखी और खुजलीदार त्वचा: जब किडनी रक्त से हानिकारक पदार्थों को हटाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, तो इसके कारण वह पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं, जिसके कारण सूखापन और खुजली सहित त्वचा की अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। 
    • मतली और उल्टी: जैसे ही हानिकारक पदार्थ रक्त में जमा होने लगते हैं, इसके कारण रोगी को मतली और उल्टी का सामना करना पड़ता है। यह समस्या अक्सर सुबह देखने को मिलती है।
    • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: किडनी जब अपना सामान्य काम नहीं कर पाती है, तो इसके कारण दिमाग को भी अपना सामान्य काम करने में समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके कारण ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत तो होती ही है, इसके साथ-साथ व्यक्ति को चीजों को याद रखने में भी समस्या आती है। 

    किडनी खराब होने के लक्षण और उपाय किसी को भी समय रहते उचित इलाज प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए लक्षण दिखने पर तुरंत एक अनुभवी और श्रेष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर (किडनी के डॉक्टर) से मिलें।



    निष्कर्ष

    किडनी डैमेज होना एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है, जो धीरे-धीरे विकसित होती है, और अक्सर शुरुआती चरणों में ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए किडनी की विफलता के शुरुआती लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है। शुरुआती सामान्य लक्षणों में पेशाब में बदलाव, पेशाब में खून, पेशाब में प्रोटीन, सूजन, थकान, हाई ब्लड प्रेशर, पीठ दर्द, भूख और स्वाद में बदलाव, शुष्क त्वचा और खुजली वाली त्वचा, मतली, उल्टी, अस्पष्टीकृत वजन कम होना और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई शामिल है। 

    अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं या उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में आते हैं, तो तुरंत नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श से मिलें । शीघ्र हस्तक्षेप से किडनी की बीमारी का प्रबंधन आसान हो जाता है। याद रखें कि नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली किडनी की समस्याओं को रोकने और आपके किडनी को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    किडनी सिकुड़ जाए तो क्या होगा?

     किडनी एट्रोफी का मतलब है किडनी का छोटा होना। इसके कई कारण हैं। एक या दोनों किडनी प्रभावित हो सकती हैं।अगर किडनी एट्रोफी में एक किडनी (एकतरफा) शामिल है और दूसरी किडनी प्रभावित नहीं है, तो कुछ या कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं हो सकती है। हालांकि, अगर दोनों किडनी प्रभावित हैं (द्विपक्षीय) तो किडनी एट्रोफी क्रोनिक किडनी रोग का कारण बन सकती है। क्रोनिक किडनी रोग अंततः किडनी फेलियर का कारण बन सकता है।

    इससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ने लगता है, जिससे आपकी किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में शुगर से भरपूर ड्रिंक्स, मसाले आदि खाने से बचें। 2) कम पानी पीना - शरीर में पानी कम जाने से न सिर्फ आप डिहाइड्रेट होने लगेंगे, बल्कि शरीर के अन्य अंग भी ठीक से काम नहीं करेंगे।


    किडनी एट्रोफी के बारे में

    किडनी एट्रोफी (जिसे एट्रोफिक किडनी या रीनल एट्रोफी भी कहा जाता है) का मतलब है कि किडनी औसत से छोटी है। किडनी आमतौर पर मुट्ठी के आकार या 10 से 12 सेमी (लगभग 5 इंच) के बराबर होती है। किडनी एट्रोफी एकल (एक किडनी) या द्विपक्षीय (दोनों किडनी) हो सकती है।

    किडनी शोष गुर्दे में रक्त की कम आपूर्ति और/या नेफ्रॉन की कमी के कारण हो सकता है, जो किडनी की बुनियादी कार्य इकाई है। किडनी में दीर्घकालिक संक्रमण या रुकावट के कारण भी किडनी शोष हो सकता है। किडनी हाइपोप्लेसिया (जिसे रीनल हाइपोप्लेसिया भी कहा जाता है) से पीड़ित व्यक्ति का जन्म छोटी किडनी के साथ होता है।


    संकेत और लक्षण

    कभी-कभी किडनी एट्रोफी के कोई लक्षण नहीं होते, खासकर यदि इसका कारण धीरे-धीरे और कई वर्षों तक बना रहे।

    गुर्दे की शोष के कुछ लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

    • पेशाब करते समय दर्द होना
    • पेट या पार्श्व भाग (साइड और पीठ) में दर्द
    • मूत्र में रक्त
    • अधिक बार पेशाब आना
    • थकान महसूस होना (थकान)
    • भूख में कमी
    • खुजली वाली त्वचा
    • गुर्दे के क्षेत्र में सामान्य असुविधा
    • मांसपेशियों में ऐंठन
    • हाथ और पैरों में सूजन


    कारण

    गुर्दे की शोषता निम्नलिखित कारणों से हो सकती है:

    • अवरुद्ध गुर्दे की धमनी (जिसे गुर्दे की धमनी स्टेनोसिस के रूप में जाना जाता है): गुर्दे को रक्त की आपूर्ति करने वाली मुख्य धमनियों को अवरुद्ध करता है, जो वसा जमा या रक्त के थक्कों के कारण धमनियों के सख्त होने के कारण हो सकता है
    • अवरुद्ध मूत्र पथ: मूत्र के सामान्य प्रवाह को अवरुद्ध करता है जिससे गुर्दे पर दबाव पड़ता है और नेफ्रोन को नुकसान पहुंचता है
    • गुर्दे की पथरी: अनुपचारित गुर्दे की पथरी गुर्दे में रुकावट पैदा कर सकती है
    • लंबे समय तक चलने वाला किडनी संक्रमण (पाइलोनेफ्राइटिस): किडनी में संक्रमण। आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है। यह मूत्राशय या मूत्र पथ के संक्रमण से शुरू होता है और किडनी तक पहुँच जाता है
    • गुर्दे की स्वप्रतिरक्षी बीमारियाँ: एक दीर्घकालिक स्थिति जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली गुर्दे पर हमला करती है

    जटिलताओं

    अगर किडनी एट्रोफी में एक किडनी (एकतरफा) शामिल है और दूसरी किडनी प्रभावित नहीं है, तो कुछ या कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं हो सकती है। हालांकि, अगर दोनों किडनी प्रभावित हैं (द्विपक्षीय) तो किडनी एट्रोफी क्रोनिक किडनी रोग का कारण बन सकती है ।

    क्रोनिक किडनी रोग अंततः किडनी फेलियर का कारण बन सकता है । किडनी फेलियर वाले लोगों को जीवित रहने के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होगी।



    किडनी सिकुड़ने के कारण

    1) जरूरत से ज्यादा शुगर खाना - जिन लोगों को मीठा ज्यादा पसंद होता है। वे जरूरत से ज्यादा शुगर का सेवन कर लेते हैं। इससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ने लगता है, जिससे आपकी किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में शुगर से भरपूर ड्रिंक्स, मसाले आदि खाने से बचें।

    2) कम पानी पीना - शरीर में पानी कम जाने से न सिर्फ आप डिहाइड्रेट होने लगेंगे, बल्कि शरीर के अन्य अंग भी ठीक से काम नहीं करेंगे। पानी पीने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने लगते हैं। इससे किडनी में मौजूद पथरी भी यूरिन के जरिए बाहर निकल सकती है, लेकिम वहीं कम पानी पीने से किडनी सिकुड़ने लगती है।

    3) ज्यादा नमक का सेवन करना - कुछ लोगों को ज्यादा नमक खाने की आदत होती है। इस आदत को तुरंत बदल लेना चाहिए, क्योंकि ज्यादा नमक का सेवन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। इसके लिए आप पैक्ड और पैकेज्ड फूड्स न लें।

    4) नॉनवेज खाना - ज्यादा नॉनवेज खाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। वैसे तो शरीर को प्रोटीन की जरूरत होती है, जिसे पूरा करने के लिए नॉनवेज की जगह फल और सब्जियां चुनना ठीक रहता है। ऐसे में जरूरत से ज्यादा नॉनवेज खाने से किडनी सिकुड़न की शिकायत हो सकती है।

    तो जैसा कि आपने जाना कि क्या किडनी सिकुड़ना खतरनाक है? ऐसे में अगर आपको भी ये आदतें हैं, तो तुरंत बदल लें वरना ये आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।



    किडनी को स्वस्थ रखने और रोगों से बचाने के लिए टिप्स

     अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और किडनी से संबंधित विकारों को रोकने के लिए किडनी की देखभाल करना आवश्यक है। किडनी की देखभाल के लिए कुछ सरल स्टेप्स का पालन करना होता है जैसे, अधिक पानी पीना, संतुलित आहार खाना, अत्यधिक शराब के सेवन से बचना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है।

    लेकिन क्या हो अगर आपको पहले से ही किडनी से संबंधित विकार है? तो आप निश्चिंत रहें बंसल अस्पताल, विशेषज्ञ देखभाल के लिए सर्वश्रेष्ठ अस्पताल है। इसके स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर किडनी से संबंधित कई विकारों के इलाज में अत्यधिक प्रशिक्षित और अनुभवी हैं।


    क्यों है किडनी की देखभाल ज़रूरी 

    किडनी कई कार्यों को करने वाला एक आवश्यक अंग हैं, जैसे रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त फ्लूइड को फ़िल्टर करना, रक्तचाप को नियंत्रित करना, इलेक्ट्रोलाइट स्तर को संतुलित करना और रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करने वाले हार्मोन का उत्पादन करना। उनके आवश्यक कार्यों को देखते हुए, किडनी की देखभाल के महत्व को समझना और अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय करना महत्वपूर्ण है।


    सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, किडनी की उचित देखभाल किडनी रोगों के विकास को रोकने में मदद करती है। मधुमेह सहित कई कारक उच्च रक्तचाप, और कुछ दवाएं, किडनी डैमेज को बढ़ा सकती हैं।


    एक स्वस्थ जीवन शैली और नियमित चिकित्सा जांच को अपनाकर, व्यक्ति संभावित जोखिम कारकों की पहचान कर सकते हैं और इन स्थितियों को प्रभावी ढंग से रोकने या प्रबंधित करने के लिए उचित कदम उठा सकते हैं। किडनी के कार्य को बनाए रखने और अपरिवर्तनीय डैमेज को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और उपचार करना महत्वपूर्ण है।


    शरीर में किडनी के कार्य 

    शरीर के स्वास्थ्य और संतुलन को सुनिश्चित करने के लिए किडनी महत्वपूर्ण हैं। यहाँ किडनी के कुछ कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है:

        अपशिष्ट निकलना: किडनी का प्राथमिक कार्य रक्त से अपशिष्ट उत्पादों, विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त पदार्थों को फ़िल्टर करना होता है।

        फ्लूइड बैलेंस: किडनी रक्तप्रवाह में इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी, जैसे पोटेशियम, सोडियम और कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करके शरीर के फ्लूइड बैलेंस को नियंत्रित करने में मदद करती है।

        एसिड बेस संतुलन: किडनी शरीर के एसिड बेस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसे PH भी कहा जाता है।

        रक्तचाप संतुलन: किडनी रेनिन नामक हार्मोन का उत्पादन करके रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करती है।

        रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन: क्या आप जानते हैं कि किडनी एरिथ्रोपोइटीन का उत्पादन करती है, एक हार्मोन जो बोन मेरो को रेड ब्लड सेल्स को बनाने रखने में मदद करता है। 

        विटामिन D सक्रियण: किडनी विटामिन D को सक्रिय करती है, कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करती है। किडनी इनएक्टिव विटामिन D को उसके सक्रिय रूप में परिवर्तित करती है, जो शरीर में कैल्शियम के उचित स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं।

        ब्लड फिल्ट्रेशन: अपशिष्ट उत्पादों को हटाने और समग्र रक्त की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किडनी प्रत्येक दिन लगभग 120-150 लीटर रक्त को फ़िल्टर करती है।



    किडनी की सामान्य समस्याएं

    यहाँ किडनी की कुछ सामान्य समस्याएं दी गयी हैं जो हैं:

        किडनी स्टोन 

        यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण (यूटीआई)

        किडनी में संक्रमण (पायलोनेफ्राइटिस)

        क्रोनिक किडनी डिसीज़ (CKD)

        एक्यूट किडनी इंजरी (AKI)

        ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस

        पॉलीसिस्टिक किडनी डिसीज़ (PKD)

        किडनी कैंसर

        नेफ्रोटिक सिंड्रोम

        रीनल आर्टरी स्टेनोसिस


    किडनी को स्वस्थ रखने और रोगों से बचाने के लिए टिप्स 


    यहाँ किडनी स्वास्थ्य के लिए कुछ सरल युक्तियाँ दी गई हैं:

    1. हाइड्रेटेड रहें


    स्वस्थ किडनी को बनाए रखने के लिए उचित हाइड्रेशन आवश्यक है। पर्याप्त पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को निकालने में मदद मिलती है, जिससे किडनी स्टोन  बनने  का जोखिम कम हो जाता है। रोज़ाना 8-10 गिलास पानी पीना किडनी के फंक्शन के लिए उपयुक्त होता है।

    2. स्वस्थ आहार का पालन करें


    किडनी की उचित देखभाल के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार बनाए रखना आवश्यक है। फलों, सब्ज़ियों, होल ग्रेन, लीन प्रोटीन और हैल्दी फैट जैसे एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, उच्च-सोडियम स्नैक्स, शुगर युक्त पेय और अत्यधिक रेड मीट को सीमित करना या उससे बचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये सभी किडनी को नुकसान पहुँचा सकते हैं और किडनी से संबंधित समस्याओं को जन्म दे सकता है।

    3. नमक का सेवन सीमित करें


    अत्यधिक नमक का सेवन उच्च रक्तचाप (BP) का प्रमुख कारण बनता है, किडनी की बीमारी से बचने के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक प्रोसेस्ड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों से परहेज करके अपने नमक का सेवन सीमित करें, जिनमें अक्सर उच्च मात्रा में सोडियम होता है।

    4. धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें


    किडनी विकारों के प्राथमिक कारणों में से एक धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन है। धूम्रपान किडनी में रक्त के प्रवाह को कम कर देता है और समय के साथ उनके कार्य को खराब करता है। इसी तरह, अत्यधिक शराब का सेवन डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है और किडनी को नुकसान पहुँचा सकता है।


    5. नियमित व्यायाम करें


    नियमित शारीरिक गतिविधि आपके शरीर को फिट रखती है और किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ाती है। व्यायाम गंभीर स्थितियों, जैसे कि मधुमेह, एनीमिया और उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने में मदद करता है, जो कि किडनी को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। नियमित व्यायाम रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और वज़न को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

    6. तनाव का प्रबंधन करें


    किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना महत्वपूर्ण है। तनाव से आपकी किडनी सहित आपके समग्र स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। मानसिक तनाव को प्रबंधित करने के स्वस्थ तरीके खोजें, जैसे विश्राम तकनीकों का अभ्यास करना, मनचाहे कार्यों में संलग्न होना, दोस्तों के साथ समय बिताना या पेशेवर मदद लेना।  

    7. रक्तचाप को नियंत्रित करें


    उच्च रक्तचाप, किडनी की बीमारी का एक प्रमुख कारण है। अपने BP की नियमित रूप से मॉनिटर करें और इसे स्वस्थ सीमा के भीतर रखने के लिए कदम उठाएं, जिसमें कम सोडियम वाला आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना, तनाव का प्रबंधन करना और आवश्यक दवाएं लेना शामिल है। व्यक्तिगत सलाह के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें।

    8. ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करें


    यदि आपको मधुमेह है, तो अपने ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करना और उसे अच्छी तरह से प्रबंधित रखना महत्वपूर्ण है। अनियंत्रित मधुमेह समय के साथ किडनी को नुकसान पहुँचा सकती है। मधुमेह से जुड़ी किडनी की परेशानियों को रोकने के लिए दवाओं, आहार और जीवन शैली में संशोधनों के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह लें।

    किडनी कैसे बनाए रखें: एक सरल मार्गदर्शिका

     किडनी हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह ब्लड को साफ करने में मददगार होती हैं और कई अन्य कार्य भी करती हैं। आइए जानते हैं कि हम अपनी किडनी को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं।


    किडनी के कार्य

    किडनी हमारे लिए कई आवश्यक काम करती हैं:

    • विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना: यह खून से हानिकारक पदार्थों को हटाती हैं।
    • जल का संतुलन बनाए रखना: किडनी शरीर में जल और खनिज का संतुलन सही रखती हैं।
    • ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना: सही किडनी फंक्शन से रक्तचाप भी संतुलित रहता है।

    सलाद और फलों का सेवन

    फलों और सलाद का नियमित सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है। यह ना केवल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, बल्कि यह सही तरह से हाइड्रेटेड रहने में भी मदद करते हैं।

    • फल जैसे तरबूज और संतरे अधिक पानी वाले होते हैं।
    • सलाद में रेशे होते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं।

    सुनिश्चित करें कि आप रोजाना कम से कम दो सर्विंग फल और सलाद खाएं।

    पानी की महत्वपूर्णता

    क्या आप जानते हैं कि हाइड्रेशन से किडनी की सेहत बढ़ती है? पानी हमारे किडनी के लिए बहुत जरूरी है।

    • रोज 8-10 गिलास पानी पीने की कोशिश करें।
    • अधिक पानी न पीने से किडनी में स्टोन बनने का खतरा बढ़ता है।

    सोडियम का सेवन कम करें

    सोडियम, जिसे हम साधारण नमक के रूप में जानते हैं, किडनी पर нагрузки डालता है। इसकी अधिकता से रक्तचाप बढ़ सकता है, जो किडनी के लिए हानिकारक है।

    • अपने खाने से नमक की मात्रा कम करें।
    • प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें, क्योंकि इनमें अधिक नमक हो सकता है।

    फाइबर का महत्व

    फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ हमारी किडनी के लिए अच्छा हैं। यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है।

    • दालें, सब्जियां और साबुत अनाज में उच्च फाइबर होता है।
    • इन्हें अपने आहार में समाहित करने की कोशिश करें।

    नियमित व्यायाम

    आपकी किडनी भी व्यायाम को पसंद करती हैं! नियमित व्यायाम करने से वजन नियंत्रित रहता है और रक्तचाप भी सही रहता है।

    • सप्ताह में कम से कम 150 मिनट एक्सरसाइज करें।
    • यह जॉगिंग, नहीं तो साइकिलिंग हो सकता है।

    धूम्रपान और शराब से बचें

    धूम्रपान और शराब किडनी पर बुरा असर डालती हैं। यदि आप किडनी की सेहत बनाए रखना चाहते हैं, तो इनसे बचना महत्वपूर्ण है।

    • धूम्रपान से किडनी फंडक्शन प्रभावित होता है।
    • भारी शराब का सेवन किडनी पर जबरदस्त दबाव डालता है।

    चिकित्सा पर ध्यान दें

    अगर आपको डायबिटीज़ या हृदय रोग है, तो आपको किडनी का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। नियमित जांच और सही दवा खाने से किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है।

    • डॉक्टर से सटिकता से परामर्श करें।
    • जरूरी जांचाएं जैसे कि क्रिएटिनिन की जाँच नियमित तौर पर करवाएं।

    वजन का संतुलन

    अत्यधिक वजन किडनी पर दबाव डाल सकता है। इसलिए, यदि आपका वजन अधिक है, तो उसे सही रखना जरूरी है।

    • अपने खाने की आदतों पर ध्यान दें।
    • ब्रेकफास्ट न छोड़ें और रात का खाना हलका रखें।

    शुगर आपके किडनी की दुश्मन

    डायबिटीज़, या उच्च शुगर का स्तर, किडनी के लिए खतरा हो सकता है। इसे नियंत्रित करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

    • शरबत व मीठे फल खाने से बचें।
    • नियमित एक्सरसाइज और संतुलित आहार करें।

    तनाव को नियंत्रण में रखें

    तनाव कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है, जिनका उच्च रक्तचाप और किडनी से संबंधित समस्याएं शामिल हैं। थोड़ा टाईम निकालें और अपने मन को शांत करने वालेActivities करें।

    • प्राणायाम और योग करने से मन को शांति मिलेगी।
    • इससे नसों में खून का प्रवाह भी सामान्य रहेगा।

    किडनी की सेहत के लिए वित्तीय तैयारी

    आपका किडनी का स्वास्थ्य ना केवल आपके शरीर की सेहत पर, बल्कि आपके वित्त के ऊपर भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है। अच्छी किडनी सेहत रखने एवं बीमारी को दूर रखने से आप बड़े खर्च से बच सकते हैं।

    हमें जीवनशैली के चुनाव पर ध्यान देना चाहिए। और अगर जानकारियाँ सही रहेंगी, तो किडनी की सेहत बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

    निष्कर्ष

    किडनी को स्वस्थ रखने के लिए दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करना जरूरी है। सही आहार, पर्याप्त व्यायाम, और तनाव से बचकर किडनी की सेहत में सुधार ला सकते हैं।

    याद रखें, स्वस्थ किडनी, बेहतर जीवन का रास्ता है।

    अपने शरीर का ख्याल रखें और स्वस्थ रहें!

    अच्छी सेहत पाने के लिए क्या करना चाहिए?

     ममें से कोई भी बीमार नहीं पड़ना चाहता है। जब हम बीमार पड़ते हैं, तो हमें बहुत परेशानी होती है, ऊपर से इसका खर्चा भी उठाना पड़ता है। हमें कुछ अच्छा नहीं लगता। न हम स्कूल जा पाते हैं, न ही काम की जगह पर। पैसा कमाना तो दूर, हम घरवालों की मदद तक नहीं कर सकते। उलटा शायद उन्हें हमारी देखभाल करनी पड़े। और-तो-और, कई बार इलाज करवाने और दवाइयाँ खरीदने के लिए बहुत पैसा लग जाता है।

    कहा जाता है कि इलाज करवाने से बेहतर है कि हम एहतियात बरतें, ताकि हम बीमार ही न हों। माना कि कई बीमारियों से हम बच नहीं सकते। लेकिन हम कुछ ऐसे कदम ज़रूर उठा सकते हैं, जिन्हें अपनाने से बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है और कई मामलों में तो शायद हमें बीमारी हो ही नहीं। आइए ऐसी पाँच बातों पर गौर करें, जिन्हें ध्यान में रखने से आप अच्छी सेहत पा सकते हैं।


    साफ-सफाई का खयाल रखिए

    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का मानना है कि “बीमारी से बचने और उसे फैलने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है” अपने हाथ धोना। गंदे हाथों पर कीटाणु होते हैं और जब हम गंदे हाथों से नाक पोंछते हैं या आँखें मलते हैं, तो सर्दी-ज़ुकाम और फ्लू जैसी बीमारियाँ आसानी से फैल जाती हैं। ऐसी बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है समय-समय पर अपने हाथ धोते रहना। अगर हम साफ-सफाई का अच्छा ध्यान रखें, तो हम निमोनिया और दस्त जैसी गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं, जिनसे हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के करीब 20 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। यहाँ तक कि सिर्फ अपने हाथ धोने से इबोला जैसी जानलेवा बीमारी को फैलने से भी काफी हद तक रोका जा सकता है।

    अपनी और दूसरों की सेहत को ध्यान में रखते हुए, कई मौकों पर हाथ धोना बहुत ज़रूरी होता है, जैसे:

    • शौचालय जाने के बाद।

    • डायपर बदलने के बाद या बच्चे को शौचालय ले जाने के बाद।

    • घाव या चोट पर दवा लगाने से पहले और उसके बाद।

    • किसी बीमार व्यक्‍ति से मिलने से पहले और उसके बाद।

    • खाना बनाने, परोसने और खाने से पहले।

    • छींकने, खाँसने और नाक साफ करने के बाद।

    • पशुओं और उनके मल को छूने के बाद।

    • कूड़ा-कचरा फेंकने के बाद।

    दवाओं का सेवन कम करें 

    कुछ लोग हल्‍के दर्द में भी डॉक्‍टर की सलाह ल‍िए बगैर दवाओं का सेवन कर लेते हैं। लेक‍िन आपको बता दें क‍ि ऐसा करने से इम्‍यून‍िटी कमजोर हो सकती है। डॉक्‍टर की सलाह के बगैर दवाओं का सेवन करने से शरीर पर उनका नकारात्‍मक प्रभाव पड़ सकता है। बीमार‍ियों से बचने के ल‍िए जरूरी वैक्‍सीन और जांच की जानकारी अपने डॉक्‍टर से लेते रहें। 


    अपने खान-पान पर ध्यान दीजिए

    अच्छी सेहत के लिए ज़रूरी है कि आप पौष्टिक खाना खाएँ। इस बात का ध्यान रखिए कि आपके खाने में नमक, चिकनाई और मीठा सही मात्रा में हो और आप ज़रूरत से ज़्यादा खाना न खाएँ। तरह-तरह की फल और सब्ज़ियाँ खाएँ। ब्रेड, अनाज, नूडल्स और चावल जैसी चीज़ें खरीदते वक्‍त, उनके पैकेट पर दी गयी जानकारी पर ध्यान दें। छिलकेदार अनाज सेहत के लिए मैदे से बनी चीज़ों से बेहतर होता है। जहाँ तक खाने में प्रोटीन का सवाल है, अगर आप मांस-मच्छी खाते हैं, तो बगैर चरबीवाला थोड़ा-सा ही मांस खाइए और हो सके तो हफ्ते में दो-तीन बार मछली खाइए। कई देशों में शाकाहारी लोगों के लिए भी काफी मात्रा में ऐसी चीज़ें मिलती हैं जिनमें प्रोटीन होता है।

    ज़्यादा मीठा और चिकना खाना खाने से मोटे होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए शरबत और कोल्ड-ड्रिंक पीने के बजाय पानी पीएँ। कुछ मीठा खाने के बजाय ज़्यादा फल खाएँ। मांस, मक्खन, केक, चीज़ और बिस्कुट जैसी चीज़ें ज़्यादा मात्रा में न खाएँ, जिनमें चिकनाहट होती है। खाना बनाने के लिए मक्खन, वनस्पति घी जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करने के बजाय, ऐसे तेल का इस्तेमाल कीजिए जो सेहत के लिए फायदेमंद हो।

    खाने में ज़्यादा नमक लेने से ब्लड प्रेशर (रक्‍तचाप) बढ़ सकता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है। अगर आपका ब्लड प्रेशर ज़्यादा है, तो खाने की चीज़ें खरीदते वक्‍त पैकेट पर दी जानकारी देखिए कि उनमें कितना नमक है।

    एक्‍सरसाइज के ल‍िए समय न‍िकालें 

    फ‍िट और हेल्‍दी रहने का कोई शॉर्टकट नहीं है। आपको फ‍िट रहना है और बीमार‍ियों से बचना है, तो हर द‍िन कसरत के ल‍िए समय न‍िकालें। हम में से ज्‍यादातर लोगों के पास समय तो होता है ल‍ेक‍िन समय प्रबंधन न सीख पाने के कारण वे एक्‍सरसाइज के ल‍िए समय नहीं न‍िकाल पाते। खुद को फ‍िट रखने के ल‍िए हर द‍िन 40 से 50 म‍िनट एक्‍सरसाइज करें और फ‍िज‍िकल एक्‍टीव‍िटीज जैसे डांस या जुंबा क्‍लास का ह‍िस्‍सा बनें। 

     

    भरपूर नींद लीजिए

    सभी लोग अपनी-अपनी ज़रूरत के हिसाब से सोते हैं। नए जन्मे बच्चे हर दिन अकसर 16 से 18 घंटे सोते हैं, 1 से 3 साल के बच्चे 14 घंटे सोते हैं और 3 से 4 साल के बच्चे 11 से 12 घंटे सोते हैं। स्कूल जानेवाले बच्चों को कम-से-कम 10 घंटे सोना चाहिए, किशोर बच्चों को 9 से 10 घंटे सोना चाहिए और बड़ों को 7 से 8 घंटे तक सोना चाहिए।

    आराम करने की बात को हलके में मत लीजिए। जानकारों का कहना है कि अच्छी नींद लेना ज़रूरी है क्योंकि इससे:

    • बच्चों और नौजवानों का मानसिक और शारीरिक विकास होता है।

    • हम नयी-नयी बातें सीख पाते हैं और उन्हें याद रख पाते हैं।

    • शरीर में हार्मोन का सही संतुलन बना रहता है, जिसका हाज़मे और वज़न पर असर पड़ता है।

    • दिल की बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है।

    • हम कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं।


    हेल्थ टिप्स जो आपको हमेशा स्वस्थ रखेंगी

     योग विज्ञान से सीखें 5 हेल्थ टिप्स - सेहत और स्वास्थ के लिए कुछ सरल हेल्थ टिप्स। भारतीय संस्कृति में जीने के कुछ ऐसे तौर-तरीके हैं जिनका हम कई पीढ़ियों से पालन करते आ रहे हैं, जैसे – उपवास करना, उठने और बैठने के ढंग, और पानी भरकर रखने के लिए तांबे के बर्तनों का प्रयोग...जानते हैं इन टिप्स के बारे में।


    1. तांबे के बर्तन का पानी पीयें

    तांबे के बैक्टीरिया-नाशक गुणों में मेडिकल साईंस बड़ी गहरी रुचि ले रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई प्रयोग हुए हैं और वैज्ञानिकों ने यह मालूम किया है कि पानी की अपनी याददाश्त होती है - यह हर उस चीज को याद रखता है जिसको यह छूता है। पानी की अपनी स्मरण-शक्ति होने के कारण हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि उसको कैसे बर्तन में रखें।अगर आप पानी को रात भर या कम-से-कम चार घंटे तक तांबे के बर्तन में रखें तो यह तांबे के कुछ गुण अपने में समा लेता है।यह पानी खास तौर पर आपके लीवर के लिए और आम तौर पर आपकी सेहत और शक्ति-स्फूर्ति के लिए उत्तम होता है। अगर पानी बड़ी तेजी के साथ पंप हो कर अनगिनत मोड़ों के चक्कर लगाकर लोहे या प्लास्टिक की पाइप के सहारे आपके घर तक पहुंचता है तो इन सब मोड़ों से रगड़ाते-टकराते गुजरने के कारण उसमें काफ़ी दोष आ जाता है। लेकिन पानी में याद्दाश्त के साथ-साथ अपने मूल रूप में वापस पहुंच पाने की शक्ति भी होती है। अगर आप नल के इस पानी को एक घंटे तक बिना हिलाये-डुलाये रख देते हैं तो दोष अपने-आप खत्म हो जाता है। 


    2. शरीर को नींद नहीं, आराम दें

    आप सोने किस वक्त जाते हैं, यह तो आपके लाइफ स्टाइल पर निर्भर करता है, लेकिन महत्व इस बात का है कि आपको कितने घंटे की नींद की जरूरत है। अकसर कहा जाता है कि दिन में आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। आपके शरीर को जिस चीज की जरूरत है, वह नींद नहीं है, वह आराम है। अगर आप पूरे दिन अपने शरीर को आराम दें, अगर आपका काम, आपकी एक्सरसाइज सब कुछ आपके लिए एक आराम की तरह हैं तो अपने आप ही आपकी नींद के घंटे कम हो जाएंगे। लोग हर चीज तनाव में करना चाहते हैं। मैंने देखा है कि लोग पार्क में टहलते वक्त भी तनाव में होते हैं। अब इस तरह का व्यायाम तो आपको फायदे की बजाय नुकसान ही करेगा, क्योंकि आप हर चीज को इस तरह से ले रहे हैं जैसे कोई जंग लड़ रहे हों। आप आराम के साथ क्यों नहीं टहलते? चाहे टहलना हो या जॉगिंग, उसे पूरी मस्ती और आराम के साथ क्यों नहीं कर सकते?


    तो सवाल घूमफिर कर वही आता है कि मेरे शरीर को कितनी नींद की जरूरत है? यह इस बात पर निर्भर है कि आप किस तरह का शारीरिक श्रम करते हैं। आपको न तो भोजन की मात्रा तय करने की जरूरत है और न ही नींद के घंटे। मुझे इतनी कैलरी ही लेनी है, मुझे इतने घंटे की नींद ही लेनी है, जीवन जीने के लिए ये सब बेकार की बातें हैं। आज आप जो शारीरिक श्रम कर रहे हैं, उसका स्तर कम है, तो आप कम खाएं। कल अगर आपको ज्यादा काम करना है तो आप ज्यादा खाएं। नींद के साथ भी ऐसा ही है। जिस वक्त आपके शरीर को पूरा आराम मिल जाएगा, यह उठ जाएगा चाहे सुबह के 3 बजे हों या 8। आपका शरीर अलार्म की घंटी बजने पर नहीं उठना चाहिए। एक बार अगर शरीर आराम कर ले तो उसे खुद ही जग जाना चाहिए।


    3. दो हफ्ते में एक बार उपवास करें

    आप शरीर के प्राकृतिक चक्र से जुड़ा ‘मंडल’ नाम की एक चीज होती है। मंडल का मतलब है कि हर 40 से 48 दिनों में शरीर एक खास चक्र से गुजरता है।

    हर चक्र में तीन दिन ऐसे होते हैं जिनमें आपके शरीर को भोजन की आवश्यकता नहीं होती। अगर आप अपने शरीर को लेकर सजग हो जाएंगे तो आपको खुद भी इस बात का अहसास हो जाएगा कि इन दिनों में शरीर को भोजन की जरूरत नहीं होती। इनमें से किसी भी एक दिन आप बिना भोजन के आराम से रह सकते हैं।

    11 से 14 दिनों में एक दिन ऐसा भी आता है, जब आपका कुछ भी खाने का मन नहीं करेगा। उस दिन आपको नहीं खाना चाहिए। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि कुत्ते और बिल्लियों के अंदर भी इतनी सजगता होती है। कभी गौर से देखें, किसी खास दिन वे कुछ भी नहीं खाते। दरअसल, अपने सिस्टम के प्रति वे पूरी तरह सजग होते हैं। जिस दिन सिस्टम कहता है कि आज खाना नहीं चाहिए, वह दिन उनके लिए शरीर की सफाई का दिन बन जाता है और उस दिन वे कुछ भी नहीं खाते। अब आपके भीतर तो इतनी जागरूकता नहीं कि आप उन खास दिनों को पहचान सकें। फिर क्या किया जाए! बस इस समस्या के समाधान के लिए अपने यहां एकादशी का दिन तय कर दिया गया। हिंदी महीनों के हिसाब से देखें तो हर 14 दिनों में एक बार एकादशी आती है। इसका मतलब हुआ कि हर 14 दिनों में आप एक दिन बिना खाए रह सकते हैं। अगर आप बिना कुछ खाए रह ही नहीं सकते या आपका कामकाज ऐसा है, जिसके चलते भूखा रहना आपके वश में नहीं और भूखे रहने के लिए जिस साधना की जरूरत होती है, वह भी आपके पास नहीं है, तो आप फलाहार ले सकते हैं। कुल मिलाकर बात इतनी है कि बस अपने सिस्टम के प्रति जागरूक हो जाएं।


    4. पीठ को सीधा रखकर बैठें

    शरीर के भीतरी अंगों के आराम में होने का खास महत्व है। इसके कई पहलू हैं। फिलहाल हम इसके सिर्फ एक पहलू पर विचार कर रहे हैं। शरीर के ज्यादातर महत्वपूर्ण भीतरी अंग छाती और पेट के हिस्से में होते हैं। ये सारे अंग न तो सख्त या कड़े होते हैं और न ही ये नट या बोल्ट से किसी एक जगह पर स्थिर किए गए हैं। ये सारे अंग ढीले-ढाले और एक जाली के अंदर झूल रहे से होते हैं। इन अंगों को सबसे ज्यादा आराम तभी मिल सकता है, जब आप अपनी रीढ़ को सीधा रखकर बैठने की आदत डालें।आधुनिक विचारों के मुताबिक, आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। लेकिन इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता।

      


    5. पंच तत्वों से जुड़कर जीवन जीयें

    हम कुछ लोगों को बता रहे थे कि हमारे योग केंद्र में एक योगिक अस्पताल है, तो अमेरिका से कुछ डॉक्टर इसे देखना चाहते थे और वे हमारे यहां आए। वे एक हफ्ते यहां थे और एक हफ्ते के बाद वे मुझसे बहुत नाराज़ थे। मैंने कहा – “क्यों, मैंने क्या किया? वे चारों तरफ यही बातें कर रहे थे – “ये सब फ़ालतू बकवास है! सद्गुरु ने कहा यहां एक योगिक अस्पताल! कहां है योगिक अस्पताल? हमें कोई बिस्तर नहीं दिख रहे हैं, हमें कुछ नहीं दिख रहा”। फिर मुझे समझ आया कि उनकी समस्या क्या है, फिर मैंने उन्हें बुलाया और मैंने कहा – “परेशानी क्या है” उनमें से एक महिला, जिनकी आँखों में आंसू थे, बोलीं – मैं यहां इतने विश्वास के साथ आई और यहां धोखा हो रहा है, यहां कोई अस्पताल नहीं है, बिल्कुल भी कुछ नहीं यहां और आप बोल रहे हैं कि यहां अस्पताल है। मैंने कहा – “आराम से बैठिये। आपके अस्पताल के बारे में ये विचार हैं कि – बहुत से बिस्तर हों जहां मरीजों को सुला दो और उन्हें दवाइयां देते रहो – ये अस्पताल ऐसा नहीं है। मैं आपको आस-पास घुमाता हूँ – सभी मरीज़ यहां बगीचे में काम कर रहे हैं, और रसोई घर में काम कर रहे हैं। हम उनसे काम करवाते हैं, और वे ठीक हो जाते हैं।



    अपनी किडनी को डिटॉक्स करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

     हमारा शरीर कई तरह के टॉक्सिन्स को फिल्टर और बाहर निकालने का काम करता है, जिसमें सबसे अहम भूमिका किडनी निभाती है। किडनी हमारे खून को साफ कर...