डायलिसिस एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग किडनी की कार्यक्षमता के नुकसान के कारण शरीर में जमा हुए विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए आवश्यक होता है जिनकी किडनियाँ ठीक से काम नहीं कर रही होतीं, यानी किडनी फेलियर (Kidney Failure) की स्थिति में।
डायलिसिस के दो मुख्य प्रकार होते हैं:
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हेमोडायलिसिस (Hemodialysis):
इसमें शरीर से रक्त बाहर निकाला जाता है और एक मशीन (डायलाइज़र) के माध्यम से उसे शुद्ध किया जाता है। फिर शुद्ध रक्त को शरीर में वापस डाला जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर अस्पताल या डायलिसिस सेंटर में की जाती है, और यह सप्ताह में तीन बार होती है, प्रत्येक सत्र का समय लगभग 3-4 घंटे होता है। -
पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal Dialysis):
इसमें शरीर के अंदर एक विशेष तरल पदार्थ (डायलिसेट) डाला जाता है जो पेट की परत (पेरिटोनियम) में अवशोषित करता है। यह प्रक्रिया घर पर भी की जा सकती है और इसमें रक्त को बाहर निकालने की बजाय पेट की परत का उपयोग करके शरीर से अवांछित पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
डायलिसिस के द्वारा किडनी की कार्यक्षमता की कमी को कुछ समय तक नियंत्रित किया जाता है, लेकिन यह किडनी के पूरी तरह से काम करने की प्रक्रिया को नहीं ठीक करता। किडनी ट्रांसप्लांटेशन (Kidney Transplantation) एक और विकल्प हो सकता है, जो स्थायी इलाज प्रदान करता है।
1. डायलिसिस की आवश्यकता क्यों होती है?
डायलिसिस उन लोगों को चाहिए जिनकी किडनियाँ काम करना बंद कर देती हैं, या जिनकी किडनियाँ बहुत ज्यादा खराब हो जाती हैं (क्रोनिक किडनी डिजीज)। किडनियाँ रक्त को फिल्टर करती हैं, विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल को बाहर निकालती हैं, और शरीर में विभिन्न रासायनिक तत्वों को संतुलित करती हैं। जब किडनियाँ ठीक से काम नहीं करतीं, तो शरीर में विषाक्त पदार्थ और तरल जमा होने लगते हैं, जो जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं। डायलिसिस इन समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।
2. डायलिसिस के दौरान क्या होता है?
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हेमोडायलिसिस: इस प्रक्रिया में, एक कैथेटर (सुई) के माध्यम से रक्त शरीर से बाहर निकाला जाता है और फिर डायलाइज़र (जो एक प्रकार का फिल्टर होता है) के माध्यम से शुद्ध किया जाता है। शुद्ध रक्त फिर से शरीर में वापस भेजा जाता है। डायलिसिस के दौरान, शरीर का रक्त एक फिल्टर से गुजरता है, जो उसे साफ करता है।
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पेरिटोनियल डायलिसिस: इसमें शरीर के अंदर एक विशेष कैथेटर डाला जाता है, और उसमें डायलिसेट नामक एक तरल पदार्थ भर दिया जाता है। यह तरल पेट की आंतरिक परत के माध्यम से रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालने का काम करता है। फिर इसे कुछ घंटों के बाद शरीर से बाहर निकाला जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस को घर पर भी किया जा सकता है और यह लगातार या कुछ समय के लिए किया जा सकता है।
3. डायलिसिस की प्रक्रिया कितनी लंबी होती है?
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हेमोडायलिसिस में आमतौर पर प्रत्येक सत्र का समय लगभग 3-4 घंटे होता है। यह प्रक्रिया सप्ताह में 3 बार की जाती है।
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पेरिटोनियल डायलिसिस घर पर किया जाता है और यह प्रक्रिया निरंतर या दिन में कुछ समय के लिए होती है।
4. डायलिसिस के फायदे और नुकसान:
फायदे:
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यह शरीर में विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
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यह शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ और सोडियम को नियंत्रित करता है।
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यह जीवन बचाने के लिए आवश्यक हो सकता है यदि किडनी पूरी तरह से फेल हो जाती है।
नुकसान:
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डायलिसिस एक स्थायी इलाज नहीं है। यह सिर्फ एक "समय निकालने" वाली प्रक्रिया है, जो किडनी ट्रांसप्लांट तक मरीज को जीवित रखने में मदद करती है।
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हेमोडायलिसिस से संबंधित जोखिम जैसे कि संक्रमण, रक्तदाब में उतार-चढ़ाव, या कभी-कभी रक्त के थक्के बनने का खतरा हो सकता है।
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पेरिटोनियल डायलिसिस में भी संक्रमण का खतरा होता है, विशेषकर यदि कैथेटर की देखभाल सही तरीके से न की जाए।
5. किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस
डायलिसिस एक अस्थायी समाधान है, और यदि किडनी की स्थिति बहुत खराब हो जाती है, तो डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दे सकते हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद, नई किडनी शरीर में काम करना शुरू कर देती है और डायलिसिस की आवश्यकता नहीं रहती।
डायलिसिस का महत्व तब बढ़ जाता है जब किडनी की कार्यक्षमता बहुत कम हो जाती है, और किडनी ट्रांसप्लांट की संभावना नहीं होती। इसके बावजूद, डायलिसिस से जीवनकाल बढ़ सकता है और जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
6. क्या डायलिसिस के दौरान कोई विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है?
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आहार: डायलिसिस के मरीजों को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, खासकर फास्फोरस, पोटेशियम, और सोडियम की मात्रा पर नियंत्रण रखना महत्वपूर्ण है।
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दवाइयाँ: डायलिसिस के दौरान कुछ दवाइयों की जरूरत पड़ सकती है, जैसे कि रक्तदाब को नियंत्रित करने वाली दवाइयाँ या किडनी के लिए सप्लीमेंट्स।
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सैनिटेशन: पेरिटोनियल डायलिसिस में संक्रमण का खतरा होता है, इसलिए सही तरीके से हाथ धोना और कैथेटर की देखभाल जरूरी होती है।
डायलिसिस जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह एक स्थायी इलाज नहीं है। किडनी ट्रांसप्लांट को विचार किया जाता है अगर वह संभव हो।