देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षो में, देश में गुर्दो की तकलीफों वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।
किडनी के पूरी तरह स्वस्थ करने के लिए और डायलिसिस को समाप्त करने के लिए आयुर्वेद के द्वारा कई प्रकार के योग व उपचार से साथ ही कुछ सुझाव भी दिए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार जडी बूटियों, योग, ध्यान और मालिश के द्वारा शरीर को नियमित रूप से डिटॉक्स करना बहुत आवश्यक है, जिससे शरीर में रक्त संचार बेहतर हो सके, पारंपरिक आयुर्वेदिक डिटॉक्स सिद्धांत में कई प्रकार की जड़ी-बूटियांं, सप्लीमेंट्स, पर्ज, एनीमा (जिसका उपयोग आंतों की सफाई के लिए किया जाता है) व स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, भारत में किडनी की बीमारियों पर अभी भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण है कि इस रोग की ठीक से जांच नहीं हो पाती। गंभीर गुर्दा रोग होने पर, कुछ वर्षो में आहिस्ता-आहिस्ता गुर्दो की कार्यप्रणाली मंद होने लगती है और अंतत: गुर्दे एकदम से काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग की अक्सर जांच नहीं हो पाती और लोग तब जागते हैं जब उनके गुर्दे 25 प्रतिशत तक काम करना बंद कर चुके होते हैं।
इस रोग का पता तब चलता है जब रोग तेजी से बढ़ने लगता है। हालांकि, एक बार गुर्दे खराब हो जाने के बाद उन्हें ठीक कर पाना संभव नहीं होता। परेशानी बढ़ने पर, शरीर के अंदर बार बार विषाक्त कचरा एकत्रित होने लगता है।
आइए जानते हैं आयुर्वेद के माध्यम से आप न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि किडनी रोगियों के लिए यह डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण से भी बचाता है। किडनी रोगियों के लिए आयुर्वेदिक उपचार सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।
1-पेन किलर लेने से बचें
किडनी रोगियों को दर्द निवारक दवाओं, सूजन-रोधी दवाओं, नींद की गोलियों आदि दवाओं का ज्यादा उपयोग न करें और खुद से कोई भी दवा लेने से बचें।
2- सीफूड लें
अपने आहार में समुद्री भोजन, अचार, पापड़ जैसे सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। इसके अलावा, अपने प्रोटीन सेवन को नियंत्रित करें और लाल मांस, डेयरी उत्पाद, मशरूम, पालक आदि से बचें। अनाज, सब्जियों और फलों के कम प्रोटीन स्रोतों का विकल्प चुनें।
3-पोटेशियम फूड्स लें
अपनी डाइट में या फिर आपको ऐसे फूड्स का सेवन करना है, जिसमें पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें, इसके बजाय कम पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ जैसे सेब, पपीता, मूली, और गाजर खाएं।
4-फैटी फूड्स न लें
आपको किडनी को हेल्दी रखने के लिए फैटी फूड्स, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, बेकरी आइटम और पुराने खाद्य पदार्थो सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। आप इसके बजाए ताजा खाना खाएं।
5-इन बीमारियों पर रखें नजर
ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर लेवन और शरीर के वजन को नियंत्रित करके अपने महत्वपूर्ण अंगों की देखरेख करें, समय समय पर स्वास्थ्य का ध्यान रखें, साथ ही धूम्रपान और शराब के सेवन से आप किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं।
किडनी रोगों में सहायक टिप्स
- सक्रिय जीवन : टहलने, दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों से गुर्दो की बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है।
- फास्टिंग शुगर 80 एमबी से कम रहे: मधुमेह होने पर गुर्दे खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी समय रहते जांच करा लेनी चाहिए।
- बीपी 80 एमएम एचजी से कम रहे: उच्च रक्तचाप गुर्दो के लिए घातक हो सकता है, उसे नियंत्रण मंे रखें।
- कमर का साइज 80 सेमी से कम रखें : अच्छा भोजन लें और वजन को नियंत्रण में रखें। इससे मधुमेह दूर रहेगा, दिल की बीमारियां नहीं होंगी और किडनी की परेशानियां भी नहीं होंगी।
- नमक कम खाएं: प्रतिदिन एक व्यक्ति को बस 5-6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। डिब्बाबंद भोजन और होटल के खाने में नमक अधिक रहता है।
- पानी खूब पिएं: प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को सोडियम साफ करने में मदद मिलती है। यूरिया और विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते रहते हैं।
- धूम्रपान न करें : धूम्रपान से गुर्दो को पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह कम होता जाता है और गुर्दो के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।