डायलिसिस से बचने के उपाय

 देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षो में, देश में गुर्दो की तकलीफों वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।


किडनी के पूरी तरह स्वस्थ करने के लिए और डायलिसिस को समाप्त करने के लिए आयुर्वेद के द्वारा कई प्रकार के योग व उपचार से साथ ही कुछ सुझाव भी दिए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार जडी बूटियों, योग, ध्यान और मालिश के द्वारा शरीर को नियमित रूप से डिटॉक्स करना बहुत आवश्यक है, जिससे शरीर में रक्त संचार बेहतर हो सके, पारंपरिक आयुर्वेदिक डिटॉक्स सिद्धांत में कई प्रकार की जड़ी-बूटियांं, सप्लीमेंट्स, पर्ज, एनीमा (जिसका उपयोग आंतों की सफाई के लिए किया जाता है) व स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, भारत में किडनी की बीमारियों पर अभी भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण है कि इस रोग की ठीक से जांच नहीं हो पाती। गंभीर गुर्दा रोग होने पर, कुछ वर्षो में आहिस्ता-आहिस्ता गुर्दो की कार्यप्रणाली मंद होने लगती है और अंतत: गुर्दे एकदम से काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग की अक्सर जांच नहीं हो पाती और लोग तब जागते हैं जब उनके गुर्दे 25 प्रतिशत तक काम करना बंद कर चुके होते हैं।

इस रोग का पता तब चलता है जब रोग तेजी से बढ़ने लगता है। हालांकि, एक बार गुर्दे खराब हो जाने के बाद उन्हें ठीक कर पाना संभव नहीं होता। परेशानी बढ़ने पर, शरीर के अंदर बार बार विषाक्त कचरा एकत्रित होने लगता है।

आइए जानते हैं आयुर्वेद के माध्यम से आप न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि किडनी रोगियों के लिए यह डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण से भी बचाता है। किडनी रोगियों के लिए आयुर्वेदिक उपचार सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।


1-पेन किलर लेने से बचें

किडनी रोगियों को दर्द निवारक दवाओं, सूजन-रोधी दवाओं, नींद की गोलियों आदि दवाओं का ज्यादा उपयोग न करें और खुद से कोई भी दवा लेने से बचें।

2- सीफूड लें

अपने आहार में समुद्री भोजन, अचार, पापड़ जैसे सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। इसके अलावा, अपने प्रोटीन सेवन को नियंत्रित करें और लाल मांस, डेयरी उत्पाद, मशरूम, पालक आदि से बचें। अनाज, सब्जियों और फलों के कम प्रोटीन स्रोतों का विकल्प चुनें।

3-पोटेशियम फूड्स लें

अपनी डाइट में या फिर आपको ऐसे फूड्स का सेवन करना है, जिसमें पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें, इसके बजाय कम पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ जैसे सेब, पपीता, मूली, और गाजर खाएं।

4-फैटी फूड्स न लें

आपको किडनी को हेल्दी रखने के लिए फैटी फूड्स, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, बेकरी आइटम और पुराने खाद्य पदार्थो सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। आप इसके बजाए ताजा खाना खाएं।

5-इन बीमारियों पर रखें नजर

ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर लेवन और शरीर के वजन को नियंत्रित करके अपने महत्वपूर्ण अंगों की देखरेख करें, समय समय पर स्वास्थ्य का ध्यान रखें, साथ ही धूम्रपान और शराब के सेवन से आप किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं।


किडनी रोगों में सहायक टिप्स

- सक्रिय जीवन : टहलने, दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों से गुर्दो की बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है।

- फास्टिंग शुगर 80 एमबी से कम रहे: मधुमेह होने पर गुर्दे खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी समय रहते जांच करा लेनी चाहिए।

- बीपी 80 एमएम एचजी से कम रहे: उच्च रक्तचाप गुर्दो के लिए घातक हो सकता है, उसे नियंत्रण मंे रखें।

- कमर का साइज 80 सेमी से कम रखें : अच्छा भोजन लें और वजन को नियंत्रण में रखें। इससे मधुमेह दूर रहेगा, दिल की बीमारियां नहीं होंगी और किडनी की परेशानियां भी नहीं होंगी।

- नमक कम खाएं: प्रतिदिन एक व्यक्ति को बस 5-6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। डिब्बाबंद भोजन और होटल के खाने में नमक अधिक रहता है।

- पानी खूब पिएं: प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को सोडियम साफ करने में मदद मिलती है। यूरिया और विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते रहते हैं।

- धूम्रपान न करें : धूम्रपान से गुर्दो को पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह कम होता जाता है और गुर्दो के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।

किडनी की देखभाल कैसे करे ?

 

अपनी किडनी की देखभाल कैसे करें

आपकी रीढ़ के दोनों किनारों पर, आपके गुर्दे आपके पसली के पिंजरे के नीचे स्थित मुट्ठी के आकार के अंग हैं । ये शरीर के बहुत सारे काम करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, वे अतिरिक्त पानी, अपशिष्ट पदार्थ और अन्य दूषित पदार्थों को छानकर आपके रक्त को शुद्ध करते हैं । ये अपशिष्ट पदार्थ आपके मूत्राशय में जमा हो जाते हैं और फिर मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं । आपके गुर्दे आपके शरीर में पीएच, नमक और पोटेशियम के स्तर को भी नियंत्रित करते हैं । वे हार्मोन भी उत्पन्न करते हैं जो लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं । किसी के पूर्ण स्वास्थ्य के लिए उसकी किडनी का स्वास्थ्य बने रहना महत्वपूर्ण है । यदि आपके गुर्दे स्वस्थ हैं तो आपका शरीर कचरे को प्रभावी ढंग से छानता और उसका निर्वहन करता है और आपके शरीर को ठीक से संचालित करने में सहायता करने के लिए हार्मोन बनाता है ।

एक्टिव और फिट रहें

नियमित व्यायाम आपके स्वास्थ्य के लिए कईं तरह से फायदेमंद होता है। यह क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यह ब्लड प्रैशर को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जो कि गुर्दे की क्षति को रोकने में महत्वपूर्ण है । व्यायाम करने के लाभों का आनंद लेने के लिए आपको अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं है। चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना और यहां तक ​​कि नृत्य भी आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे व्यायाम हैं।

अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित करें

मधुमेह या अन्य बीमारी वाले लोग जो हाई ब्लड प्रैशर का कारण बनते हैं, गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकते हैं । जब आपके शरीर की कोशिकाएं आपके खून में ग्लूकोज (शर्करा) का उपयोग नहीं कर पाती हैं, तो आपके गुर्दे को इसे छानने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है । वर्षों के व्यायाम के बाद, इससे जानलेवा चोट लग सकती है । दूसरी ओर, ब्लड शुगर नियंत्रण नुकसान के जोखिम को कम करता है। यदि नुकसान का जल्द पता चल जाता है, तो आपका डॉक्टर आगे होने वाले नुकसान को सीमित करने या रोकने के लिए कदम उठाने में सक्षम हो सकता है 

ब्लड प्रैशर मॉनिटर करें

हाई ब्लड प्रैशर से किडनी खराब हो सकती है। जब उच्च रक्तचाप को मधुमेह, हृदय रोग या उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जोड़ा जाता है, तो परिणाम आपके शरीर के लिए विनाशकारी हो सकते हैं । 120/80 सामान्य बल्ड प्रैशर माना जाता है । यदि आपका ब्लड प्रैशर 139/89 के बीच है तो आपको हाई बल्ड प्रैशर है । इस समय जीवनशैली और पोषण में बदलाव आपके बल्ड प्रैशर को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं । यदि आपका बल्ड प्रैशर लगातार 140/90 से अधिक है, तो यह हाई बल्ड प्रैशर का संकेत हो सकता है । आपको अपने ब्लड प्रैशर पर कड़ी नज़र रखने, जीवनशैली में बदलाव करने और संभवतः दवा लेने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए ।

अपना वजन देखें और स्वस्थ भोजन करें

मोटे या अधिक वजन वाले लोगों को गुर्दे में समस्या के सहित कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का खतरा होता है । इनमें मधुमेह, हृदय रोग और गुर्दे की समस्याएं शामिल हैं । सोडियम, प्रोसेस्ड मीट और अन्य किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों में कम संतुलित आहार खाने से किडनी की क्षति को कम करने में मदद मिल सकती है । फूलगोभी, ब्लूबेरी, सामन, साबुत अनाज, और अन्य ताजे, स्वाभाविक रूप से कम सोडियम वाले खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ।


धूम्रपान न करें

जब आप धूम्रपान करते हैं, तो आपके शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है । परिणामस्वरूप आपके पूरे शरीर और गुर्दे में रक्त का प्रवाह बाधित होता है । धूम्रपान आपके गुर्दे को खतरे में डालता है। यदि आप धूम्रपान छोड़ देते हैं, तो आपका जोखिम कम हो जाएगा । दूसरी ओर, किसी ऐसे व्यक्ति के पास लौटने में, जिसने कभी धूम्रपान नहीं किया है, जोखिम के स्तर को कई साल लगेंगे ।

 


किडनी को स्वस्थ रखने के उपाय क्या है ?

हम सभी जानते हैं, किडनी या किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे शरीर में फिल्टर या छलनी के रूप में गुर्दे। किडनी का उपयोग हमारे शरीर के लिए हानिकारक परिणामों को साफ करने के लिए किया जाता है।  

हमने जो भी भोजन खाया, वह भोजन और हानिकारक है। गुर्दे का फल रक्त से विभाजित होता है और शरीर या मूत्र से अलग होता है।  

क्या आप जानते हैं कि किडनी न केवल शरीर से शरीर से शरीर से शरीर से नुकसान को साफ करने के लिए काम करती है, बल्कि रक्त और रासायनिक दवाओं या रसायनों के सही दबाव को नुकसान पहुंचाने में भी मदद करती है? हां, किडनी ये सभी काम करती है।  

अब यह है कि हम अपनी किडनी किडनी कैसे बना सकते हैं? दरअसल, किडनी को स्वस्थ बनाने के लिए हमें कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है, ताकि हम स्वस्थ जीवन जी सकें। आज के इस लेख में हम किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण उपायों पर चर्चा करेंगे। तो आइए देखें कि वे क्या हैं।

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएँ इन उपायों को

1.) व्यायाम करें

किडनी अपना काम सही रूप से करती रहे हैं इसके लिए ये ज़रूरी है कि हम शरीर में पर्याप्त ऊर्जा बनाए रखें। रिसर्च में इस बात का ख़ुलासा किया गया है कि प्रतिदिन व्यायाम करने से क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ या किडनी से संबंधित होने वाली बीमारियों के होने का ख़तरा कम किया जा सकता है।

इसी के साथ यह भी देखा गया है कि व्यायाम करने या प्रतिदिन फिजिकल एक्टिविटी करने से रक्तचाप के बिगड़ने का ख़तरा कम रहता है। जो लोग प्रतिदिन व्यायाम करते हैं उनमें ब्लड प्रेशर या रक्तचाप नार्मल बना रहता है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम ज़रूरी है। व्यायाम के लिए ये ज़रूरी नहीं कि आप किसी बहुत बड़ी मशीन से ही व्यायाम करें बल्कि प्रतिदिन चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना या डान्स करने से भी शरीर स्वस्थ रहता है।


2.) शुगर या शर्करा की मात्रा पर नज़र रखें

जैसा कि हमने बताया कि किडनी शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकलती है तो हमें उन चीज़ों का सेवन कम करना चाहिए जो शरीर में ज़हरीले पदार्थों को जन्म देती हैं। इसी श्रेणी में शर्करा का भी नाम आता है।

हमें प्रतिदिन शुगर की एक निश्चित मात्रा का ही सेवन करना चाहिए। इस बात का आवश्यक ख़याल रखें कि रक्त में शुगर की निश्चित मात्रा ही हो। यदि रक्त में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ जाती है तो इससे किडनी डैमेज या गुर्दे के ख़राब होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

जिन लोगों को डायबिटीज़ है और जिन्हें हाई ब्लड शुगर की बीमारी है ऐसे लोगों को अपने खानपान का विशेष ख़याल रखना चाहिए। 

डायबिटीज़ और हाई ब्लड शुगर की बीमारी से जूझ रहे लोगों में किडनी के ख़राब होने का ख़तरा सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक होता है।

3.) रक्तचाप सामान्य रखें

नसों में रक्त का प्रवाह अत्यंत सुचारु रूप से होना ज़रूरी है। यदि नसों में रक्त का प्रवाह तेज़ी से होता है तो रक्तचाप बढ़ जाता है। रक्तचाप बढ़ने से ना सिर्फ़ हार्ट अटैक की संभावना बढ़ती है बल्कि किडनी के ख़राब होने का भी ख़तरा बढ़ जाता है।

शरीर का मानक रक्तचाप 120/80 mmhg होता है। इस मानक को शरीर के लिए स्वस्थ माना जाता है। यदि शरीर में इस मानक से अधिक रक्तचाप की दर होती है तो ऐसे में किडनी पर काफ़ी असर पड़ता है। नतीजा किडनी के ख़राब होने के रूप में निकल सकता है।


4.) वज़न नियंत्रित रखें

यह बात बिलकुल सत्य है कि रक्त में शुगर की मात्रा अधिक हो जाने से किडनी पर काफ़ी दबाव पड़ता है। इसी के साथ ये बात भी सत्य हैं कि शरीर में अत्यधिक शुगर की मात्रा होने से शरीर का वज़न बढ़ने लगता है। 

अधिक वज़न हृदय और किडनी के ख़राब होने के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है। हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हम अपने वज़न को संतुलित रखने की कोशिश करें। इसके लिए हमें न सिर्फ़ व्यायाम करना चाहिए बल्कि अपने डाइट या खानपान का भी ख्याल रखना चाहिए।

हम अपने आहार में अंडे, मछली, दूध तथा अनाज के साथ साथ ब्लूबेरी और पत्तागोभी का सेवन कर सकते हैं। 

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए उन पदार्थों को खाने से बचना चाहिए जिनमें बीज होता है। कोशिश करें कि बीज से भरपूर पदार्थों का सेवन एक नियमित मात्रा में ही करें। किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी की समस्या से बचने के लिए पालक तथा टमाटर के सेवन को कम करें।

5.) पर्याप्त जल का सेवन करें

किडनी का कार्य होता है कि रक्त से हानिकारक पदार्थों को अलग करके शरीर से बाहर निकाले। किडनी हानिकारक पदार्थों को छान कर यूरीन के रूप में शरीर से बाहर निकालती है। 

ये मूत्र या यूरीन पानी से मिलकर बना होता है। किडनी अपने कार्य को सुचारु रूप से कर पाए और शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालती रहे इसके लिए ज़रूरी है कि हम अपने शरीर में पर्याप्त जल के सेवन के स्तर को बनाए रखें।

प्रतिदिन डेढ़ से दो लीटर पानी का सेवन अवश्य करना चाहिए। इसी के साथ साथ हमें अपनी नींद को भी पूरा करना ज़रूरी है। 


6.) धूम्रपान से बचें

गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए न सिर्फ़ पर्याप्त पानी और अच्छे आहार की ही आवश्यकता है बल्कि इसके लिए हमें एक अच्छी लाइफ़ स्टाइल या दिनचर्या की भी ज़रूरत होती है। हमें चाहिए कि हम अपनी दिनचर्या में स्वस्थ चीज़ों को शामिल करें।

हमें प्रोटीनयुक्त तथा मिनरल से भरपूर चीज़ों का सेवन करना चाहिए और इसी के साथ साथ हमें धूम्रपान या सिगरेट पीने से बचना चाहिए।

धूम्रपान के माध्यम से बहुत सारे हानिकारक तत्व हमारे शरीर में चले जाते हैं और वे रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाते हैं। ऐसे में किडनी पर इन पदार्थों को निकालने का काफ़ी दबाव होता है। किडनी रक्त में इन हानिकारक तत्वों की पहचान करके उन्हें बाहर निकालने के लिए अधिक कार्य करती है। लगातार यही स्थिति होने पर किडनी के ख़राब होने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।

ऐसे लोग जो लगातार धूम्रपान करते चले आ रहे हैं उन्हें अपनी इस आदत को तुरंत सुधारना चाहिए। तंबाकू के सेवन या सिगरेट पीने से ना सिर्फ़ कैंसर होता है बल्कि इसके साथ ही हृदय के ख़राब होने तथा किडनी के अस्वस्थ होने का भी ख़तरा काफ़ी बढ़ जाता है। धूम्रपान करने वाले लोगों को तुरंत धूम्रपान छोड़ देना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने से किडनी के कैंसर होने का ख़तरा भी कम हो जाता है।

7.) दवाइयों के अधिक सेवन से बचें

हमारे घर में सरदर्द, बुखार, ख़ांसी इत्यादि की दवाइयाँ हर वक़्त उपलब्ध होती हैं। कोई भी घर हो वहाँ पर फ़र्स्टएड किट में ये सारी दवाइयां मिलना बिलकुल मामूली सी बात है। इन दवाइयों का सेवन हम बीमार होने पर करते हैं। ये अच्छी बात भी है कि हम सेहत को लेकर सजग है लेकिन यदि हम इन दवाइयों को अपनी आदत में शुमार कर लें तो ये किडनी के लिए एक बड़ी मुश्किल हो सकती है।

ज़्यादा दवाइयों का सेवन करने से किडनी के स्वास्थ्य पर काफ़ी असर पड़ सकता है। इसी के साथ साथ शरीर में यूरिक एसिड का बैलेंस भी बिगड़ सकता है। इसलिए ये ज़रूरी है कि हम अपने इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए अच्छी दिनचर्या और ख़ान पान का चुनाव करें बजाय इसके कि हम दवाइयों का अधिक सेवन करें।


8.) अन्य चीज़ें

 

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए इन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर भी ध्यान दें-

1.) 60 साल से ऊपर के लोगों को समय समय पर गुर्दों का चेकअप कराना ज़रूरी है।

2.) ऐसे लोग जिन्हें कार्डियोवस्कुलर डिज़ीज़ या ह्रदय से संबंधित समस्याएं हैं तो उन्हें भी अपनी किडनी का समय समय पर चेकअप कराना ज़रूरी है। 

3.) यदि परिवार में किडनी से संबंधित रोगों का इतिहास रहा है तो भी किडनी का समय समय पर चेकअप कराते रहें। 

4.) व्यक्ति को या व्यक्ति के परिवार में यदि कभी किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रही हो तो उन्हें भी अपनी किडनी का समय समय पर चेकअप कराना चाहिए।

5.) ऐसे लोग जो यह मानते हैं कि उनकी किडनी सही से कार्य नहीं कर रही है उन्हें भी तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

6.) अपने आहार का उचित ख़याल रखें। अधिक पानी पिएं तथा स्वास्थ्यवर्धक चीज़ों को आवश्यक खाएं।


किडनी की समस्या का पहला संकेत क्या है?

 गुर्दे के खराब होने के शुरुआती लक्षणों में से एक और लक्षण है सुबह-सुबह मिचली और उल्टी का होना, और इसका पता तब चलता है जब रोगी सुबह बाथरूम में अपने दांतों को ब्रश करता है। इससे व्यक्ति की भूख भी कम होती जाती है। गुर्दे फेल होने के अंतिम चरण में, मरीज को बार-बार उल्टी आती है और भूख कम लगती है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर में दो गुर्दे होते हैं, जो मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड, आदि जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को रक्त में से छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

लाखों लोग विभिन्न प्रकार के गुर्दे की बीमारियों के साथ रह रहे हैं और उनमें से अधिकांश को इसके बारे भनक तक नहीं है। यही कारण है कि गुर्दे की बीमारी को अक्सर एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि अधिकांश लोगों को बीमारी का पता तब तक नहीं चलता जब तक यह उग्र रूप धारण नहीं कर लेता। जबकि लोग अपने रक्तचाप, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित रूप से जांच करवाते रहते हैं, वे अपने गुर्दे की किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए अपने रक्त में एक सरल क्रिएटिनिन परीक्षण भी नहीं करवाते। 


किडनी विकार के चेतावनी के कई संकेत होते हैं, हालांकि, अधिकांश समय इन्हें अनदेखा किया जाता है या किसी और तरह की समस्या समझकर लोग भ्रमित हो जाया करते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को बहुत ही सतर्क रहना चाहिए और किडनी विकार का कोई भी लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द पुष्टिकरण परीक्षण करवाना चाहिए। ऐसे किसी व्यक्ति को किसी नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए और अपने संदेह को स्पष्ट करना चाहिए। लेकिन अगर आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, या कोरोनरी आर्टरी डिजीज, और / या किडनी फेल होने का पारिवारिक इतिहास है या आप 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं तो आज के युग में आपको नियमित रूप से गुर्दे की जांच करवाते रहना चाहिए।

जबकि गुर्दे की बीमारी के निदान का एकमात्र निश्चित तरीका पुष्टि संबंधी परीक्षण करना है, यहाँ किडनी रोग के कुछ शुरुआती चेतावनी के संकेत दिए गए हैं:

  • शुरुआती संकेतों में से एक है टखनों, पैरों या एड़ी के पास सूजन का दिखना है: ऐसी जगहों पर एडिमा दिखाई देने लगेगी,  जो दबाव देने पर पिट करते हैं, और इन्हें पिटिंग एडिमा कहा जाता है। जैसे-जैसे गुर्दे अपने काम करने में गड़बड़ी करने लगते हैं, शरीर में नमक जमा होने लगता है, जिससे आपकी पिंडली और टखनों में सूजन आने लगती है। संक्षेप में, अगर किसी भी व्यक्ति में इस तरह के लक्षण दिखें तो उसे नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलकर अपने गुर्दे की कार्यप्रणाली का तत्काल मूल्यांकन करवाना चाहिए।
  • पेरिऑर्बिटल एडिमा: इसमें आंखों के आसपास सूजन दिखने लगता है जो कोशिकाओं या ऊतकों में तरल पदार्थ के संचय के कारण होता है। यह गुर्दे की बीमारी के शुरुआती लक्षणों में से एक है। यह उन व्यक्तियों में विशेष रूप से होता है जिनमें गुर्दे के माध्यम से काफी मात्रा में प्रोटीन का रिसाव होता है। शरीर से प्रोटीन का नाश इंट्रावस्कुलर ऑन्कोटिक दबाव को कम करता है और आंखों के आसपास के विभिन्न जगहों पर तरल पदार्थ का अतिरिक्त संचय होने लगता है।
  • कमजोरी: गुर्दे की बीमारी का एक सामान्य लक्षण है शुरुआत में थकावट का होना। जैसे-जैसे गुर्दे की खराबी बढती जाती है यह लक्षण और अधिक स्पष्ट होता जाता है। सामान्य दिनों की तुलना में वह व्यक्ति अधिक थका हुआ महसूस कर सकता है और ज्यादा गतिविधियों को करने में असमर्थ होता है, तथा उसे बार-बार आराम की आवश्यकता होती है। ऐसा काफी हद तक रक्त में विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों के संचय के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे खराब होते जाते हैं। गैर-विशिष्ट लक्षण होने के नाते इसे अक्सर अधिकांश लोगों द्वारा अनदेखा किया जाता है और इसकी पूरी तरह से जांच नहीं की जाती है।

  • भूख में कमी: यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे विषाक्त पदार्थों के जमा होने से व्यक्ति की भूख कम होने लगती है। इसके अलावा, जैसे-जैसे गुर्दे की बीमारी बढती जाती है, रोगी के स्वाद में बदलाव होता जाता है, जिसे अक्सर रोगियों द्वारा धातु के रूप में बताया जाता है। यदि किसी को दिन में बिना कुछ खाए भी पेट भरे का अहसास होता हो, तो दिमाग में खतरे की घंटी बजनी चाहिए और उसके गुर्दे की जांच करवानी चाहिए।
  • सुबह की मिचली और उल्टी: गुर्दे के खराब होने के शुरुआती लक्षणों में से एक और लक्षण है सुबह-सुबह मिचली और उल्टी का होना, और इसका पता तब चलता है जब रोगी सुबह बाथरूम में अपने दांतों को ब्रश करता है। इससे व्यक्ति की भूख भी कम होती जाती है। गुर्दे फेल होने के अंतिम चरण में, मरीज को बार-बार उल्टी आती है और भूख कम लगती है।
  • एनीमिया: हीमोग्लोबिन का स्तर गिरना शुरू हो जाता है, और व्यक्ति पीला दिखने लग सकता है, बिना शरीर से खून का बाहर हुए। यह गुर्दे की बीमारी की सामान्य जटिलताओं में से एक है। इससे कमजोरी और थकान भी हो सकती है। कई कारणों से यह एनीमिया होता है जिसमें एरिथ्रोपोइटिन का स्तर कम होना(गुर्दे में एरीथ्रोपोइटिन संश्लेषित किया जा रहा है), लोहे का स्तर कम होना, विष संचय के कारण अस्थि मज्जा का दमन होना इत्यादि होता है।

  • पेशाब करने की आवृत्ति में परिवर्तन: किसी को अपने मूत्र उत्पादन पर बहुत सावधानी से ध्यान रखना पड़ता है। उदाहरण के लिए, रोगी के मूत्र उत्पादन में कमी हो सकती है या उसे अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है, विशेष रूप से रात में (जिसे रात्रिचर कहा जाता है)। यह एक चेतावनी का संकेत हो सकता है और यह संकेत दे सकता है कि गुर्दे की फ़िल्टरिंग इकाइयाँ क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं या क्षतिग्रस्त होने की प्रक्रिया में हैं। कभी-कभी यह पुरुषों में कुछ मूत्र पथ के संक्रमण या बढ़े हुए प्रोस्टेट का संकेत भी हो सकता है। इस प्रकार, मूत्र उत्पादन में एक परिवर्तन (वृद्धि या कमी) को अपने नेफ्रोलॉजिस्ट को तुरंत सूचित करना चाहिए।
  • मूत्र में झाग या रक्त का होना: पेशाब में अत्यधिक झाग मूत्र में प्रोटीन की उपस्थिति को इंगित करता है (जो सामान्य परिस्थितियों में नगण्य होना चाहिए)। जब गुर्दे का फ़िल्टरिंग तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है या क्षतिग्रस्त हो रहा होता है, तो प्रोटीन, रक्त कोशिकाएं मूत्र से रिसने लगती हैं। गुर्दे की बीमारी का संकेत देने के अलावा, मूत्र में रक्त ट्यूमर, गुर्दे की पथरी या किसी भी तरह के संक्रमण का संकेत दे सकता है। साथ ही, बुखार या ठंड लगने के साथ पेशाब से निकलने वाला मवाद गंभीर हो सकता है और फिर से गंभीर मूत्र पथ के संक्रमण का संकेत हो सकता है। इस प्रकार मूत्र के रंग, स्थिरता या प्रकृति में परिवर्तन को गुर्दे के विशेषज्ञ को जल्द से जल्द सूचित किया जाना चाहिए।
  • सूखी और खुजली वाली त्वचा: सूखी और खुजली वाली त्वचा गुर्दे की बीमारी के उन्नत होने का संकेत हो सकती है। जैसे-जैसे गुर्दे की कार्य क्षमता कम होते जाती है, शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमाव होता जाता है, जिससे त्वचा में खुजली, सूखापन और दुर्गंध होती है।
  • पीठ दर्द या पेट के निचले हिस्से में दर्द: पीठ, बाजू या पसलियों के नीचे दर्द गुर्दे की गड़बड़ी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं जैसे कि गुर्दे की पथरी या पाइलोनफ्राइटिस। इसी तरह, पेट के निचले हिस्से में दर्द मूत्राशय के संक्रमण या एक मूत्रवाहिनी (गुर्दे और मूत्राशय को जोड़ने वाली ट्यूब) में पत्थर होने से जुड़ा हो सकता है। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और एक्स-रे केयूबी या अल्ट्रासाउंड एब्डोमेन जैसे नियमित इमेजिंग अध्ययन द्वारा आगे की जांच की जानी चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप: किडनी की बीमारी का एक लक्षण उच्च रक्तचाप हो सकता है। उच्च रक्तचाप का निदान करने वाले किसी भी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप के वृक्क एटियलजि का पता लगाने के लिए गुर्दे की कार्यप्रणाली और गुर्दे की इमेजिंग का विस्तृत विवरण होना चाहिए। जैसे-जैसे गुर्दे की कार्यक्षमता बिगड़ती जाती है, शरीर में सोडियम और पानी जमने लगते हैं जिससे उच्च रक्तचाप होता है। उच्च रक्तचाप के लक्षणों में सिरदर्द, पेट में दर्द, अँधेरा छाना और शायद गुर्दे की बीमारी के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं।

चेतावनी के संकेतों की पहचान की जागरूकता होने पर और समय पर इलाज करने पर गुर्दे की गड़बड़ी या गुर्दे की विफलता से बचा जा सकता है अन्यथा रोगी को डायलिसिस, या गुर्दा प्रत्यारोपण करवाना पड़ता है और ज्यादा लापरवाही करने पर उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

कमजोर किडनी में क्या खाएं?

 किडनी से संबंधित सभी रोग कई खतरनाक स्थितियां पैदा कर सकते हैं. किडनी की समस्या अधिकतर खान-पान से जुड़ी हुई होती है इसलिए किडनी के मरीजों को अपने खान-पान को लेकर अधिक सतर्क रहना चाहिए. जब हमारी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही होती है तो हमारे शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं जैसे, हमारा खून खराब हो सकता है, हमारे शरीर में हार्मोनल इम्बैलेंस हो सकता है और यदि खान-पान ठीक ना रहे तो यह समस्याएं और अधिक बढ़ कर जानलेवा साबित हो सकती है. किडनी मूत्र उत्पादन के लिए भी जिम्मेदार होती है इसलिए इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. 



किडनी रोगी खा सकते हैं, ये फूड्स :

फूलगोभी :
हेल्थ लाइन के अनुसार फूलगोभी एक पौष्टिक सब्जी है जो विटामिन सी, विटामिन के और बी विटामिन फोलेट सहित कई पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत भी है. सब्जियों में आलू के स्थान पर फूल गोभी का प्रयोग किया जा सकता है.

ब्लूबेरी :
ब्लूबेरी यानी जामुन, ये पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं, इसलिए इसे आप खा सकते हैं. इसमें मौजूद पोषक तत्व किडनी के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं.


लाल अंगूर :
लाल अंगूर वैसे तो स्वास्थ्य के लिए अच्छे ही होते हैं साथ में ये विटामिन सी में उच्च होते हैं और इनमें फ्लेवोनोइड्स नामक एंटीऑक्सिडेंट भी पाया जाता है. ये किडनी के लिए फायदेमंद होते हैं.

लहसुन :
लहसुन को सोडियम का अच्छा स्रोत माना जाता है और इसका उपयोग नमक के स्थान पर भी किया जा सकता है. यह मैंगनीज, विटामिन सी और विटामिन बी 6 का भी अच्छा स्त्रोत है.

जैतून का तेल :
जैतून का तेल फास्फोरस मुक्त होता है और यह गुर्दे की बीमारी वाले लोगों के लिए अपने खानपान में शामिल करने लायक खाद्य पदार्थ है. जैतून के तेल में अधिकांश वसा एक मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है जिसे ओलिक एसिड कहा जाता है जो किडनी की सूजन कम करता है.

पत्ता गोभी :
यह विटामिन के, विटामिन सी, और कई बी विटामिन का एक बड़ा स्रोत है. फूलगोभी की तरह ही यह भी किडनी के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.

किडनी साफ करने के लिए क्या पीना चाहिए?

 हमारे शरीर में मौजूद गुर्दे दो ऐसे छोटे अंग होते हैं जो हमारी रीढ़ के दोनों ओर पसलियों के नीचे स्थित होता है।गुर्दे का मुख्य कार्य ब्लड को छानना और अतिरिक्त पानी को विषाक्त पदार्थों और अन्य अपशिष्टों के साथ बाहर निकालना है, जो शरीर द्वारा पेशाब के रूप में उत्पन्न होते हैं | यह हमारे शरीर के प्रमुख अंगों में से एक होते हैं जिन पर हमारे शरीर की अधिकांश गतिविधियां निर्भर होती हैं। हमारी किडनी या हार्मोन बनाने और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही साथ या शरीर में मौजूद कचरों को बाहर निकालने का भी काम करती हैं। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में भी कई उपाय बताए गए हैं। कुछ ऐसे आसान नुस्खे हैं जिनकी मदद से आप अपनी किडनी को डिटॉक्स कर सकते हैं, इससे ना सिर्फ आपकी किडनी अच्छी तरह से काम करेगी बल्कि भविष्य में होने वाले रोगों के होने की संभावनाएं भी कम हो जाएंगी।किडनी को आप स्वस्थ खानपान और पर्याप्त पानी पीकर हेल्दी रख सकते हैं. यदि आप अनहेल्दी खानपान करेंगे, तरल पदार्थों का सेवन भरपूर नहीं करेंगे और टॉक्सिन पदार्थों के संपर्क में आएंगे, तो किडनी की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे में किडनी की भी साफ-सफाई बेहद जरूरी है |


किडनी को  फ्लश करे .....

किडनी फ्लश यानी किडनी की साफ-सफाई करना, उसे क्लिंज करना. यह एक प्रकार का डिटॉक्स डाइट है, जिसमें किडनी को सही तरीके से कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया है. गुर्दे की सफाई कई तरह से की जा सकती है. आप कुछ फूड्स के सेवन से भी किडनी को साफ और स्वस्थ रख सकते हैं. जानें, किडनी को डिटॉक्स करने के लिए क्या फूड्स खाना चाहिए. ये फूड्स किडनी में जमे हुए विषाक्त और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं, जिससे गुर्दे की बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है. हालांकि, वर्तमान में कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है कि किसी खास तरीके या फूड्स के जरिए गुर्दे की सफाई की जा सकती है. लेकिन, हेल्दी खानपान और भरपूर तरल पदार्थों के सेवन से किडनी को स्वस्थ रखने में जरूर मदद मिल सकती है.

गर्म पानी के साथ अदरक और धनिया बीज

किडनी की सफाई के लिए गर्म पानी एक अच्छा विकल्प है। आप 1 लीटर पानी में 5 ग्राम अदरक और 5 ग्राम तक धनिया के बीज को लेकर एक साथ उबाल सकते हैं। इस सामग्री को तब तक उबालना है जब तक 1 लीटर पानी पक कर 10 ग्राम तक ना हो जाए। इसे गुनगुना होने दें और फिर सेवन करें।

क्या आप जानते हैं कि हर अंग को सही तरीके से अपना कार्य करने के लिए पानी की जरूरत होती है. ठीक उसी तरह से किडनी को भी लिक्विड पदार्थ की जरूरत होती है, क्योंकि इसका मुख्य काम होता है फिल्टर करना. किडनी को यूरिन बनाने के लिए पानी की जरूरत होती है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्टों को बाहर निकालता है. मूत्र की कम मात्रा किडनी डिस्फंक्शन, गुर्दे में पथरी बनने से संबंधित है. ऐसे में प्रतिदिन 3 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए.


नारियल पानी और इलायची

नारियल पानी और इलायची भी किडनी की सफाई में एक बराबर काम करता है। हरे कच्चे नारियल के पानी में इलायची पाउडर डालकर पीना किडनी डिटॉक्स में फायदेमंद हो सकता है। 12ml नारियल पानी में 2 ग्राम इलायची पाउडर डालकर आप सेवन कर सकते हैं।

अगर आप किडनी से जुड़ी किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो इन नुस्खों का प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह ले सकते हैं। क्योंकि यह नुस्खे सिर्फ उन लोगों के लिए है नींद की किडनी स्वस्थ है उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है।


बेरीज फलों का सेवन करें
अधिकतर बेरीज में एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइटोकेमिकल्स और किडनी की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने वाले प्रभाव होते हैं. इससे इंफ्लेमेशन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस भी कम होता है. किडनी को फ्लश करने की जब बात आती है, तो ब्लूबेरी और क्रेनबेरीज का सेवन अधिक करना चाहिए. क्रैनबेरी यूरिनरी ट्रैक्ट को शांत रखते हैं और संक्रमण से बचाते हैं. ब्लूबेरीज में पोटैशियम, सोडियम और फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है, ऐसे में इनका सेवन आप कर सकते हैं.

खूब खाएं तरबूज, अनार
तरबूज में भरपूर मात्रा में पानी, फाइबर और कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो किडनी को नुकसान होने से बचा सकते हैं. तरबूज में यौगिक लाइकोपीन होता है, जो किडनी डैमेज होने पर इंफ्लेमेशन होने से बचाता है.. तरबूज शरीर में साइट्रेट, कैल्शियम, फॉस्फेट, ऑक्सालेट के लेवल को बैलेंस करने में भी मदद कर सकता है. अनार में पोटैशियम काफी होता है, जिसे किडनी को क्लिंज करने वाली डाइट में शामिल किया जा सकता है. पोटैशियम गुर्दे की पथरी के जोखिम को कम कर सकता है. गुर्दे से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट को बाहर निकालने में मदद कर सकता है. बावजूद इसके, तरबूज और अनार में अधिक मात्रा में पोटैशियम होता है, जिनका सेवन किडनी क्लिंज के दौरान अत्यधिक नहीं करना चाहिए.
पोटैशियम उन मिनरल्स में से एक है, जिसे किडनी की कार्यक्षमता में किसी भी तरह की खराबी आने पर उसे साफ कर पाना मुश्किल होता है.


किडनी में समस्या होने पर नजर आने वाले लक्षण
– थकान महसूस होना
– जी मिचलाना
– खुजली होना और रूखी त्वचा
– एड़ियों में सूजन होना
– ब्रेन फॉग
– पैरों में दर्द होना
– बार-बार किडनी में स्टोन होना
– यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होना
– मुंह में खराब स्वाद आना
– पेशाब जल्दी होना, रंग में बदलाव

हेल्दी रहने के लिए क्या करना चाहिए?

लंबे वक्त तक जीने के लिए और बीमारियों से दूर रहने की सबसे बेहतर दवा एक हेल्दी लाइफस्टाइल है। यह इतना बड़ा काम भी नहीं है, आप बस अपने आहार और व्यायाम में बदलाव करके अपने तनाव को आराम से दूर कर सकते हैं। इसे एक जिद या जुनून न बनाते हुए आप खुद की नई खोज में एक बेहतर सफर तय कर सकते हैं। आइए देखते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या काम की चीज है।

  1. व्यायाम 

रोजाना व्यायाम आपकी बढ़ती उम्र के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। अपने डेली के लाइफस्टाइल में आप इसे शामिल करेंगे तो यह आपको आँखों की रोशनी सुधार करता है, ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है, दुबली मांसपेशियों को बेहतर बनाता है, कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और हड्डियों के घनत्व में सुधार करता है। आप रोजाना जॉगिंग करें, अपने बच्चों या किसी ऐसे पड़ोसी के साथ पार्क में जाएं, आप चाहें तो रस्सी कूद सकते हैं, या कुछ अन्य एक्टिविटी कर सकते हैं, जिससे आपके शरीर में फुर्ती बनी रहेगी।


  1. सही भोजन का सेवन करें 

आप दिनभर में लगभग पांच सब्जियों का सेवन करने की कोशिश करें। आप उन्हें किसी भी तरह से खा सकते हैं या तो कच्ची या फिर उबाल कर या तल कर। सब्जियों के ज्यादा मात्रा में सेवन से फेफड़ों, बृहदान्त्र, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, अन्नप्रणाली, पेट, मूत्राशय, अग्न्याशय, और अंडाशय के कैंसर का जोखिम कम होता है। पांच सब्जियों के सेवन से आप वजन भी घटा सकते हैं, और यह आपकी भूख को भी कम करेगा।

  1. पर्याप्त पानी पिए

अच्छे स्वास्थ्य शरीर को बनाए रखने के लिए हाइड्रेटेड रहना बहुत महत्वपूर्ण है। पानी हमारे शरीर से गंदगी को बाहर निकालने में मदद करता हैै, इससे हमारी पाचन क्रिया बेहतर रहती हैै, कीमोथेरेपी के परिणाम को रोकता है, इसके निर्माण को रोकता है, मांसपेशियों को सक्रिय करता है और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। एक स्वास्थ्य शरीर के लिए दिन में पानी का सेवन करते रहें।

  1. ध्यान करें

ध्यान के अच्छे और लंबे समय तक चलने वाले लाभ होते हैं। यह तनाव को कम करता है, हमें तांत्रिकाओं को काबू में करता हैै, इससे हमारे फोकस मे सुधार करता है और दर्द को ठीक करता है। पर्याप्त अभ्यास के साथ यह माइंडफुलनेस, ब्रेन चैटर को कम करता है, ध्यान करने से आपके जीवन की आदतों में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं।

  1. नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाएं

वक्त-वक्त डाॅक्टर से नियमित रूप से अपनी जांच कराएं, भले ही आप बिल्कुल ठीक हो। ऐसा करने से यदि आपके शरीर में कोई बीमारी पनप नहीं हो तो उसका जल्दी पता लगाया जा सकता है और इसकी रोकथाम की जा सकती हैै। ऐसे में आप आपके स्वास्थ्य जोखिम को कम कर सकते हैं, अपने शरीर को लेकर अगर आप बेफिक्र रहेंगे तो आपको रात में अच्छी नींद भी आएगी।


  1. स्वस्थ वजन बनाए रखें

एक शरीर का स्वस्थ्य वजन आपको हेल्दी रखने में मदद करता है। आपको अपने शरीर का बॉडी मास इंडेक्स जानने की जरूरत है, इसके लिए आप एक उपकरण का उपयोग कर सकते हैं जिससे आप अपने सही वजन के बारे में जानकारी हासिल कर पाएंगे। बीएमआई यह बताता है कि आपके शरीर में कितनी अधिक चर्बी है। आमतौर पर बीएमआई 18.5 और 22.9 के बीच होना चाहिए।  

  1. कुछ लक्ष्य निर्धारित करें 

अक्सर आपके स्वास्थ्य लक्ष्यों का सबसे बड़ा दुश्मन मुफ्त की सलाह होती हैै, जिसे सुनते-सुनते आप बोर हो जाते हैं। आप एक समय में एक चीज करें, किसी भी चीज की धीरे-धीरे शुरूआत करें, सकारात्मक आदतों को अपनाएं। सोडा के कैन के बजाय दो गिलास पानी का सेवन करें। आप जब वर्क आउट शुरू करें तो आप एक दम से ज्यादा न करें, आप धीरे-धीरे इसकी शुरूआत कर सकते हैं। 

  1. रात में अच्छी नींद लें 

आराम और ध्यान का एक बेहतर तरीका है, दूध का एक गर्म गिलास और बिस्तर पर जाने से पहले हल्के गुनगुने पानी से स्नान। यह दोनों आपको एक अच्छी व आरामदायक नींद दिलाने में मदद कर सकते हैं। आप कोशिश करें कि सोने से पहले आप खाना न खाएं, सोने और रात के खाने के बीच कुछ वक्त का अंतराल रखें, अपने बेडरूम में अंधेरा करने से आपको अच्छी नींद आएगी और तनाव नहीं होगा। आप चाहें तो दिमाग में आए कुछ विचारों को लिख सकते हैं, इससे आपको अच्छा महसूस होगा।

  1. शराब का सेवन न करें 

ज्यादा शराब के सेवन को न कहना ही बेहतर है। अल्कोहल का हमारे मन−मस्तिष्क पर गहरा विपरीत प्रभाव पड़ता है। शराब आपके दिल और फेफड़ों को प्रभावित कर सकती है। जो लोग शराब पीते हैं, उन्हें दिल संबंधी बीमारियाँ होने का जोखिम काफी अधिक होता है। ऐसे व्यक्तियों को उच्च रक्त चाप से लेकर अनियमित दिल की धड़कन, शरीर के माध्यम से रक्त पंप करने में कठिनाई, वजन का बढ़ना, आघात, दिल का दौरा, दिल की बीमारी, हृदय का रुक जाना आदि परेशानियां हो सकती हैं।

  1. तम्बाकू से दूर रहें

तंबाकू में निकोटिन होता है जो हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसे लेने से राहत तो महसूस होती है लेकिन जल्द ही इसकी ऐसी लत लग जाती है कि फिर इसे छोड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि तम्बाकू का सेवन करने वाले ढेरों लोग चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पाते। कई लोगों को सिगरेट पीने की लत लग जाती है, ऐसे में आप इसे छोड़ने की कोशिश करें। सिगरेट पीने का मन करें तो आप उसके लिए कुछ बेहतर विकल्पों का चयन कर सकते हैं।

  1. घर का खाना खाएं 

हमारी व्यस्त लाइफ में, घर में भोजन बनाना काफी मुश्किल हो जाती है, लेकिन खुद को स्वस्थ्य रखने के लिए हमें बाहर के खाने का सेवन बंद करना चाहिए। घर का बना खाना ज्यादा हेल्दी, साफ और सुरक्षित होता है। घर में बना खाना हमें मोटापे व कई अन्य बीमारियों से दूर रखता है। आप छुट्टी के दिन अलग-अलग तरीकों से खाना बनाकर उसका स्वाद ले सकते हैं।

  1. हेल्दी स्नैक का सेवन करें 

यदि आप बहुत ज्यादा सैचुरेटेड फैट वाले भोजन का सेवन करते हैं तो इससे आपके रक्त में कॉलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ सकती है। यदि ऐसा हुआ तो कोरोनरी ह्रदयरोग का गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। आप हृदय रोग और पुरानी बीमारियों के अपने जोखिम को कम करने के लिए एंटी-इंफ्लेमेटरी ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। आप दूध, अंडे और पनीर ओमेगा -3 वाले पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।s

  1. अपने दाँत मत भूलना

अध्ययन की मानें तो दाँतों की स्वच्छता हृदय रोग, निमोनिया, अस्वास्थ्यकर गर्भावस्था, अल्जाइमर और स्तंभन दोष के लिए आपके जोखिम को कम करती है। ऐसे में अपने दाँतों की देखभाल को नज़रअंदाज़ न करें। 

  1. अपने लिए कुछ वक्त निकाले और लोगों से मिलें

यदि आप डेस्क जॉब करते हैं, जो आपके सप्ताह के 60 या अधिक घंटों तक काम करते हैं, तो अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करें। आँफिस से अपने घर वापस जाते समय एक फिटनेस क्लास ले सकते हैं, अपने बच्चों या पालतू जानवरों को टहलाने जा सकते हैं, पड़ोसियों के साथ बातचीत कर सकते हैं और सह कर्मियों के साथ बाहर लंच या डिनर पर जा सकते हैं। 

  1. खुश रहें

स्वस्थ रहने के लिए कृतज्ञता आभार सबसे बेहतर उपकरणों में से एक हो सकता है। यह शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य में सुधार करता है, सहानुभूति को बढ़ाता है, आक्रामकता को कम करता है, मानसिक शक्ति और आत्म-सम्मान में सुधार करता है। यह नए रिश्तों के लिए दरवाज़े भी खोलता है। 

अपनी किडनी को डिटॉक्स करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

 हमारा शरीर कई तरह के टॉक्सिन्स को फिल्टर और बाहर निकालने का काम करता है, जिसमें सबसे अहम भूमिका किडनी निभाती है। किडनी हमारे खून को साफ कर...