किडनी इन्फेक्शन के लक्षण

 

किडनी इंफेक्शन से बचने के लिए जरूरी है कि हम इसके शुरुआती लक्षणों को पहचान लें और सेहत के लिए जरूरी सतर्कता को अपना लें। यहां जानें, क्या होते हैं किडनी इंफेक्श के लक्षण...

किडनी में इंफेक्शन होने के कई कारण होते हैं। इनमें अनजाने में गंदा या इंफेक्टेड पानी पी लेना, कुछ ऐसा खा लेना जिसमें हार्मफुल बैक्टीरिया पनप चुके हों और हमें पता ना चला हो। साथ ही कई दवाइयों के खाने से हुआ इंफेक्शन भी किडनी को बीमार बना देता है। यहां जानें जब किडनी में इंफेक्शन हो जाता है तो हमारा शरीर कैसे संकेत देता है...


क्यों होता किडनी इंफेक्शन?

गलत खान-पान के अलावा कई बार ब्लैडर इंफेक्शन और यूरेथ्रा (यूरिन के शरीर से बाहर निकालनेवाली ट्यूब) भी किडनी इंफेक्शन के कारण हो सकते हैं। ऐसे केस में बैक्टीरिया ब्लेडर या यूरेथ्रा में पनपता है और बढ़ते-बढ़ते किडनी तक पहुंच जाता है।

किडनी इंफेक्शन यूटीआई का ही एक पार्ट माना जाता है। लेकिन यह यूटीआई का गंभीर रूप और परिणाम है। इसलिए किडनी इंफेक्शन को 'कॉम्प्लिकेटेड यूटीआई' भी कहा जाता है।

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण या किडनी में इन्फेक्शन के लक्षण, किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य, आयु और संक्रमण की गंभीरता से अत्यधिक प्रभावित हो सकते हैं। कुछ सामान्य किडनी इन्फेक्शन के लक्षण या किडनी में इन्फेक्शन के लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. लगातार बुखार के साथ ठंड लगना 
  2. पीठ, फ्लैंक या पेट में दर्द का अनुभव 
  3. बार-बार पेशाब आना 
  4. पेशाब करते समय दर्दनाक जलन होना 
  5. मूत्र में मवाद या खून आना 
  6. मतली और उल्टी आना 
  7. कमज़ोरी और अस्वस्थता का अनुभव 

कुछ केसेस में, पुराने वयस्कों और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में किडनी में इन्फेक्शन के लक्षण या किडनी इन्फेक्शन के लक्षण कम विशिष्ट या कम गंभीर हो सकते हैं, जिससे निदान के समय अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 

किडनी इंफेक्शन के लक्षण

किडनी में होनेवाले ज्यादातर इंफेक्शन का संकेत हमारा शरीर यूरिन के जरिए देता है। यूरिन का रंग, स्मेल और मात्रा या यूरिन पास करने के दौरान होनेवाली असहजता के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि किडनी में इंफेक्श हो गया है।

लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि किडनी इंफेक्शन के लक्षण केवल यूरिन द्वारा ही पता किए जा सकते हैं। कई बार तेज बुखार और बहुत अधिक सर्दी लगना भी किडनी इंफेक्शन की तरफ इशारा हो सकता है। हालांकि इनके साथ ही अन्य लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं।

कमर दर्द और नोज़िया

कमर के निचले हिस्से में लगातार हल्का या तेज दर्द बना रहना भी किडनी इंफेक्शन का एक लक्षण हो सकता है। हालांकि यूरिन से जुड़ी दिक्कत लगभग हर अन्य लक्षण के साथ दिखाई देती है।

इसके साथ ही व्यक्ति को मन खराब होना, कुछ खाने की इच्छा ना करना, लगातार ऐसा महसूस होना कि अभी उल्टी आ जाएगी...ये सब भी किडनी इंफेक्शन से जुड़े हो सकते हैं।

यूरिन कलर से पहचानें किडनी इंफेक्शन

अगर आपके यूरिन का कलर साफ और ट्रांसपैरंट पानी की तरह ना होकर धुंधला है और इसे पास करते समय आपको स्मेल भी आ रही है तो यह किडनी इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।

यूरिन का रंग हल्का गुलाबी या हल्का लाल लगने पर आपको सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि यूरिन के ऐसे रंग का अर्थ है कि आपके पेशाब के साथ मिलकर बॉडी से ब्लड की कुछ मात्रा आ रही है।

यूरिन का रंग गुलाबी या लाल होना इस तरफ इशारा करता है कि आपके यूरिनरी ट्रैक्ट में ब्लीडिंग यानी खून का रिसाव हो रहा है। इसलिए तुरंत डॉक्टर से बात करें।


लगता है लेकिन यूरिन आता नहीं

यूरिन इंफेक्शन और किडनी इंफेक्शन में यह बहुत ही कॉमन लक्षण है कि इस दौरान व्यक्ति को लगता है कि उसे बहुत तेज यूरिन आ रहा है लेकिन जब वह यूरिन पास करने की कोशिश करता है तो पेशाब नहीं आता। लेकिन पेशाब आने के प्रेशर का अहसास लगातार होता रहता है।

यदि कुछ लोगों को बार-बार अहसास होने के बाद पेशाब आता भी है तो इसकी मात्रा बहुत कम होती है और पेशाब करते समय तेज जलन और चुभन होने की समस्या होती है।

पेल्विक एरिया में दर्द

पेल्विक बोन के ऊपर हिस्सा पेल्विक एरिया कहलाता है। यानी आपकी नाभि के नीचे और प्राइवेट पार्ट के बीच का हिस्सा। जहां शरीर का ऊपरी हिस्सा शरीर के निचले हिस्से के साथ जुड़ता है।

किडनी इंफेक्शन होने की स्थिति में व्यक्ति को पेल्विक एरिया में दर्द हो सकता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है तेज भी। कुछ लोगों को यह दर्द अचानक उठता है जबकि कुछ में इंफेक्शन होने के बाद लगातार बना रह सकता है।


किडनी इंफेक्शन का इलाज

किडनी इंफेक्शन का इलाज आपको डॉक्टर से ही कराना चाहिए बजाय इसके कि आप मेडिकल से दवाइयां लेकर खाएं या घरेलू नुस्खे अपनाएं। क्योंकि आपकी स्थिति कितनी गंभीर है यह डॉक्टर ही बता सकते हैं।

कुछ लोगों की स्थिति किडनी इंफेक्शन के चलते इतनी गंभीर भी हो सकती है कि उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़े। जबकि ज्यादातर लोगों को प्राइमरी चेकअप के बाद दवाएं देकर घर भेज दिया जाता है।

आमतौर पर किडनी इंफेक्शन की दवाएं एक सप्ताह तक चलती हैं और व्यक्ति पूरी तरह ठीक हो जाता है। हालांकि कुछ केस में इसका वक्त बढ़ सकता है। यदि किडनी इंफेक्शन का समय पर इलाज ना कराया जाए तो यह जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।

किडनी के लिए कौन सा व्यायाम करना चाहिए?

 टहलना या वाकिंग करना हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है. इससे किडनी से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो सकती हैं. रोजाना कम से कम आधा घंटा टहलना चाहिए.हमारे शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों में एक है किडनी, जो शरीर में फिल्टर का काम करती है. हम जो भी कुछ खाते हैं, उसमें से पोषक तत्वों के साथ हानिकारक तत्व होते हैं, जिन्हें किडनी खून से हानिकारक पदार्थों को फिल्टर करता है और पेशाब के माध्यम शरीर से बाहर निकाल देता है. इसके अलावा, किडनी ब्लड प्रेशर और शरीर के अन्य रसायनों के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है.

हालांकि, आजकल की लाइफस्टाइल और खराब खान-पान के चलते किडनी की सेहत खराब हो सकती है और इससे जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती है. इसमें किडनी में सूजन, कमजोर होना, डैमेज जैसी समस्याएं शामिल हैं. किडनी की अच्छी सेहत के लिए अच्छा खानपान के साथ व्यायाम भी जरूरी है. हाई बीपी और डायबिटीज के मरीजों में किडनी खराब होने का चांस ज्यादा रहता है. आइए जानते हैं कुछ एक्सरसाइज के बारे में, जिससे किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है.


वॉकिंग
टहलना या वाकिंग करना हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है. इससे किडनी से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो सकती हैं. रोजाना कम से कम आधा घंटा टहलना चाहिए. वॉक करने से दिल से जुड़ी समस्याएं को भी दूर किया जा सकता है. टहलने से शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है.

स्विमिंग
एक्सपर्ट के मुताबिक, किडनी की सेहत के लिए स्विमिंग को एक अच्छी एक्सरसाइज मानी जाती है. स्विमिंग से मेटाबॉलिज्म और किडनी में सूजन को कम किया जा सकता है.

साइकिलिंग
वाकिंग और स्विमिंग के अलावा, साइकिलिंग से भी किडनी की सेहत अच्छी की जा सकती है. डायलिसिस कराने वाले लोग भी साइकिलिंग कर सकते हैं. साइकिलिंग करने से मोटापा व अन्य बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है. इससे मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं.


भुजंगासन

भुजंगासन जिसे कोबरा पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के रोजाना अभ्यास से किडनी स्टोन से राहत मिलती है। यह किडनी को स्ट्रेच करता है और ब्लॉकेज को साफ करता है। फर्श पर सपाट लेट जाएं। दोनों हाथों को शरीर के पास रखें, हथेलियां फर्श के संपर्क में हों और कोहनियां कूल्हों को स्पर्श करें। गहरी सांस लें, शरीर के ऊपरी हिस्से को जमीन से ऊपर उठाएं, पीछे की ओर झुकें और दोनों हाथों का उपयोग करके संतुलन बनाएं। इस मुद्रा को 15 से 30 सेकेंड तक बनाए रखें, फिर सांस छोड़ें और प्रारंभिक सपाट स्थिति में वापस फर्श पर आ जाएं।

सेतु बंधासन 

पीठ के बल सीधे लेटकर आसन की शुरुआत करें। अब अपने घुटनों और कोहनियों को मोड़ें। अपने पैरों को फर्श पर कूल्हों के पास और अपने हाथों को सिर के दोनों ओर मजबूती से रखें। अपने दोनों हाथों और पैरों को जमीन पर सहारा देते हुए धीरे-धीरे अपने शरीर को हवा में ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस धनुषाकार मुद्रा को 20-30 सेकंड के लिए पकड़ें और धीरे-धीरे अपने शरीर को एक खड़ी मुद्रा में लाएं।


पश्चिमोत्तानासन 

एक समतल, समतल सतह पर फर्श पर बैठ जाएं। दोनों पैरों को पूरी तरह आगे की ओर तानें, पैरों को सीधे ऊपर की ओर इशारा करते हुए। गहरी सांस लें और दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं। फिर सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर मोड़ें और घुटनों को छूने की कोशिश करें, रीढ़ की एक आरामदायक मुद्रा बनाए रखें। दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी से बड़े पैर की उंगलियों को पकड़ें। इस मुद्रा में 10 सेकेंड तक रहें, फिर धीरे-धीरे हाथों को छोड़ दें, धड़ को ऊपर उठाएं और वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।


नौकासन 

पीठ को नीचे की ओर करके जमीन पर सपाट लेटकर शुरुआत करें। दोनों भुजाओं को शरीर के दोनों ओर रखें। श्वास पैटर्न को नियंत्रित करने के लिए कुछ चक्रों के लिए धीरे-धीरे श्वास लें और छोड़ें। फिर दोनों पैरों को ऊपर उठाते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को जमीन से ऊपर उठाएं।दोनों हाथों को शरीर और घुटनों के बीच फैलाकर सीधे आगे की ओर रखें। बेहतर मांसपेशियों के लचीलेपन और संतुलन को प्राप्त करने के लिए कम से कम 5 मिनट के लिए नाव की तरह इस स्थिति में रहें। सांस छोड़ते हुए शरीर को आराम दें, धीरे-धीरे इसे वापस जमीन पर लाएं। नौकासन का नियमित रूप से अभ्यास करते हुए, इस अभ्यास के अधिकतम लाभ प्राप्त करने और शरीर में रक्त परिसंचरण में काफी सुधार करने के लिए नाव की मुद्रा को 5 मिनट से बढ़ाकर 20 मिनट करें।



सुप्त बद्धकोणासन

फर्श पर सपाट लेट जाएं। धीरे से अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों को अपने दोनों पैरों के बाहरी किनारों के साथ फर्श पर लाएं। लेटने की स्थिति में, अपनी एड़ी को अपने कमर के करीब लाने की कोशिश करें। आप अपनी भुजाओं को बगल में, अपनी जघों पर टिका कर रख सकते हैं या उन्हें अपना सिर ऊपर उठाकर जोड़ सकते हैं। अब पूरे आसन के दौरान स्वाभाविक रूप से सांस लेते हुए 1-2 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें। मुद्रा से बाहर निकलने के लिए, धीरे-धीरे अपने घुटनों को सीधा करें, एक तरफ मुड़ें और फिर धीरे-धीरे उठें।



“देश भर में किडनी केयर एंड मैनेजमेंट  के लिए  स्पेशल न्यूट्रीशनिस्ट  के रूप में काम कर रही एफबोटे कहती हैं, “ मेरा सुझाव है कि शारीरिक गतिविधियों को गुर्दे की बीमारी वाले रोगियों की  ​​​​देखभाल में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए।

किसी भी शारीरिक गतिविधि से पहले अपने नेफ्रोलॉजिस्ट से बात करना अनिवार्य है जो यह बताएं कि आप कौन से व्यायाम सुरक्षित रूप से कर सकते हैं और आपके द्वारा की जाने वाली शारीरिक गतिविधि की समय सीमा क्या होनी चाहिए। यदि आप किडनी संबंधी या अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसे धीरे-धीरे शुरू करें और फिर अवधि और इंटेंसिटी बढ़ाएं। किसी भी चीज़ की अति से बचें। अगर आपको बेचैनी, अत्यधिक थकान, सांस फूलना आदि जैसे लक्षण महसूस हों तो तुरंत रुक जाएं।


 


डायलिसिस से बचने के उपाय

 देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षो में, देश में गुर्दो की तकलीफों वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।


किडनी के पूरी तरह स्वस्थ करने के लिए और डायलिसिस को समाप्त करने के लिए आयुर्वेद के द्वारा कई प्रकार के योग व उपचार से साथ ही कुछ सुझाव भी दिए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार जडी बूटियों, योग, ध्यान और मालिश के द्वारा शरीर को नियमित रूप से डिटॉक्स करना बहुत आवश्यक है, जिससे शरीर में रक्त संचार बेहतर हो सके, पारंपरिक आयुर्वेदिक डिटॉक्स सिद्धांत में कई प्रकार की जड़ी-बूटियांं, सप्लीमेंट्स, पर्ज, एनीमा (जिसका उपयोग आंतों की सफाई के लिए किया जाता है) व स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, भारत में किडनी की बीमारियों पर अभी भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण है कि इस रोग की ठीक से जांच नहीं हो पाती। गंभीर गुर्दा रोग होने पर, कुछ वर्षो में आहिस्ता-आहिस्ता गुर्दो की कार्यप्रणाली मंद होने लगती है और अंतत: गुर्दे एकदम से काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग की अक्सर जांच नहीं हो पाती और लोग तब जागते हैं जब उनके गुर्दे 25 प्रतिशत तक काम करना बंद कर चुके होते हैं।

इस रोग का पता तब चलता है जब रोग तेजी से बढ़ने लगता है। हालांकि, एक बार गुर्दे खराब हो जाने के बाद उन्हें ठीक कर पाना संभव नहीं होता। परेशानी बढ़ने पर, शरीर के अंदर बार बार विषाक्त कचरा एकत्रित होने लगता है।

आइए जानते हैं आयुर्वेद के माध्यम से आप न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि किडनी रोगियों के लिए यह डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण से भी बचाता है। किडनी रोगियों के लिए आयुर्वेदिक उपचार सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।


1-पेन किलर लेने से बचें

किडनी रोगियों को दर्द निवारक दवाओं, सूजन-रोधी दवाओं, नींद की गोलियों आदि दवाओं का ज्यादा उपयोग न करें और खुद से कोई भी दवा लेने से बचें।

2- सीफूड लें

अपने आहार में समुद्री भोजन, अचार, पापड़ जैसे सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। इसके अलावा, अपने प्रोटीन सेवन को नियंत्रित करें और लाल मांस, डेयरी उत्पाद, मशरूम, पालक आदि से बचें। अनाज, सब्जियों और फलों के कम प्रोटीन स्रोतों का विकल्प चुनें।

3-पोटेशियम फूड्स लें

अपनी डाइट में या फिर आपको ऐसे फूड्स का सेवन करना है, जिसमें पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें, इसके बजाय कम पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ जैसे सेब, पपीता, मूली, और गाजर खाएं।

4-फैटी फूड्स न लें

आपको किडनी को हेल्दी रखने के लिए फैटी फूड्स, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, बेकरी आइटम और पुराने खाद्य पदार्थो सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। आप इसके बजाए ताजा खाना खाएं।

5-इन बीमारियों पर रखें नजर

ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर लेवन और शरीर के वजन को नियंत्रित करके अपने महत्वपूर्ण अंगों की देखरेख करें, समय समय पर स्वास्थ्य का ध्यान रखें, साथ ही धूम्रपान और शराब के सेवन से आप किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं।


किडनी रोगों में सहायक टिप्स

- सक्रिय जीवन : टहलने, दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों से गुर्दो की बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है।

- फास्टिंग शुगर 80 एमबी से कम रहे: मधुमेह होने पर गुर्दे खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी समय रहते जांच करा लेनी चाहिए।

- बीपी 80 एमएम एचजी से कम रहे: उच्च रक्तचाप गुर्दो के लिए घातक हो सकता है, उसे नियंत्रण मंे रखें।

- कमर का साइज 80 सेमी से कम रखें : अच्छा भोजन लें और वजन को नियंत्रण में रखें। इससे मधुमेह दूर रहेगा, दिल की बीमारियां नहीं होंगी और किडनी की परेशानियां भी नहीं होंगी।

- नमक कम खाएं: प्रतिदिन एक व्यक्ति को बस 5-6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। डिब्बाबंद भोजन और होटल के खाने में नमक अधिक रहता है।

- पानी खूब पिएं: प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को सोडियम साफ करने में मदद मिलती है। यूरिया और विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते रहते हैं।

- धूम्रपान न करें : धूम्रपान से गुर्दो को पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह कम होता जाता है और गुर्दो के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।

किडनी की देखभाल कैसे करे ?

 

अपनी किडनी की देखभाल कैसे करें

आपकी रीढ़ के दोनों किनारों पर, आपके गुर्दे आपके पसली के पिंजरे के नीचे स्थित मुट्ठी के आकार के अंग हैं । ये शरीर के बहुत सारे काम करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, वे अतिरिक्त पानी, अपशिष्ट पदार्थ और अन्य दूषित पदार्थों को छानकर आपके रक्त को शुद्ध करते हैं । ये अपशिष्ट पदार्थ आपके मूत्राशय में जमा हो जाते हैं और फिर मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं । आपके गुर्दे आपके शरीर में पीएच, नमक और पोटेशियम के स्तर को भी नियंत्रित करते हैं । वे हार्मोन भी उत्पन्न करते हैं जो लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं । किसी के पूर्ण स्वास्थ्य के लिए उसकी किडनी का स्वास्थ्य बने रहना महत्वपूर्ण है । यदि आपके गुर्दे स्वस्थ हैं तो आपका शरीर कचरे को प्रभावी ढंग से छानता और उसका निर्वहन करता है और आपके शरीर को ठीक से संचालित करने में सहायता करने के लिए हार्मोन बनाता है ।

एक्टिव और फिट रहें

नियमित व्यायाम आपके स्वास्थ्य के लिए कईं तरह से फायदेमंद होता है। यह क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यह ब्लड प्रैशर को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जो कि गुर्दे की क्षति को रोकने में महत्वपूर्ण है । व्यायाम करने के लाभों का आनंद लेने के लिए आपको अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं है। चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना और यहां तक ​​कि नृत्य भी आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे व्यायाम हैं।

अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित करें

मधुमेह या अन्य बीमारी वाले लोग जो हाई ब्लड प्रैशर का कारण बनते हैं, गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकते हैं । जब आपके शरीर की कोशिकाएं आपके खून में ग्लूकोज (शर्करा) का उपयोग नहीं कर पाती हैं, तो आपके गुर्दे को इसे छानने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है । वर्षों के व्यायाम के बाद, इससे जानलेवा चोट लग सकती है । दूसरी ओर, ब्लड शुगर नियंत्रण नुकसान के जोखिम को कम करता है। यदि नुकसान का जल्द पता चल जाता है, तो आपका डॉक्टर आगे होने वाले नुकसान को सीमित करने या रोकने के लिए कदम उठाने में सक्षम हो सकता है 

ब्लड प्रैशर मॉनिटर करें

हाई ब्लड प्रैशर से किडनी खराब हो सकती है। जब उच्च रक्तचाप को मधुमेह, हृदय रोग या उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जोड़ा जाता है, तो परिणाम आपके शरीर के लिए विनाशकारी हो सकते हैं । 120/80 सामान्य बल्ड प्रैशर माना जाता है । यदि आपका ब्लड प्रैशर 139/89 के बीच है तो आपको हाई बल्ड प्रैशर है । इस समय जीवनशैली और पोषण में बदलाव आपके बल्ड प्रैशर को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं । यदि आपका बल्ड प्रैशर लगातार 140/90 से अधिक है, तो यह हाई बल्ड प्रैशर का संकेत हो सकता है । आपको अपने ब्लड प्रैशर पर कड़ी नज़र रखने, जीवनशैली में बदलाव करने और संभवतः दवा लेने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए ।

अपना वजन देखें और स्वस्थ भोजन करें

मोटे या अधिक वजन वाले लोगों को गुर्दे में समस्या के सहित कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का खतरा होता है । इनमें मधुमेह, हृदय रोग और गुर्दे की समस्याएं शामिल हैं । सोडियम, प्रोसेस्ड मीट और अन्य किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों में कम संतुलित आहार खाने से किडनी की क्षति को कम करने में मदद मिल सकती है । फूलगोभी, ब्लूबेरी, सामन, साबुत अनाज, और अन्य ताजे, स्वाभाविक रूप से कम सोडियम वाले खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ।


धूम्रपान न करें

जब आप धूम्रपान करते हैं, तो आपके शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है । परिणामस्वरूप आपके पूरे शरीर और गुर्दे में रक्त का प्रवाह बाधित होता है । धूम्रपान आपके गुर्दे को खतरे में डालता है। यदि आप धूम्रपान छोड़ देते हैं, तो आपका जोखिम कम हो जाएगा । दूसरी ओर, किसी ऐसे व्यक्ति के पास लौटने में, जिसने कभी धूम्रपान नहीं किया है, जोखिम के स्तर को कई साल लगेंगे ।

 


किडनी को स्वस्थ रखने के उपाय क्या है ?

हम सभी जानते हैं, किडनी या किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे शरीर में फिल्टर या छलनी के रूप में गुर्दे। किडनी का उपयोग हमारे शरीर के लिए हानिकारक परिणामों को साफ करने के लिए किया जाता है।  

हमने जो भी भोजन खाया, वह भोजन और हानिकारक है। गुर्दे का फल रक्त से विभाजित होता है और शरीर या मूत्र से अलग होता है।  

क्या आप जानते हैं कि किडनी न केवल शरीर से शरीर से शरीर से शरीर से नुकसान को साफ करने के लिए काम करती है, बल्कि रक्त और रासायनिक दवाओं या रसायनों के सही दबाव को नुकसान पहुंचाने में भी मदद करती है? हां, किडनी ये सभी काम करती है।  

अब यह है कि हम अपनी किडनी किडनी कैसे बना सकते हैं? दरअसल, किडनी को स्वस्थ बनाने के लिए हमें कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है, ताकि हम स्वस्थ जीवन जी सकें। आज के इस लेख में हम किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण उपायों पर चर्चा करेंगे। तो आइए देखें कि वे क्या हैं।

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएँ इन उपायों को

1.) व्यायाम करें

किडनी अपना काम सही रूप से करती रहे हैं इसके लिए ये ज़रूरी है कि हम शरीर में पर्याप्त ऊर्जा बनाए रखें। रिसर्च में इस बात का ख़ुलासा किया गया है कि प्रतिदिन व्यायाम करने से क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ या किडनी से संबंधित होने वाली बीमारियों के होने का ख़तरा कम किया जा सकता है।

इसी के साथ यह भी देखा गया है कि व्यायाम करने या प्रतिदिन फिजिकल एक्टिविटी करने से रक्तचाप के बिगड़ने का ख़तरा कम रहता है। जो लोग प्रतिदिन व्यायाम करते हैं उनमें ब्लड प्रेशर या रक्तचाप नार्मल बना रहता है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम ज़रूरी है। व्यायाम के लिए ये ज़रूरी नहीं कि आप किसी बहुत बड़ी मशीन से ही व्यायाम करें बल्कि प्रतिदिन चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना या डान्स करने से भी शरीर स्वस्थ रहता है।


2.) शुगर या शर्करा की मात्रा पर नज़र रखें

जैसा कि हमने बताया कि किडनी शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकलती है तो हमें उन चीज़ों का सेवन कम करना चाहिए जो शरीर में ज़हरीले पदार्थों को जन्म देती हैं। इसी श्रेणी में शर्करा का भी नाम आता है।

हमें प्रतिदिन शुगर की एक निश्चित मात्रा का ही सेवन करना चाहिए। इस बात का आवश्यक ख़याल रखें कि रक्त में शुगर की निश्चित मात्रा ही हो। यदि रक्त में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ जाती है तो इससे किडनी डैमेज या गुर्दे के ख़राब होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

जिन लोगों को डायबिटीज़ है और जिन्हें हाई ब्लड शुगर की बीमारी है ऐसे लोगों को अपने खानपान का विशेष ख़याल रखना चाहिए। 

डायबिटीज़ और हाई ब्लड शुगर की बीमारी से जूझ रहे लोगों में किडनी के ख़राब होने का ख़तरा सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक होता है।

3.) रक्तचाप सामान्य रखें

नसों में रक्त का प्रवाह अत्यंत सुचारु रूप से होना ज़रूरी है। यदि नसों में रक्त का प्रवाह तेज़ी से होता है तो रक्तचाप बढ़ जाता है। रक्तचाप बढ़ने से ना सिर्फ़ हार्ट अटैक की संभावना बढ़ती है बल्कि किडनी के ख़राब होने का भी ख़तरा बढ़ जाता है।

शरीर का मानक रक्तचाप 120/80 mmhg होता है। इस मानक को शरीर के लिए स्वस्थ माना जाता है। यदि शरीर में इस मानक से अधिक रक्तचाप की दर होती है तो ऐसे में किडनी पर काफ़ी असर पड़ता है। नतीजा किडनी के ख़राब होने के रूप में निकल सकता है।


4.) वज़न नियंत्रित रखें

यह बात बिलकुल सत्य है कि रक्त में शुगर की मात्रा अधिक हो जाने से किडनी पर काफ़ी दबाव पड़ता है। इसी के साथ ये बात भी सत्य हैं कि शरीर में अत्यधिक शुगर की मात्रा होने से शरीर का वज़न बढ़ने लगता है। 

अधिक वज़न हृदय और किडनी के ख़राब होने के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है। हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हम अपने वज़न को संतुलित रखने की कोशिश करें। इसके लिए हमें न सिर्फ़ व्यायाम करना चाहिए बल्कि अपने डाइट या खानपान का भी ख्याल रखना चाहिए।

हम अपने आहार में अंडे, मछली, दूध तथा अनाज के साथ साथ ब्लूबेरी और पत्तागोभी का सेवन कर सकते हैं। 

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए उन पदार्थों को खाने से बचना चाहिए जिनमें बीज होता है। कोशिश करें कि बीज से भरपूर पदार्थों का सेवन एक नियमित मात्रा में ही करें। किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी की समस्या से बचने के लिए पालक तथा टमाटर के सेवन को कम करें।

5.) पर्याप्त जल का सेवन करें

किडनी का कार्य होता है कि रक्त से हानिकारक पदार्थों को अलग करके शरीर से बाहर निकाले। किडनी हानिकारक पदार्थों को छान कर यूरीन के रूप में शरीर से बाहर निकालती है। 

ये मूत्र या यूरीन पानी से मिलकर बना होता है। किडनी अपने कार्य को सुचारु रूप से कर पाए और शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालती रहे इसके लिए ज़रूरी है कि हम अपने शरीर में पर्याप्त जल के सेवन के स्तर को बनाए रखें।

प्रतिदिन डेढ़ से दो लीटर पानी का सेवन अवश्य करना चाहिए। इसी के साथ साथ हमें अपनी नींद को भी पूरा करना ज़रूरी है। 


6.) धूम्रपान से बचें

गुर्दों को स्वस्थ रखने के लिए न सिर्फ़ पर्याप्त पानी और अच्छे आहार की ही आवश्यकता है बल्कि इसके लिए हमें एक अच्छी लाइफ़ स्टाइल या दिनचर्या की भी ज़रूरत होती है। हमें चाहिए कि हम अपनी दिनचर्या में स्वस्थ चीज़ों को शामिल करें।

हमें प्रोटीनयुक्त तथा मिनरल से भरपूर चीज़ों का सेवन करना चाहिए और इसी के साथ साथ हमें धूम्रपान या सिगरेट पीने से बचना चाहिए।

धूम्रपान के माध्यम से बहुत सारे हानिकारक तत्व हमारे शरीर में चले जाते हैं और वे रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाते हैं। ऐसे में किडनी पर इन पदार्थों को निकालने का काफ़ी दबाव होता है। किडनी रक्त में इन हानिकारक तत्वों की पहचान करके उन्हें बाहर निकालने के लिए अधिक कार्य करती है। लगातार यही स्थिति होने पर किडनी के ख़राब होने की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।

ऐसे लोग जो लगातार धूम्रपान करते चले आ रहे हैं उन्हें अपनी इस आदत को तुरंत सुधारना चाहिए। तंबाकू के सेवन या सिगरेट पीने से ना सिर्फ़ कैंसर होता है बल्कि इसके साथ ही हृदय के ख़राब होने तथा किडनी के अस्वस्थ होने का भी ख़तरा काफ़ी बढ़ जाता है। धूम्रपान करने वाले लोगों को तुरंत धूम्रपान छोड़ देना चाहिए। धूम्रपान छोड़ने से किडनी के कैंसर होने का ख़तरा भी कम हो जाता है।

7.) दवाइयों के अधिक सेवन से बचें

हमारे घर में सरदर्द, बुखार, ख़ांसी इत्यादि की दवाइयाँ हर वक़्त उपलब्ध होती हैं। कोई भी घर हो वहाँ पर फ़र्स्टएड किट में ये सारी दवाइयां मिलना बिलकुल मामूली सी बात है। इन दवाइयों का सेवन हम बीमार होने पर करते हैं। ये अच्छी बात भी है कि हम सेहत को लेकर सजग है लेकिन यदि हम इन दवाइयों को अपनी आदत में शुमार कर लें तो ये किडनी के लिए एक बड़ी मुश्किल हो सकती है।

ज़्यादा दवाइयों का सेवन करने से किडनी के स्वास्थ्य पर काफ़ी असर पड़ सकता है। इसी के साथ साथ शरीर में यूरिक एसिड का बैलेंस भी बिगड़ सकता है। इसलिए ये ज़रूरी है कि हम अपने इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए अच्छी दिनचर्या और ख़ान पान का चुनाव करें बजाय इसके कि हम दवाइयों का अधिक सेवन करें।


8.) अन्य चीज़ें

 

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए इन महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर भी ध्यान दें-

1.) 60 साल से ऊपर के लोगों को समय समय पर गुर्दों का चेकअप कराना ज़रूरी है।

2.) ऐसे लोग जिन्हें कार्डियोवस्कुलर डिज़ीज़ या ह्रदय से संबंधित समस्याएं हैं तो उन्हें भी अपनी किडनी का समय समय पर चेकअप कराना ज़रूरी है। 

3.) यदि परिवार में किडनी से संबंधित रोगों का इतिहास रहा है तो भी किडनी का समय समय पर चेकअप कराते रहें। 

4.) व्यक्ति को या व्यक्ति के परिवार में यदि कभी किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रही हो तो उन्हें भी अपनी किडनी का समय समय पर चेकअप कराना चाहिए।

5.) ऐसे लोग जो यह मानते हैं कि उनकी किडनी सही से कार्य नहीं कर रही है उन्हें भी तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।

6.) अपने आहार का उचित ख़याल रखें। अधिक पानी पिएं तथा स्वास्थ्यवर्धक चीज़ों को आवश्यक खाएं।


किडनी की समस्या का पहला संकेत क्या है?

 गुर्दे के खराब होने के शुरुआती लक्षणों में से एक और लक्षण है सुबह-सुबह मिचली और उल्टी का होना, और इसका पता तब चलता है जब रोगी सुबह बाथरूम में अपने दांतों को ब्रश करता है। इससे व्यक्ति की भूख भी कम होती जाती है। गुर्दे फेल होने के अंतिम चरण में, मरीज को बार-बार उल्टी आती है और भूख कम लगती है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर में दो गुर्दे होते हैं, जो मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड, आदि जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को रक्त में से छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

लाखों लोग विभिन्न प्रकार के गुर्दे की बीमारियों के साथ रह रहे हैं और उनमें से अधिकांश को इसके बारे भनक तक नहीं है। यही कारण है कि गुर्दे की बीमारी को अक्सर एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि अधिकांश लोगों को बीमारी का पता तब तक नहीं चलता जब तक यह उग्र रूप धारण नहीं कर लेता। जबकि लोग अपने रक्तचाप, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित रूप से जांच करवाते रहते हैं, वे अपने गुर्दे की किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए अपने रक्त में एक सरल क्रिएटिनिन परीक्षण भी नहीं करवाते। 


किडनी विकार के चेतावनी के कई संकेत होते हैं, हालांकि, अधिकांश समय इन्हें अनदेखा किया जाता है या किसी और तरह की समस्या समझकर लोग भ्रमित हो जाया करते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को बहुत ही सतर्क रहना चाहिए और किडनी विकार का कोई भी लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द पुष्टिकरण परीक्षण करवाना चाहिए। ऐसे किसी व्यक्ति को किसी नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए और अपने संदेह को स्पष्ट करना चाहिए। लेकिन अगर आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, या कोरोनरी आर्टरी डिजीज, और / या किडनी फेल होने का पारिवारिक इतिहास है या आप 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं तो आज के युग में आपको नियमित रूप से गुर्दे की जांच करवाते रहना चाहिए।

जबकि गुर्दे की बीमारी के निदान का एकमात्र निश्चित तरीका पुष्टि संबंधी परीक्षण करना है, यहाँ किडनी रोग के कुछ शुरुआती चेतावनी के संकेत दिए गए हैं:

  • शुरुआती संकेतों में से एक है टखनों, पैरों या एड़ी के पास सूजन का दिखना है: ऐसी जगहों पर एडिमा दिखाई देने लगेगी,  जो दबाव देने पर पिट करते हैं, और इन्हें पिटिंग एडिमा कहा जाता है। जैसे-जैसे गुर्दे अपने काम करने में गड़बड़ी करने लगते हैं, शरीर में नमक जमा होने लगता है, जिससे आपकी पिंडली और टखनों में सूजन आने लगती है। संक्षेप में, अगर किसी भी व्यक्ति में इस तरह के लक्षण दिखें तो उसे नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलकर अपने गुर्दे की कार्यप्रणाली का तत्काल मूल्यांकन करवाना चाहिए।
  • पेरिऑर्बिटल एडिमा: इसमें आंखों के आसपास सूजन दिखने लगता है जो कोशिकाओं या ऊतकों में तरल पदार्थ के संचय के कारण होता है। यह गुर्दे की बीमारी के शुरुआती लक्षणों में से एक है। यह उन व्यक्तियों में विशेष रूप से होता है जिनमें गुर्दे के माध्यम से काफी मात्रा में प्रोटीन का रिसाव होता है। शरीर से प्रोटीन का नाश इंट्रावस्कुलर ऑन्कोटिक दबाव को कम करता है और आंखों के आसपास के विभिन्न जगहों पर तरल पदार्थ का अतिरिक्त संचय होने लगता है।
  • कमजोरी: गुर्दे की बीमारी का एक सामान्य लक्षण है शुरुआत में थकावट का होना। जैसे-जैसे गुर्दे की खराबी बढती जाती है यह लक्षण और अधिक स्पष्ट होता जाता है। सामान्य दिनों की तुलना में वह व्यक्ति अधिक थका हुआ महसूस कर सकता है और ज्यादा गतिविधियों को करने में असमर्थ होता है, तथा उसे बार-बार आराम की आवश्यकता होती है। ऐसा काफी हद तक रक्त में विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों के संचय के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे खराब होते जाते हैं। गैर-विशिष्ट लक्षण होने के नाते इसे अक्सर अधिकांश लोगों द्वारा अनदेखा किया जाता है और इसकी पूरी तरह से जांच नहीं की जाती है।

  • भूख में कमी: यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे विषाक्त पदार्थों के जमा होने से व्यक्ति की भूख कम होने लगती है। इसके अलावा, जैसे-जैसे गुर्दे की बीमारी बढती जाती है, रोगी के स्वाद में बदलाव होता जाता है, जिसे अक्सर रोगियों द्वारा धातु के रूप में बताया जाता है। यदि किसी को दिन में बिना कुछ खाए भी पेट भरे का अहसास होता हो, तो दिमाग में खतरे की घंटी बजनी चाहिए और उसके गुर्दे की जांच करवानी चाहिए।
  • सुबह की मिचली और उल्टी: गुर्दे के खराब होने के शुरुआती लक्षणों में से एक और लक्षण है सुबह-सुबह मिचली और उल्टी का होना, और इसका पता तब चलता है जब रोगी सुबह बाथरूम में अपने दांतों को ब्रश करता है। इससे व्यक्ति की भूख भी कम होती जाती है। गुर्दे फेल होने के अंतिम चरण में, मरीज को बार-बार उल्टी आती है और भूख कम लगती है।
  • एनीमिया: हीमोग्लोबिन का स्तर गिरना शुरू हो जाता है, और व्यक्ति पीला दिखने लग सकता है, बिना शरीर से खून का बाहर हुए। यह गुर्दे की बीमारी की सामान्य जटिलताओं में से एक है। इससे कमजोरी और थकान भी हो सकती है। कई कारणों से यह एनीमिया होता है जिसमें एरिथ्रोपोइटिन का स्तर कम होना(गुर्दे में एरीथ्रोपोइटिन संश्लेषित किया जा रहा है), लोहे का स्तर कम होना, विष संचय के कारण अस्थि मज्जा का दमन होना इत्यादि होता है।

  • पेशाब करने की आवृत्ति में परिवर्तन: किसी को अपने मूत्र उत्पादन पर बहुत सावधानी से ध्यान रखना पड़ता है। उदाहरण के लिए, रोगी के मूत्र उत्पादन में कमी हो सकती है या उसे अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है, विशेष रूप से रात में (जिसे रात्रिचर कहा जाता है)। यह एक चेतावनी का संकेत हो सकता है और यह संकेत दे सकता है कि गुर्दे की फ़िल्टरिंग इकाइयाँ क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं या क्षतिग्रस्त होने की प्रक्रिया में हैं। कभी-कभी यह पुरुषों में कुछ मूत्र पथ के संक्रमण या बढ़े हुए प्रोस्टेट का संकेत भी हो सकता है। इस प्रकार, मूत्र उत्पादन में एक परिवर्तन (वृद्धि या कमी) को अपने नेफ्रोलॉजिस्ट को तुरंत सूचित करना चाहिए।
  • मूत्र में झाग या रक्त का होना: पेशाब में अत्यधिक झाग मूत्र में प्रोटीन की उपस्थिति को इंगित करता है (जो सामान्य परिस्थितियों में नगण्य होना चाहिए)। जब गुर्दे का फ़िल्टरिंग तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है या क्षतिग्रस्त हो रहा होता है, तो प्रोटीन, रक्त कोशिकाएं मूत्र से रिसने लगती हैं। गुर्दे की बीमारी का संकेत देने के अलावा, मूत्र में रक्त ट्यूमर, गुर्दे की पथरी या किसी भी तरह के संक्रमण का संकेत दे सकता है। साथ ही, बुखार या ठंड लगने के साथ पेशाब से निकलने वाला मवाद गंभीर हो सकता है और फिर से गंभीर मूत्र पथ के संक्रमण का संकेत हो सकता है। इस प्रकार मूत्र के रंग, स्थिरता या प्रकृति में परिवर्तन को गुर्दे के विशेषज्ञ को जल्द से जल्द सूचित किया जाना चाहिए।
  • सूखी और खुजली वाली त्वचा: सूखी और खुजली वाली त्वचा गुर्दे की बीमारी के उन्नत होने का संकेत हो सकती है। जैसे-जैसे गुर्दे की कार्य क्षमता कम होते जाती है, शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमाव होता जाता है, जिससे त्वचा में खुजली, सूखापन और दुर्गंध होती है।
  • पीठ दर्द या पेट के निचले हिस्से में दर्द: पीठ, बाजू या पसलियों के नीचे दर्द गुर्दे की गड़बड़ी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं जैसे कि गुर्दे की पथरी या पाइलोनफ्राइटिस। इसी तरह, पेट के निचले हिस्से में दर्द मूत्राशय के संक्रमण या एक मूत्रवाहिनी (गुर्दे और मूत्राशय को जोड़ने वाली ट्यूब) में पत्थर होने से जुड़ा हो सकता है। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और एक्स-रे केयूबी या अल्ट्रासाउंड एब्डोमेन जैसे नियमित इमेजिंग अध्ययन द्वारा आगे की जांच की जानी चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप: किडनी की बीमारी का एक लक्षण उच्च रक्तचाप हो सकता है। उच्च रक्तचाप का निदान करने वाले किसी भी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप के वृक्क एटियलजि का पता लगाने के लिए गुर्दे की कार्यप्रणाली और गुर्दे की इमेजिंग का विस्तृत विवरण होना चाहिए। जैसे-जैसे गुर्दे की कार्यक्षमता बिगड़ती जाती है, शरीर में सोडियम और पानी जमने लगते हैं जिससे उच्च रक्तचाप होता है। उच्च रक्तचाप के लक्षणों में सिरदर्द, पेट में दर्द, अँधेरा छाना और शायद गुर्दे की बीमारी के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं।

चेतावनी के संकेतों की पहचान की जागरूकता होने पर और समय पर इलाज करने पर गुर्दे की गड़बड़ी या गुर्दे की विफलता से बचा जा सकता है अन्यथा रोगी को डायलिसिस, या गुर्दा प्रत्यारोपण करवाना पड़ता है और ज्यादा लापरवाही करने पर उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

कमजोर किडनी में क्या खाएं?

 किडनी से संबंधित सभी रोग कई खतरनाक स्थितियां पैदा कर सकते हैं. किडनी की समस्या अधिकतर खान-पान से जुड़ी हुई होती है इसलिए किडनी के मरीजों को अपने खान-पान को लेकर अधिक सतर्क रहना चाहिए. जब हमारी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही होती है तो हमारे शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं जैसे, हमारा खून खराब हो सकता है, हमारे शरीर में हार्मोनल इम्बैलेंस हो सकता है और यदि खान-पान ठीक ना रहे तो यह समस्याएं और अधिक बढ़ कर जानलेवा साबित हो सकती है. किडनी मूत्र उत्पादन के लिए भी जिम्मेदार होती है इसलिए इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. 



किडनी रोगी खा सकते हैं, ये फूड्स :

फूलगोभी :
हेल्थ लाइन के अनुसार फूलगोभी एक पौष्टिक सब्जी है जो विटामिन सी, विटामिन के और बी विटामिन फोलेट सहित कई पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत भी है. सब्जियों में आलू के स्थान पर फूल गोभी का प्रयोग किया जा सकता है.

ब्लूबेरी :
ब्लूबेरी यानी जामुन, ये पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं, इसलिए इसे आप खा सकते हैं. इसमें मौजूद पोषक तत्व किडनी के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं.


लाल अंगूर :
लाल अंगूर वैसे तो स्वास्थ्य के लिए अच्छे ही होते हैं साथ में ये विटामिन सी में उच्च होते हैं और इनमें फ्लेवोनोइड्स नामक एंटीऑक्सिडेंट भी पाया जाता है. ये किडनी के लिए फायदेमंद होते हैं.

लहसुन :
लहसुन को सोडियम का अच्छा स्रोत माना जाता है और इसका उपयोग नमक के स्थान पर भी किया जा सकता है. यह मैंगनीज, विटामिन सी और विटामिन बी 6 का भी अच्छा स्त्रोत है.

जैतून का तेल :
जैतून का तेल फास्फोरस मुक्त होता है और यह गुर्दे की बीमारी वाले लोगों के लिए अपने खानपान में शामिल करने लायक खाद्य पदार्थ है. जैतून के तेल में अधिकांश वसा एक मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है जिसे ओलिक एसिड कहा जाता है जो किडनी की सूजन कम करता है.

पत्ता गोभी :
यह विटामिन के, विटामिन सी, और कई बी विटामिन का एक बड़ा स्रोत है. फूलगोभी की तरह ही यह भी किडनी के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है.

अपनी किडनी को डिटॉक्स करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

 हमारा शरीर कई तरह के टॉक्सिन्स को फिल्टर और बाहर निकालने का काम करता है, जिसमें सबसे अहम भूमिका किडनी निभाती है। किडनी हमारे खून को साफ कर...