डायलिसिस से बचने के उपाय

 देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षो में, देश में गुर्दो की तकलीफों वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन  के अनुसार, भारत में किडनी की बीमारियों पर अभी भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण है कि इस रोग की ठीक से जांच नहीं हो पाती। गंभीर गुर्दा रोग होने पर, कुछ वर्षो में आहिस्ता-आहिस्ता गुर्दो की कार्यप्रणाली मंद होने लगती है और अंतत: गुर्दे एकदम से काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग की अक्सर जांच नहीं हो पाती और लोग तब जागते हैं जब उनके गुर्दे 25 प्रतिशत तक काम करना बंद कर चुके होते हैं।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “क्रोनिक किडनी बीमारी धीरे धीरे बढ़ती है। इस रोग का पता तब चलता है जब रोग तेजी से बढ़ने लगता है। हालांकि, एक बार गुर्दे खराब हो जाने के बाद उन्हें ठीक कर पाना संभव नहीं होता। परेशानी बढ़ने पर, शरीर के अंदर बार बार विषाक्त कचरा एकत्रित होने लगता है।”

उन्होंने कहा, “जिन्हें इस रोग का जरा भी खतरा हो, उन्हें समय-समय पर किडनी चेक कराते रहना चाहिए, ताकि समय रहते गुर्दो की गंभीर बीमारी से बचा जा सके। जिन लोगों के गुर्दे पूरी तरह खराब हो चुके हैं, उनके शरीर से विषाक्त पदार्थ अपने आप से बाहर नहीं आ पाते। उन्हें जिंदा रहने के लिए डायलिसिस अथवा गुर्दा प्रत्यारोपण के विकल्प ही बचते हैं।”

 “कई लोगों को पता ही नहीं कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप से भी गुर्दे खराब हो सकते हैं। दो सरल से परीक्षणों से इस रोग का पता चल सकता है- एक है मूत्र में प्रोटीन की मात्रा का पता लगाना और दूसरा है रक्त परीक्षण के जरिए सीरम क्रिएटिनाइन का पता लगाना। साल में एक बार यह परीक्षण करा लेने से समय रहते रोग पकड़ में आ सकता है।”



डायलिसिस

डायलिसिस आपके गुर्दे के अलावा किसी अन्य चीज़ के माध्यम से शरीर से अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने की एक कृत्रिम प्रक्रिया है। इसके दो प्रकार हैं: पेरिटोनियल डायलिसिस और हेमोडायलिसिस।

पेरिटोनियल डायलिसिस आपके गुर्दे के स्थान पर रक्त को फ़िल्टर करने के लिए आपके पेट के अंगों पर एक पतली परत का उपयोग करता है। दूसरी ओर, हेमोडायलिसिस रक्त से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फ़िल्टर करने के लिए एक मशीन का उपयोग करता है।


किडनी प्रत्यारोपण

यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें एक नेफ्रोलॉजिस्ट खराब किडनी को निकालता है और उसके स्थान पर मेल खाने वाले डोनर से एक स्वस्थ किडनी लगाता है। डायलिसिस अपर्याप्त होने पर किडनी प्रत्यारोपण पर विचार किया जाता है और दोनों किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती हैं

चूँकि एक व्यक्ति केवल एक किडनी के साथ ही जीवित रह सकता है, किडनी प्रत्यारोपण में अक्सर एक खराब किडनी को निकालकर उसके स्थान पर एक स्वस्थ किडनी लगाना शामिल होता है।

प्रशामक देखभाल

जो लोग डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट नहीं कराना चाहते हैं, उन्हें अपने लक्षणों को प्रबंधित करने और बेहतर महसूस करने के लिए उपशामक या सहायक देखभाल मिल सकती है। प्रशामक देखभाल को डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण के साथ भी जोड़ा जा सकता है। डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण के बिना, किडनी की विफलता बढ़ती है और मृत्यु हो जाती है।



किडनी रोगों में सहायक टिप्स


- सक्रिय जीवन : टहलने, दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों से गुर्दो की बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है।

- फास्टिंग शुगर 80 एमबी से कम रहे: मधुमेह होने पर गुर्दे खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी समय रहते जांच करा लेनी चाहिए।

- बीपी 80 एमएम एचजी से कम रहे: उच्च रक्तचाप गुर्दो के लिए घातक हो सकता है, उसे नियंत्रण मंे रखें।

- कमर का साइज 80 सेमी से कम रखें : अच्छा भोजन लें और वजन को नियंत्रण में रखें। इससे मधुमेह दूर रहेगा, दिल की बीमारियां नहीं होंगी और किडनी की परेशानियां भी नहीं होंगी।

- नमक कम खाएं: प्रतिदिन एक व्यक्ति को बस 5-6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। डिब्बाबंद भोजन और होटल के खाने में नमक अधिक रहता है।

- पानी खूब पिएं: प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को सोडियम साफ करने में मदद मिलती है। यूरिया और विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते रहते हैं।

- धूम्रपान न करें : धूम्रपान से गुर्दो को पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह कम होता जाता है और गुर्दो के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।

- अपने आप से खरीद कर दवाएं न लें : सामान्य दवाएं जैसे इबूफ्रोबिन से किडनी खराब होने का डर रहता है।



किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक दवा

किडनी हमारे शरीर के सबसे ज्यादा हेल्दी अंगों में से एक है और इसका नियमित रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। जब भी हम बीमार पड़ते हैं, तो उसके लिए डॉक्टर हमें दवाएं देते हैं। हमारे द्वारा खाई जाने वाली ये दवाएं हमारे शरीर की बीमारी को ठीक करने में तो मदद करती हैं, लेकिन इन दवाओं को फिल्टर हमारी किडनी को करना पड़ता है। खासतौर पर जिन लोगों को पहले से किडनी से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी है, तो उनके लिए किसी भी बीमारी से जुड़ी दवाएं लेना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दवाओं का असर हमारी किडनी पर जरूर पड़ता है, चाहे वे दवाएं किडनी की किसी बीमारी का इलाज करने के लिए ही क्यों न तैयार की गई हों। ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स क्रोनिक किडनी डिजीज के मामलों में कुछ खास प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं को इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सारी ही आयुर्वेदिक दवाएं आपकी किडनी के लिए सुरक्षित हैं। लेकिन कुछ आयुर्वेदिक उत्पाद आपकी किडनी के लिए सुरक्षित हो सकते हैं।


1. पुनर्नवा 

किडनी के लिए सुरक्षित जड़ी-बूटियों में किडनी पुनर्नवा का नाम भी आता है। आयुर्वेद के अनुसार नियमित रूप से और समय-समय पर पुनर्नवा का इस्तेमाल करना आपकी किडनी को सुरक्षित रखता है और यहां तक कि जिन्हें पहले से ही किडनी से जुड़ी बीमारियां हैं, उनके लिए पुनर्नवा फायदेमंद है। सिर्फ आयुर्वेद ही नहीं बल्कि एलोपैथी में भी पुनर्नवा को काफी फायदेमंद बताया गया है, जिनके अनुसार इसमें डाइयुरेटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।

2. गोक्षुरा 

आयुर्वेद में गुर्दे से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए गोखरू का इस्तेमाल भी काफी माना गया है। किडनी के मरीजों को गोखरू चूर्ण लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही कुछ अध्ययनों के अनुसार गोखरू में यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन और किडनी स्टोन कम करने के गुण पाए जाते हैं, जो क्रोनिक किडनी डिजीज होने के खतरे को कम करते हैं।

3. वरुणा 

आयुर्वेद में किडनी के मरीजों को वरुणा से बनी दवाएं दी जाती हैं। साथ ही वरुणा के पाउडर का सेवन क्रोनिक किडनी के मरीजों को दिया जाता है, ताकि उनके लक्षणों को कंट्रोल करके रखा जा सके। कुछ अध्ययनों में भी यह पाया गया है कि किडनी स्टोन को निकालने और उसे फिर से होने के खतरे को कम करने के लिए वरुणा काफी फायदेमंद हो सकती है।


4. गिलोय बेल 

ग्रामीण भारत में घर-घर पाई जाने वाली गिलोय की बेल आयुर्वेद की सबसे प्रभावी जड़ी-बूटियों में से एक है। आयुर्वेद के अनुसार बुखार, गठिया और डेंगू जैसी बीमारियों में गिलोय बेल काफी फायदेमंद है। किडनी से जुड़ी बीमारियों का इलाज करने और किडनी की क्रोनिक बीमारियों को मैनेज करने के लिए भी आयुर्वेद में गिलोय बेल का इस्तेमाल किया जाता है।

5. चंदन 

आयुर्वेद में स्किन से जुड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए चंदन का काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है आयुर्वेद में चंदन की मदद से किडनी से जुड़ी कई बीमारियों का इलाज भी किया जाता है। दरअसल, चंदन भी एक डाइयुरेटिक की तरह काम करती है, जो किडनी से जुड़ी बीमारियों को दूर करने मे मदद करता है।


किडनी को स्वस्थ रखने और रोगों से बचाने के लिए टिप्स

 अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और किडनी से संबंधित विकारों को रोकने के लिए किडनी की देखभाल करना आवश्यक है। किडनी की देखभाल के लिए कुछ सरल स्टेप्स का पालन करना होता है जैसे, अधिक पानी पीना, संतुलित आहार खाना, अत्यधिक शराब के सेवन से बचना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है।

  1.  क्यों है किडनी की देखभाल ज़रूरी 
  2. शरीर में किडनी के कार्य
  3. किडनी की सामान्य समस्याएं
  4. किडनी को स्वस्थ रखने और रोगों से बचाने के लिए टिप्स 
  5. निष्कर्ष 
  6. सामान्य प्रश्न
  7. क्यों है किडनी की देखभाल ज़रूरी 

    किडनी कई कार्यों को करने वाला एक आवश्यक अंग हैं, जैसे रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त फ्लूइड को फ़िल्टर करना, रक्तचाप को नियंत्रित करना, इलेक्ट्रोलाइट स्तर को संतुलित करना और रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करने वाले हार्मोन का उत्पादन करना। उनके आवश्यक कार्यों को देखते हुए, किडनी की देखभाल के महत्व को समझना और अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय करना महत्वपूर्ण है।

    सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, किडनी की उचित देखभाल किडनी रोगों के विकास को रोकने में मदद करती है। मधुमेह सहित कई कारक उच्च रक्तचाप, और कुछ दवाएं, किडनी डैमेज को बढ़ा सकती हैं।

    एक स्वस्थ जीवन शैली और नियमित चिकित्सा जांच को अपनाकर, व्यक्ति संभावित जोखिम कारकों की पहचान कर सकते हैं और इन स्थितियों को प्रभावी ढंग से रोकने या प्रबंधित करने के लिए उचित कदम उठा सकते हैं। किडनी के कार्य को बनाए रखने और अपरिवर्तनीय डैमेज को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और उपचार करना महत्वपूर्ण है।


    शरीर में किडनी के कार्य 

    शरीर के स्वास्थ्य और संतुलन को सुनिश्चित करने के लिए किडनी महत्वपूर्ण हैं। यहाँ किडनी के कुछ कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है:

    1. अपशिष्ट निकलना: किडनी का प्राथमिक कार्य रक्त से अपशिष्ट उत्पादों, विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त पदार्थों को फ़िल्टर करना होता है।
    2. फ्लूइड बैलेंस: किडनी रक्तप्रवाह में इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी, जैसे पोटेशियम, सोडियम और कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करके शरीर के फ्लूइड बैलेंस को नियंत्रित करने में मदद करती है।
    3. एसिड बेस संतुलन: किडनी शरीर के एसिड बेस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसे PH भी कहा जाता है।
    4. रक्तचाप संतुलन: किडनी रेनिन नामक हार्मोन का उत्पादन करके रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करती है।
    5. रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन: क्या आप जानते हैं कि किडनी एरिथ्रोपोइटीन का उत्पादन करती है, एक हार्मोन जो बोन मेरो को रेड ब्लड सेल्स को बनाने रखने में मदद करता है। 
    6. विटामिन D सक्रियण: किडनी विटामिन D को सक्रिय करती है, कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करती है। किडनी इनएक्टिव विटामिन D को उसके सक्रिय रूप में परिवर्तित करती है, जो शरीर में कैल्शियम के उचित स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं।
    7. ब्लड फिल्ट्रेशन: अपशिष्ट उत्पादों को हटाने और समग्र रक्त की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किडनी प्रत्येक दिन लगभग 120-150 लीटर रक्त को फ़िल्टर करती है।

    किडनी की सामान्य समस्याएं

    यहाँ किडनी की कुछ सामान्य समस्याएं दी गयी हैं जो हैं:

    1. किडनी स्टोन 
    2. यूरिनरी ट्रैक्ट में संक्रमण (यूटीआई)
    3. किडनी में संक्रमण (पायलोनेफ्राइटिस)
    4. क्रोनिक किडनी डिसीज़ (CKD)
    5. एक्यूट किडनी इंजरी (AKI)
    6. ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस
    7. पॉलीसिस्टिक किडनी डिसीज़ (PKD)
    8. किडनी कैंसर
    9. नेफ्रोटिक सिंड्रोम
    10. रीनल आर्टरी स्टेनोसिस

    किडनी को स्वस्थ रखने और रोगों से बचाने के लिए टिप्स 

    यहाँ किडनी स्वास्थ्य के लिए कुछ सरल युक्तियाँ दी गई हैं:

    1. हाइड्रेटेड रहें

    स्वस्थ किडनी को बनाए रखने के लिए उचित हाइड्रेशन आवश्यक है। पर्याप्त पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को निकालने में मदद मिलती है, जिससे किडनी स्टोन  बनने  का जोखिम कम हो जाता है। रोज़ाना 8-10 गिलास पानी पीना किडनी के फंक्शन के लिए उपयुक्त होता है।

    2. स्वस्थ आहार का पालन करें

    किडनी की उचित देखभाल के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार बनाए रखना आवश्यक है। फलों, सब्ज़ियों, होल ग्रेन, लीन प्रोटीन और हैल्दी फैट जैसे एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, उच्च-सोडियम स्नैक्स, शुगर युक्त पेय और अत्यधिक रेड मीट को सीमित करना या उससे बचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये सभी किडनी को नुकसान पहुँचा सकते हैं और किडनी से संबंधित समस्याओं को जन्म दे सकता है।

    3. नमक का सेवन सीमित करें

    अत्यधिक नमक का सेवन उच्च रक्तचाप (BP) का प्रमुख कारण बनता है, किडनी की बीमारी से बचने के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक प्रोसेस्ड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों से परहेज करके अपने नमक का सेवन सीमित करें, जिनमें अक्सर उच्च मात्रा में सोडियम होता है।

    4. धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें

    किडनी विकारों के प्राथमिक कारणों में से एक धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन है। धूम्रपान किडनी में रक्त के प्रवाह को कम कर देता है और समय के साथ उनके कार्य को खराब करता है। इसी तरह, अत्यधिक शराब का सेवन डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है और किडनी को नुकसान पहुँचा सकता है।

    5. नियमित व्यायाम करें

    नियमित शारीरिक गतिविधि आपके शरीर को फिट रखती है और किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ाती है। व्यायाम गंभीर स्थितियों, जैसे कि मधुमेह, एनीमिया और उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने में मदद करता है, जो कि किडनी को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। नियमित व्यायाम रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और वज़न को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

    6. तनाव का प्रबंधन करें

    किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना महत्वपूर्ण है। तनाव से आपकी किडनी सहित आपके समग्र स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। मानसिक तनाव को प्रबंधित करने के स्वस्थ तरीके खोजें, जैसे विश्राम तकनीकों का अभ्यास करना, मनचाहे कार्यों में संलग्न होना, दोस्तों के साथ समय बिताना या पेशेवर मदद लेना।  

    7. रक्तचाप को नियंत्रित करें

    उच्च रक्तचाप, किडनी की बीमारी का एक प्रमुख कारण है। अपने BP की नियमित रूप से मॉनिटर करें और इसे स्वस्थ सीमा के भीतर रखने के लिए कदम उठाएं, जिसमें कम सोडियम वाला आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना, तनाव का प्रबंधन करना और आवश्यक दवाएं लेना शामिल है। व्यक्तिगत सलाह के लिए अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें।

    8. ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करें

    यदि आपको मधुमेह है, तो अपने ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करना और उसे अच्छी तरह से प्रबंधित रखना महत्वपूर्ण है। अनियंत्रित मधुमेह समय के साथ किडनी को नुकसान पहुँचा सकती है। मधुमेह से जुड़ी किडनी की परेशानियों को रोकने के लिए दवाओं, आहार और जीवन शैली में संशोधनों के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता की सलाह लें।


    विशेषज्ञ की सलाह

    जब कोई व्यक्ति किडनी की बीमारी जैसी कोई स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा होता है, तो वह रजिस्टर्ड  डाइटीशियन और नुट्रिशन एक्सपर्ट से, बैलेंस डाइट प्लान बनाने में उनकी सहायता ले सकते हैं। 

    किडनी के डाइट एक्सपर्ट व्यक्ति के डाइट प्लान की चिकित्सीय आवश्यकताओं के अनुसार डाइट प्लान बनाते हैं,

    यदि आपको किडनी की बीमारी है, आपकी किडनी तेज़ी से खराब हो रही है, या आपकी किडनी की बीमारी बढ़ती जा रही है, तो आपका PCP आपको नेफ्रोलॉजिस्ट से जांच करने की सलाह दे सकता है।

    निष्कर्ष 

    किडनी हमारे शरीर का महत्पूर्ण अंग है, जो हमें स्वस्थ रखने के लिए अथक रूप से कार्य करती है। इसलिए इसकी देखभाल करना महत्वपूर्ण है! सक्रिय होकर और स्वस्थ जीवनशैली विकल्प बनाकर, हम अपनी किडनी का ध्यान रख सकते हैं।

    चाहे वह हाइड्रेटेड रहना हो, संतुलित आहार खाना हो, या नियमित व्यायाम करना हो, किडनी के स्वास्थ्य में हर छोटी-छोटी गतिविधि मदद कर सकती है, और हमें किडनी अनुसंधान का समर्थन लेना चाहिए – ऐसा करके, हम नए उपचारों को अनलॉक करने में मदद कर सकते हैं।

    सामान्य प्रश्न

    1. क्या ज़्यादा पानी पीने से किडनी स्टोन से बचा जा सकता है?

    पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पथरी बनाने वाले पदार्थों को पतला करके, उन्हें किडनी से बाहर निकाल कर किडनी स्टोन को रोकने में मदद मिल सकती है।

    1. क्या स्वस्थ आहार से किडनी की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है?

    किडनी की देखभाल के लिए स्वस्थ आहार आवश्यक है लेकिन यह किडनी के डैमेज को ठीक नहीं कर सकता। हालांकि, यह किडनी की बीमारी की प्रगति को धीमा कर देता है और समग्र किडनी स्वास्थ्य का समर्थन करता है।

    1. क्या किडनी की सभी बीमारियों से बचा जा सकता है?

    किडनी की सभी बीमारियों को रोका नहीं जा सकता, लेकिन स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी अंतर्निहित स्थितियों का प्रबंधन करने और हानिकारक आदतों से बचने से किडनी की समस्याओं का खतरा काफी कम हो सकता है।

किडनी की बीमारी के 10 संकेत क्या है?

 किडनी की बीमारी इन दिनों तेजी से पैर पसार रही है. ज्यादातर लोग किडनी डैमेज होने के शुरुआती संकेतों को पहचान नहीं पाते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किडनी खराब होने से पहले शरीर को कई तरह के संकेत देती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किडनी की बीमारी होने पर बहुत समय तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. लेकिन अगर आपको शरीर पर ऐसे कोई लक्षण दिखें तो आपको इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. बल्कि इन संकेतों को समझना चाहिए. 



1. आपके मूत (मूत्र) में खून

यह कई अलग-अलग चीजों के कारण हो सकता है लेकिन किडनी की बीमारी उनमें से एक है।

जब आपकी किडनी ठीक से काम कर रही होती है, तो वे आपके रक्त से अपशिष्ट को फ़िल्टर करके आपके शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाए रखती हैं। हालाँकि, यदि गुर्दे के फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो कुछ रक्त कोशिकाएं आपके मूत्र में रिसाव कर सकती हैं। यदि आपको अपने मूत में खून दिखाई देता है, तो आपको हमेशा अपने डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए ताकि वे संक्रमण के साथ-साथ मूत्राशय और गुर्दे के कैंसर जैसी गंभीर चीजों से भी इंकार कर सकें।

2. सूजी हुई आंखें, टखने और पैर

क्या आपने अपनी आंखों के आसपास सूजन और/या टखनों और पैरों में सूजन देखी है? जब आपकी किडनी आपके शरीर से अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट को बाहर नहीं निकालती है, तो यह आपके ऊतकों में जमा हो सकता है। इससे सूजन हो जाती है, आमतौर पर आपके निचले शरीर में, हालांकि यह आपकी आंखों के आसपास और कभी-कभी आपके हाथों सहित अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित कर सकता हैयदि उपचार न किया जाए, तो यह फेफड़ों में अतिरिक्त पानी का रूप ले सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। डॉक्टर इसे 'फुफ्फुसीय एडिमा' कहते हैं।

3. झागदार मूत

आपके मूत में झाग इस बात का संकेत है कि उसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक है , खासकर यदि आपको बुलबुले साफ करने के लिए कई बार पानी धोना पड़ता है। संकेत: यह उस झाग जैसा लग सकता है जिसे आप अंडे फोड़ते समय सतह पर देखते हैं, क्योंकि मूत्र में जिस प्रकार का प्रोटीन समाप्त होता है वह अंडे में पाए जाने वाले एल्ब्यूमिन के समान होता है।

4. थकान और दिमागी धुंध

जब आपकी किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, तो आपके रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे आपको थकान महसूस हो सकती है और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है

इसके अलावा, सीकेडी एनीमिया - लाल रक्त कोशिकाओं की कमी - का कारण बन सकता है जिससे थकान भी हो सकती है।

5. भूख कम लगना

तनाव से लेकर कई गंभीर बीमारियों तक हर चीज का एक सामान्य लक्षण, विषाक्त पदार्थों के निर्माण के कारण सीकेडी में भूख कम लगना हो सकता है।


6. मतली

सीकेडी बीमारी की भावना पैदा कर सकता है क्योंकि आपकी किडनी आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को ठीक से नहीं निकाल रही है।

7. अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता होना

स्वस्थ गुर्दे आपके रक्त को फ़िल्टर करते हैं और अपशिष्ट को मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल देते हैं। लेकिन जब गुर्दे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो वे खरपतवार बना सकते हैं जिसमें अधिकतर पानी और कुछ अपशिष्ट उत्पाद होते हैंइसका मतलब है कि आपको अधिक बार शौचालय जाने की आवश्यकता पड़ सकती है, खासकर रात में।

8. सूखी, खुजलीदार त्वचा

विशेषज्ञ ठीक से नहीं जानते कि गुर्दे की बीमारी के कारण त्वचा अत्यधिक शुष्क और खुजलीदार क्यों हो जाती है। लेकिन यह रक्त में विषाक्त पदार्थों और आपके शरीर में खनिजों के स्तर में असंतुलन सहित कुछ अलग-अलग कारकों से जुड़ा हो सकता है।

9. मांसपेशियों में ऐंठन

कभी-कभार ऐंठन होना सामान्य है, लेकिन किडनी की खराब कार्यप्रणाली से मांसपेशियों में अधिक ऐंठन हो सकती है।

10. नींद की समस्या

ऐसे कुछ कारण हैं जिनकी वजह से सीकेडी आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है। आपके रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं और प्रसारित हो सकते हैं, जो आपको जगाए रख सकते हैं।

मोटापा सीकेडी और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया दोनों का एक अंतर्निहित कारण है, जिसके कारण आपको रात में कई बार बहुत ही कम समय के लिए जागना पड़ सकता है। और रात में शौचालय जाने की आवश्यकता आपकी नींद को गंभीर रूप से बाधित कर सकती है।

किडनी को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए?

 किडनी के कई रोग बहुत गंभीर होते हैं और यदि इनका समय पर इलाज नहीं किया गया, तो उपचार असरकारक नहीं होता है। विकासशील देशों में उच्च लगत, संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी के कारण किडनी फेल्योर से पीड़ित सिर्फ 5-10% मरीज ही डायालिसिस और किडनी प्रत्यारोपण का उपचार करवा पाते है। बाकि मरीज सामान्य उपचार पर बाध्य होते हैं जिससे उन्हें अल्पावधि में ही विषमताओं का सामना करना पड़ता है। क्रोनिक किडनी फेल्योर जैसे रोग जो ठीक नहीं हो सकते हैं, उनका अंतिम चरण के उपचार जैसे - डायालिसिस और किडनी प्रत्यारोपण बहुत महँगे हैं। यह सुविधा हर जगह उपलब्ध भी नहीं होती है।


किडनी की बीमारी को कैसे रोकें?

अपने किडनी को कभी अनदेखा न करें। इसके निम्नलिखित दो भाग हैं:

1. सामान्य व्यक्ति के लिए सूचनाएं

2.किडनी रोगों की देखभाल के लिए सावधानियाँ

सामान्य व्यक्ति के लिए सूचनाएं

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सात प्रभावी तरीके:

1. फिट और सक्रिय रहे

नियमित रूप से एरोबिक व्यायाम और दैनिक शरीरिक गतिविधियाँ, रक्तचाप को सामान्य रखने में और रक्त शर्करा को नियंत्रण करने में मदद करती हैं। इस तरह शरीरिक गतिविधियाँ, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के खतरे को कम कर देती है और इस प्रकार सी. के. डी. के जोखिम को कम किया जा सकता है।

2. संतुलित आहार

ताजे फल और सब्जियों युक्त आहार लें। आहार में परिष्कृत खाघ पदार्थ, चीनी, वसा और मांस का सेवन घटाना चाहिए। वे लोग जिनकी उम्र 40 के ऊपर है, भोजन में कम नमक लें जिससे उच्च रक्तचाप और किडनी की पथरी के रोकथाम में मदद मिले।

3. वजन नियंत्रण रखें

स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम के साथ अपने वजन का संतुलन बनाए रखें। यह मधुमेह, ह्रदय रोग और सी.के.डी. के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों को रोकने में सहायक होता है।

4. धूम्रपान और तंबाकू के उत्पादों का सेवन ना करे

धूम्रपान करने से एथीरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना हो सकती है। यह किडनी में रक्त प्रवाह को कम कर देता है। जिससे किडनी की कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। अध्ययनों से यह भी पता चला हैं की धूम्रपान के कारण उन लोगों में जिनके अंतर्निहित किडनी की बीमारी है या होने वाली है, उनके किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट तेजी से आती है।

5. ओ.टी.सी. दवाओं से सावधान (ओवर द काऊंटर)

लम्बे समय तक दर्द निवारक दवाई लेने से किडनी को नुकसान होने का भी भय रहता है। सामान्यतः ली जाने वाली दवाओं में दवाई जैसे आईब्यूप्रोफेन, डायक्लोफेनिक, नेपरोसिन, आदि किडनी को क्षति पहुँचाते हैं जिससे अंत में किडनी फेल्योर हो सकता है। अपने दर्द को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लें और अपनी किडनी को किसी भी प्रकार से खतरे में न डालें।

6. खूब पानी पीएँ

रोज 3 लीटर से अधिक (10-12 गिलास) पानी पीएँ। पर्याप्त पानी पीने से, पेशाब पतला होता है एवं शरीर से कभी विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को निकलने और किडनी की पथरी को बनने से रोकने में सहायता मिलती है।

7. किडनी का वार्षिक चेक-अप

किडनी की बीमारियाँ अक्सर छुपी हुई एवं गंभीर होती है। अंतिम चरण पहुँचने तक इनमें किसी भी प्रकार का लक्षण नहीं दिखता है। किडनी की बीमारियों को रोकथाम और शीघ्र निदान के लिए सबसे शक्तिशाली पर प्रभावी उपाय है नियमित रूप से किडनी का चेक -अप कराना। पर अफ़सोस है की इस विधि का उपयोग ज्यादा नहीं होता है। किडनी का वार्षिक चेक -अप कराना, उच्च जोखिम वाले व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी है, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापे से ग्रस्त हैं और जिनके परिवार में किडनी की बीमारियों का इतिहास है। अगर आप अपनी किडनी से प्रेम करते हैं और अधिक महत्वपूर्ण है, तो 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से अपने किडनी की जाँच करवाना मत भूलिये। किडनी की बीमारी और उसके निदान के लिए सबसे सरल विधि है की साल में एक बार रक्तचाप का माप लेना, खून में क्रीएटिनिन को मापना और पेशाब परीक्षण करवाना।


किडनी रोगों के होने पर सावधानियाँ

किडनी रोगों की जानकारी तथा प्रारंभिक निदान

सतर्क रहें और किडनी की बीमारी के लक्षणों को अनदेखा न करें। चेहरे और पैरों में सूजन आना, खाने में अरुचि होना, उल्टी या उबकाई आना, खून में फीकापन होना, लम्बे समय से थकावट का एहसास होना, रात में कई बार पेशाब करने जाना, पेशाब में तकलीफ होना जैसे लक्षण किडनी रोगो की निशानी हो सकती हैं।

ऐसी तकलीफ से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत जाँच के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। उपरोक्त लक्षणों की अनुपस्थिति में अगर पेशाब में प्रोटीन जाता हो या खून में क्रीएटिनिन की मात्रा में वृध्दि हो, तो यह भी किडनी रोग होने का संकेत है। किडनी के रोग का प्रारंभिक अवस्था में निदान रोग के रोकथाम, नियंत्रण करने एवं ठीक करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

डायाबिटीज के मरीजों के लिए जरुरी सावधानी

किडनी की बीमारी की रोकथाम सभी मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से आवश्यक है। क्योकि दुनिया भर में सी. के. डी. और किडनी की विफलता का प्रमुख कारण मधुमेह है। डायालिसिस में आनेवाले क्रोनिक किडनी डिजीज के हर तीन मरीज में से एक मरीज किडनी फेल होने का कारण डायाबिटीज होता है। इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए डायाबिटीज के मरीजों को हमेंशा दवाई एवं परहेज से डायाबिटीज नियंत्रण में रखना चाहिए।

प्रत्येक मरीज को किडनी पर डायाबिटीज के असर की जल्द जानकारी के लिए हर तीन महीने में खून का दबाव एवं पेशाब में प्रोटीन की जाँच कराना जरुरी है। खून का दबाव बढ़ना, पेशाब में प्रोटीन का आना, शरीर में सूजन आना, खून में बार - बार शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा कम होना तथा डायाबिटीज के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की मात्रा में कमी होना आदि डायाबिटीज के कारण किडनी खराब होने के संकेत होते है। किडनी की कार्यक्षमता का आंकलन करने के लिए हर साल कम से कम एक बार सीरम क्रीएटिनिन और eGFR का माप करवाना चाहिए। यदि मरीज को डायाबिटीज के कारण आँखो में तकलीफ की वजह से लेसर का उपचार कराना पड़े, तो ऐसे मरीजों की किडनी खराब होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसे मरीजों को किडनी की नियमित रूप से जाँच कराना अत्यंत जरूरी है। किडनी को खराब होने से बचाने के लिए डायाबिटीज के कारण किडनी पर असर का प्रारंभिक निदान जरूरी है। इसके लिए पेशाब में माइक्रोएल्ब्युमिनयूरिया की जाँच एकमात्र एवं सर्वश्रष्ठ जाँच है।

सी. के. डी. को रोकने के लिए सभी मधुमेह रोगियों को खून और पेशाब में सावधानी से शक्कर की मात्रा नियंत्रित रखना चाहिए। जिसके लिए यदि आवश्यक हो तो डॉक्टर से परामर्श कर उचित दवाएँ लेना चाहिए। रक्तचाप को 130/80 mmHg से कम बनाए रखना चाहिए। इसके अलावा अपने आहार में प्रोटीन की मात्रा कम करें और वजन को नियंत्रण में रखें ।

उच्च रक्तचाप वाले मरीजों के लिए आवश्यक सावधानियाँ

उच्च रक्तचाप क्रोनिक किडनी फेल्योर का एक महत्वपूर्ण कारण है। अधिकांश मरीजों में उच्च रक्तचाप के कोई लक्षण नहीं होने के कारण कई मरीज ब्लडप्रेशर की दवा अनियमित रूप से लेते हैं या बंद कर देते हैं। ऐसे मरीजों में लंबे समय तक खून का दबाव ऊँचा बने रहने के कारण किडनी खराब होने की आशंका रहती है। कुछ मरीज इलाज अधूरा छोड़े देते हैं क्योकि वे दवा के बिना अधिक सहज महसूस करते हैं, पर यह खतरनाक है। लंबे समय तक अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है, जैसे - सी. के. डी., दिल का दौरा और स्ट्रोक।

किडनी के रोगों को रोकने के लिए सभी उच्च रक्तचाप से ग्रस्त मरीजों को नियमित रूप से रक्तचाप की निर्धारित दवा लेनी चाहिए, नियमित रूप से रक्तचाप की जाँच करवानी चाहिए एवं उचित मात्रा में नमक लेना चाहिए। चिकित्सा का लक्ष्य है की रक्तचाप, 130/80 mmHg के बराबर या उससे कम रहे। इसलिए उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को खून का दबाव नियंत्रण में रखना चाहिए और किडनी पर इसके प्रभाव के शीघ्र निदान के लिए साल में एक बार पेशाब की और खून में क्रीएटिनिन की जाँच करने की सलाह दी जाती है।

क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीजों के लिए आवश्यक सावधानियाँ

सी. के. डी. एक बीमारी है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीज अगर सख्ती से खाने में परहेज, नियमित जाँच एवं दवा का सेवन करें तो किडनी ख़राब होने की प्रक्रिया को धीमी कर सकते हैं तथा डायालिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत को लम्बे समय तक टाल सकते है। क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीजों में किडनी को नुकसान होने से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपचार उच्च रक्तचाप पर हमेंशा के लिए उचित नियंत्रण रखना जरुरी है। इसके लिए मरीज को घर पर दिन में दो से तीन बार बी. पी. नापकर चार्ट बनाना चाहिए।

ताकि डॉक्टर इसे ध्यान में रखते हुए दवाइयों में परिवर्तन कर सके। खून का दबाव 140/84 से नीचे होना लाभ दायक और आवश्यक है।

क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीजों में मूत्रमार्ग में रूकावट, पथरी, पेशाब की परेशानी या अन्य संक्रमण, शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाना इत्यादि का तुरंत उचित उपचार कराने से किडनी की कार्यक्षमता को लम्बे समय तक यथावत रखने में सहायता मिलती है।

वंशानुगत रोग पी. के. डी. का शीघ्र निदान और उपचार

पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पी. के. डी.) एक वंशानुगत रोग है। इसलिए परिवार के किसी एक सदस्य में इस रोग के निदान होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार परिवार के अन्य व्यक्तियों को यह बीमारी तो नहीं है, इसका निदान करा लेना आवश्यक है। यह रोग माता या पिता से विरासत के रूप में 50 प्रतिशत बच्चों में आता है। इसलिए 20 साल की आयु के बाद किडनी रोग के कोई लक्षण न होने पर भी पेशाब, खून और किडनी की सोनोग्राफी की जाँच डॉक्टर की सलाह अनुसार 2 से 3 साल के अंतराल पर नियमित रूप से करानी चाहिये। प्रारभिंक निदान के पश्चात् खान - पान में परहेज, खून के दबाव पर नियंत्रण, पेशाब के संक्रमण का त्वरित उपचार आदि की मदद से किडनी खराब होने की प्रक्रिया धीमी की जा सकती है।

बच्चों में मूत्रमार्ग के संक्रमण का उचित उपचार

बच्चों में अगर बार - बार बुखार आता हो, उनका वजन नहीं बढ़ता हो, तो इस के लिए मूत्रमार्ग में संक्रमण जिम्मेदार हो सकता है। बच्चों में मूत्रमार्ग के संक्रमण का शीघ्र निदान तथा उचित उपचार महत्वपूर्ण है। अगर निदान व उपचार में विलंब होता है, तो बच्चे की विकास हो रही किडनी में अपूरणीय क्षति हो सकती है।

यह याद रखना चाहिए की मूत्रमार्ग का संक्रमण किडनी को नुकसान पहुँचा सकता हैं। विशेषकर तब, जब इसका निदान देर से एवं उचित न हुआ हो। इस तरह के नुकसान से भविष्य में किडनी में जख्म, किडनी का कमजोर विकास, उच्च रक्तचाप और किडनी फेल्योर होने की संभावनाएं हो सकती है। इस तरह के नुकसान के कारण भविष्य में किडनी के धीरे-धीरे खराब होने का भय रहता है (किन्तु वयस्कों में मूत्रमार्ग के संक्रमण के कारण किडनी खराब होने का भय कम है)। कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चों में, पेशाब में संक्रमण का मुख्य कारण मूत्रमार्ग में जन्मजात क्षति या रुकावट होती है।

इस प्रकार के रोगों में समय पर एवं त्वरित उपचार कराना जरुरी है। उपचार के आभाव से किडनी खराब होने की संभावना रहती है। संक्षेप में, बच्चों में किडनी खराब होने से बचाने के लिए मूत्रमार्ग के संक्रमण का शीघ्र निदान तथा उपचार और संक्रमण होने के कारण का निदान और उपचार अत्यंत आवश्यक है।

बचपन में 50% मूत्रमार्ग में संक्रमण के मरीजों का मुख्य कारण वेसाईको यूरेट्रेाल रिफ्लक्स है। मूत्रमार्ग में संक्रमण से प्रभावित बच्चों में नियमित जाँच और समय पर उचित उपचार विशेष रूप से अनिवार्य होता है।

वयस्कों में बार - बार पेशाब के संक्रमण का उचित उपचार

किसी भी उम्र में संक्रमण की तकलीफ अगर बार - बार हो और दवा से भी परिस्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही हो, तो इसका कारण जानना जरूरी है। इस का कारण मूत्रमार्ग में रूकावट, पथरी वगैरह हो तो समय पर उचित उपचार से किडनी को संभवित नुकसान से बचाया जा सकता है।

पथरी और बी. पी. एच. का उचित उपचार

प्रायः किडनी अथवा मूत्रमार्ग में पथरी का निदान होने के पश्चात् भी कोई खास तकलीफ न होने के कारण मरीज उपचार के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। इसी तरह बड़ी उम्र में प्रोस्टेट की तकलीफ (बी. पी. एच.) के कारण उत्पन्न लक्षणों के प्रति मरीज लापरवाह रहता है। ऐसे मरीजों में लम्बे समय के पश्चात् किडनी को नुकसान होने का भय रहता है। इसलिए समय पर डॉक्टर के सलाह के अनुसार उपचार कराना जरुरी है।


कम उम्र में उच्च रक्तचाप के लिए जाँच

सामान्यतः 30 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप एक असामान्य लक्षण है। इसके अंतर्निहित कारण को जानने के लिए एक विस्तृत जाँच की आवश्यकता होती है। कम आयु में उच्च रक्तचाप का सबसे महत्वपूर्ण कारण किडनी रोग है। इसलिए कम उम्र में उच्च रक्तचाप होने पर किडनी की जाँच अवश्य करवानी चाहिए।

एक्यूट किडनी फेल्योर के कारणों का शीघ्र उपचार

अचानक किडनी खराब होने के मुख्य कारणों में दस्त, उलटी होना, मलेरिया, अत्यधिक रक्तस्राव, खून में गंभीर संक्रमण, मूत्रमार्ग में अवरोध इत्यादि शामिल हैं। इन सभी समस्याओं का शीघ्र, उचित और संपूर्ण उपचार कराने पर किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है।

डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा का उपयोग

सामान्यतः ली जानेवाली दवाइयाँ में कई दवाइँ (जैसे की दर्दशामक दवाइँ) लंबे समय तक लेने से किडनी को नुकसान होने का भय रहता है। कई दवाओं का व्यापक रूप से विज्ञापन होता है परन्तु इनके हानिकारक परिणामों का शायद ही खुलासा होता है। सामान्यतः शरीर के दर्द के लिए और सिर दर्द के लिए दर्दनाशक दवाइयों के अंधधुंध प्रयोग से बचें। इसलिए अनावश्यक दवाईयाँ लेने की प्रवृति को टालना चाहिए तथा आवश्यक दवाइँ डॉक्टर की सलाह के अनुसार निर्धारित मात्रा और समय पर लेना ही लाभदायक होता है। सबी आयुर्वेदिक दवाईयाँ सुरक्षित हैं - यह एक गलत धारणा है। कई भारी धातुओं की भस्म किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है।

एक किडनीवाले व्यक्तियों में सावधानियाँ

एक किडनी से भी मनुष्य एक सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकता है। एक किडनी वाले, व्यक्ति को अत्यधिक नमक के सेवन एवं उच्च प्रोटीनयुक्त आहार से बचना चाहिए और अकेली किडनी पर किसी भी प्रकार की चोट से बचना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण यह है की ऐसे मरीजों की साल में एक बार नियमित चिकित्सा जाँच होनी ही चाहिए। निश्चित रूप से किडनी की कार्यक्षमता को जाँचने और परखने के लिए हर वर्ष कम से कम एक बार चिकित्स्क से परामर्श लेना चाहिए। रक्तचाप, रक्त परीक्षण और पेशाब की जाँच करवानी चाहिए और यदि जरा भी शक हो तो किडनी की अल्ट्रासोनोग्राफी अवश्य करवानी चाहिए। एक किडनेवाले व्यक्तियों को पानी अधिक पीना, पेशाब के अन्य संक्रमण का शीध्र एवं उचित उपचार कराना और नियमित रूप से डॉक्टर को दिखाना अत्यंत आवश्यक है।

कौन सा फल किडनी की रक्षा करता है?

किडनी मानव शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है, जो हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इसका मुख्य कार्य शरीर में मौजूद वेस्ट प्रोडक्ट्स और अतिरिक्त तरल को फिल्टर करना है। इसके अलावा यह इलेक्ट्रोलाइट के स्तर को बनाए रखने और खून को साफ कर शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करती है। 

किडनी हमारे शरीर का बेहद अहम अंग है। यह शरीर में कई सारे जरूरी काम करती है। ऐसे में इसकी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आप इन फलों को अपनी डाइट में शामिल कर इसे हेल्दी रख सकते हैं।


क्रैनबेरी

क्रैनबेरी अपने हाई एंटीऑक्सीडेंट गुण और यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन रोकने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाती है। साथ ही इसे खाने से किडनी से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और किडनी के कार्य में सुधार करने में मदद मिलती है।

ब्लूबेरी

ब्लूबेरी एंटीऑक्सिडेंट्स, विशेष रूप से एंथोकायनिन से भरपूर होती है, जो सूजन को कम करने और किडनी को डैमेज से बचाने में मददगार होती है। इनमें कई ऐसे कंपाउंड भी होते हैं, जो यूरिनरी ट्रैक हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

सेब

सेब फाइबर से भरपूर होते हैं और इसमें पेक्टिन नामक कंपाउंड होता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद कर सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो किडनी की सेहत के लिए फायदेमंद है।

तरबूज

तरबूज एक हाइड्रेटिंग फल है, जिसमें पानी की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो किडनी के कार्य को बढ़ावा देता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें लाइकोपीन भी होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है,जो किडनी के स्वास्थ्य बेहतर करता है।

नींबू

नींबू पानी किडनी में पथरी बनने से रोकने में मदद करता है। साथ ही यह यूरिन प्रोडक्शन में बढ़ोतरी कर शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है।

अनानास

अनानास में ब्रोमेलैन नामक एक एंजाइम होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो किडनी की सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। यह हाइड्रेशन में भी मदद करता है और विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है।

अनार

अनार एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और किडनी पर सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है। यह सूजन को कम करने और ऑक्सीडेटिव डैमेज को रोकने में मदद कर सकता है।

पपीता

पपीता विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होता है। इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो यूरिन फ्लो और डिटॉक्सीफिकेशन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। 

किडनी की गंदगी कैसे साफ करें?

 किडनी यानी गुर्दा शरीर के बेहद महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. शरीर में खाना खाने के बाद कई तरह के टॉक्सिन बनते हैं. इन टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालने का काम किडनी ही करती है. यह ब्लड से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त तरल पदार्थ को छानकर पेशाब के रास्ते बहार निकाल देती है | इसके साथ ही किडनी शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखती है | इतना महत्वपूर्ण अंग होने के कारण किडनी में किसी तरह की परेशानी होने से पूरे शरीर में हलचल मच सकती है |यही कारण है कि किडनी की सफाई भी जरूरी है |किडनी की सफाई का मतलब है किडनी की तंदुरुस्ती.जब शरीर में ज्यादा मिनिरल्स, केमिकल्स, सोडियम, कैल्शियम, पानी, फॉस्फोरस, पोटैशियम, ग्लूकोज आदि की मात्रा बढ़ने लगती है तो किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है | इससे किडनी फंक्शन की क्षमता प्रभावित होने लगती है| आजकल जिस तरह की लाइफस्टाइल है, वह भी किडनी के लिए सही नहीं है|



हमारे शरीर में मौजूद गुर्दे दो ऐसे छोटे अंग होते हैं जो हमारी रीढ़ के दोनों ओर पसलियों के नीचे स्थित होता है। यह हमारे शरीर के प्रमुख अंगों में से एक होते हैं जिन पर हमारे शरीर की अधिकांश गतिविधियां निर्भर होती हैं। हमारी किडनी या हार्मोन बनाने और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही साथ या शरीर में मौजूद कचरों को बाहर निकालने का भी काम करती हैं। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में भी कई उपाय बताए गए हैं। कुछ ऐसे आसान नुस्खे हैं जिनकी मदद से आप अपनी किडनी को डिटॉक्स कर सकते हैं, इससे ना सिर्फ आपकी किडनी अच्छी तरह से काम करेगी बल्कि भविष्य में होने वाले रोगों के होने की संभावनाएं भी कम हो जाएंगी।

क्या किडनी की सफाई जरूरत है

किडनी स्पेशलिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ ने बताया कि जब बॉडी में अतिरिक्त चीजें जैसे, शुगर, नमक, पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम आदि की मात्रा ज्यादा हो जाए तो इससे किडनी पर दबाव पड़ता है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर किडनी जब हेल्दी रहती है और आपने फूड के माध्यम से कुछ ज्यादा चीजें खा ली हैं तो ज्यादा पानी पीकर भी इसे वाश आउट किया जा सकता है. लेकिन कई वजहों से किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. इस स्थिति में किडनी पर टॉक्सिन का ऑवरलोड हो जाता है. यह किडनी के खराब होने की स्थितियों में भी हो सकता है.

किडनी की कैसे करें सफाई

किडनी को हेल्दी रखने के लिए जरूरी है कि किडनी को जिन चीजों से नुकसान पहुंचता है वह चीजें न खाएं. उन्होंने कहा कि अगर किडनी में टॉक्सिन की मात्रा अधिक है तो इसे निकालने के दो ही तरीके हैं. एक तो आप उन चीजों को ले ही न और दूसरा जब ले ली तो इन टॉक्सिक पदार्थों को फ्लश आउट करने वाली चीजों का सेवन करें. किडनी डिटॉक्सीफिकेशन के लिए आंत का हेल्दी होना भी जरूरी है. इसके लिए आंत में गुड बैक्टीरिया का होना आवश्यक है. गुड बैक्टीरिया के लिए प्रोबायोटिक फूड जैसे दही, छाछ आदि का सेवन करें. इससे किडनी की सफाई होती है और शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने नहीं देते. इसके साथ ही मोटा अनाज किडनी, लिवर सहित पूरे पेट की गंदगी की सफाई कर देता है.

क्या-क्या नहीं करना चाहिए

किडनी को मजबूत करने के लिए जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, पैकेज्ड फूड, पोटैशियम रिच फूड, रेड मीट, ज्यादा नमक, ज्यादा चीनी, लोना सॉल्ट बिल्कुल नहीं लेना चाहिए. अगर कोई किडनी से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं तो उसे डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए. हर इंसान के शरीर को अलग-अलग तरह से फूड की जरूरत हो सकती है. इसलिए डॉक्टरों से संपर्क कर डाइट को बैलेंस करें.

गर्म पानी के साथ अदरक और धनिया बीज

किडनी की सफाई के लिए गर्म पानी एक अच्छा विकल्प है। आप 1 लीटर पानी में 5 ग्राम अदरक और 5 ग्राम तक धनिया के बीज को लेकर एक साथ उबाल सकते हैं। इस सामग्री को तब तक उबालना है जब तक 1 लीटर पानी पक कर 10 ग्राम तक ना हो जाए। इसे गुनगुना होने दें और फिर सेवन करें।

नारियल पानी और इलायची

नारियल पानी और इलायची भी किडनी की सफाई में एक बराबर काम करता है। हरे कच्चे नारियल के पानी में इलायची पाउडर डालकर पीना किडनी डिटॉक्स में फायदेमंद हो सकता है। 12ml नारियल पानी में 2 ग्राम इलायची पाउडर डालकर आप सेवन कर सकते हैं।

अगर आप किडनी से जुड़ी किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो इन नुस्खों का प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह ले सकते हैं। क्योंकि यह नुस्खे सिर्फ उन लोगों के लिए है नींद की किडनी स्वस्थ है उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है।




अपनी किडनी को डिटॉक्स करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

 हमारा शरीर कई तरह के टॉक्सिन्स को फिल्टर और बाहर निकालने का काम करता है, जिसमें सबसे अहम भूमिका किडनी निभाती है। किडनी हमारे खून को साफ कर...