किडनी की बीमारी के 10 संकेत क्या है?

 किडनी की बीमारी इन दिनों तेजी से पैर पसार रही है. ज्यादातर लोग किडनी डैमेज होने के शुरुआती संकेतों को पहचान नहीं पाते हैं. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किडनी खराब होने से पहले शरीर को कई तरह के संकेत देती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किडनी की बीमारी होने पर बहुत समय तक कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. लेकिन अगर आपको शरीर पर ऐसे कोई लक्षण दिखें तो आपको इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. बल्कि इन संकेतों को समझना चाहिए. 



1. आपके मूत (मूत्र) में खून

यह कई अलग-अलग चीजों के कारण हो सकता है लेकिन किडनी की बीमारी उनमें से एक है।

जब आपकी किडनी ठीक से काम कर रही होती है, तो वे आपके रक्त से अपशिष्ट को फ़िल्टर करके आपके शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाए रखती हैं। हालाँकि, यदि गुर्दे के फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो कुछ रक्त कोशिकाएं आपके मूत्र में रिसाव कर सकती हैं। यदि आपको अपने मूत में खून दिखाई देता है, तो आपको हमेशा अपने डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए ताकि वे संक्रमण के साथ-साथ मूत्राशय और गुर्दे के कैंसर जैसी गंभीर चीजों से भी इंकार कर सकें।

2. सूजी हुई आंखें, टखने और पैर

क्या आपने अपनी आंखों के आसपास सूजन और/या टखनों और पैरों में सूजन देखी है? जब आपकी किडनी आपके शरीर से अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट को बाहर नहीं निकालती है, तो यह आपके ऊतकों में जमा हो सकता है। इससे सूजन हो जाती है, आमतौर पर आपके निचले शरीर में, हालांकि यह आपकी आंखों के आसपास और कभी-कभी आपके हाथों सहित अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित कर सकता हैयदि उपचार न किया जाए, तो यह फेफड़ों में अतिरिक्त पानी का रूप ले सकता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। डॉक्टर इसे 'फुफ्फुसीय एडिमा' कहते हैं।

3. झागदार मूत

आपके मूत में झाग इस बात का संकेत है कि उसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक है , खासकर यदि आपको बुलबुले साफ करने के लिए कई बार पानी धोना पड़ता है। संकेत: यह उस झाग जैसा लग सकता है जिसे आप अंडे फोड़ते समय सतह पर देखते हैं, क्योंकि मूत्र में जिस प्रकार का प्रोटीन समाप्त होता है वह अंडे में पाए जाने वाले एल्ब्यूमिन के समान होता है।

4. थकान और दिमागी धुंध

जब आपकी किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, तो आपके रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे आपको थकान महसूस हो सकती है और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है

इसके अलावा, सीकेडी एनीमिया - लाल रक्त कोशिकाओं की कमी - का कारण बन सकता है जिससे थकान भी हो सकती है।

5. भूख कम लगना

तनाव से लेकर कई गंभीर बीमारियों तक हर चीज का एक सामान्य लक्षण, विषाक्त पदार्थों के निर्माण के कारण सीकेडी में भूख कम लगना हो सकता है।


6. मतली

सीकेडी बीमारी की भावना पैदा कर सकता है क्योंकि आपकी किडनी आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को ठीक से नहीं निकाल रही है।

7. अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता होना

स्वस्थ गुर्दे आपके रक्त को फ़िल्टर करते हैं और अपशिष्ट को मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल देते हैं। लेकिन जब गुर्दे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो वे खरपतवार बना सकते हैं जिसमें अधिकतर पानी और कुछ अपशिष्ट उत्पाद होते हैंइसका मतलब है कि आपको अधिक बार शौचालय जाने की आवश्यकता पड़ सकती है, खासकर रात में।

8. सूखी, खुजलीदार त्वचा

विशेषज्ञ ठीक से नहीं जानते कि गुर्दे की बीमारी के कारण त्वचा अत्यधिक शुष्क और खुजलीदार क्यों हो जाती है। लेकिन यह रक्त में विषाक्त पदार्थों और आपके शरीर में खनिजों के स्तर में असंतुलन सहित कुछ अलग-अलग कारकों से जुड़ा हो सकता है।

9. मांसपेशियों में ऐंठन

कभी-कभार ऐंठन होना सामान्य है, लेकिन किडनी की खराब कार्यप्रणाली से मांसपेशियों में अधिक ऐंठन हो सकती है।

10. नींद की समस्या

ऐसे कुछ कारण हैं जिनकी वजह से सीकेडी आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है। आपके रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं और प्रसारित हो सकते हैं, जो आपको जगाए रख सकते हैं।

मोटापा सीकेडी और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया दोनों का एक अंतर्निहित कारण है, जिसके कारण आपको रात में कई बार बहुत ही कम समय के लिए जागना पड़ सकता है। और रात में शौचालय जाने की आवश्यकता आपकी नींद को गंभीर रूप से बाधित कर सकती है।

किडनी को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए?

 किडनी के कई रोग बहुत गंभीर होते हैं और यदि इनका समय पर इलाज नहीं किया गया, तो उपचार असरकारक नहीं होता है। विकासशील देशों में उच्च लगत, संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी के कारण किडनी फेल्योर से पीड़ित सिर्फ 5-10% मरीज ही डायालिसिस और किडनी प्रत्यारोपण का उपचार करवा पाते है। बाकि मरीज सामान्य उपचार पर बाध्य होते हैं जिससे उन्हें अल्पावधि में ही विषमताओं का सामना करना पड़ता है। क्रोनिक किडनी फेल्योर जैसे रोग जो ठीक नहीं हो सकते हैं, उनका अंतिम चरण के उपचार जैसे - डायालिसिस और किडनी प्रत्यारोपण बहुत महँगे हैं। यह सुविधा हर जगह उपलब्ध भी नहीं होती है।


किडनी की बीमारी को कैसे रोकें?

अपने किडनी को कभी अनदेखा न करें। इसके निम्नलिखित दो भाग हैं:

1. सामान्य व्यक्ति के लिए सूचनाएं

2.किडनी रोगों की देखभाल के लिए सावधानियाँ

सामान्य व्यक्ति के लिए सूचनाएं

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सात प्रभावी तरीके:

1. फिट और सक्रिय रहे

नियमित रूप से एरोबिक व्यायाम और दैनिक शरीरिक गतिविधियाँ, रक्तचाप को सामान्य रखने में और रक्त शर्करा को नियंत्रण करने में मदद करती हैं। इस तरह शरीरिक गतिविधियाँ, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के खतरे को कम कर देती है और इस प्रकार सी. के. डी. के जोखिम को कम किया जा सकता है।

2. संतुलित आहार

ताजे फल और सब्जियों युक्त आहार लें। आहार में परिष्कृत खाघ पदार्थ, चीनी, वसा और मांस का सेवन घटाना चाहिए। वे लोग जिनकी उम्र 40 के ऊपर है, भोजन में कम नमक लें जिससे उच्च रक्तचाप और किडनी की पथरी के रोकथाम में मदद मिले।

3. वजन नियंत्रण रखें

स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम के साथ अपने वजन का संतुलन बनाए रखें। यह मधुमेह, ह्रदय रोग और सी.के.डी. के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों को रोकने में सहायक होता है।

4. धूम्रपान और तंबाकू के उत्पादों का सेवन ना करे

धूम्रपान करने से एथीरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना हो सकती है। यह किडनी में रक्त प्रवाह को कम कर देता है। जिससे किडनी की कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। अध्ययनों से यह भी पता चला हैं की धूम्रपान के कारण उन लोगों में जिनके अंतर्निहित किडनी की बीमारी है या होने वाली है, उनके किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट तेजी से आती है।

5. ओ.टी.सी. दवाओं से सावधान (ओवर द काऊंटर)

लम्बे समय तक दर्द निवारक दवाई लेने से किडनी को नुकसान होने का भी भय रहता है। सामान्यतः ली जाने वाली दवाओं में दवाई जैसे आईब्यूप्रोफेन, डायक्लोफेनिक, नेपरोसिन, आदि किडनी को क्षति पहुँचाते हैं जिससे अंत में किडनी फेल्योर हो सकता है। अपने दर्द को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लें और अपनी किडनी को किसी भी प्रकार से खतरे में न डालें।

6. खूब पानी पीएँ

रोज 3 लीटर से अधिक (10-12 गिलास) पानी पीएँ। पर्याप्त पानी पीने से, पेशाब पतला होता है एवं शरीर से कभी विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को निकलने और किडनी की पथरी को बनने से रोकने में सहायता मिलती है।

7. किडनी का वार्षिक चेक-अप

किडनी की बीमारियाँ अक्सर छुपी हुई एवं गंभीर होती है। अंतिम चरण पहुँचने तक इनमें किसी भी प्रकार का लक्षण नहीं दिखता है। किडनी की बीमारियों को रोकथाम और शीघ्र निदान के लिए सबसे शक्तिशाली पर प्रभावी उपाय है नियमित रूप से किडनी का चेक -अप कराना। पर अफ़सोस है की इस विधि का उपयोग ज्यादा नहीं होता है। किडनी का वार्षिक चेक -अप कराना, उच्च जोखिम वाले व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी है, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापे से ग्रस्त हैं और जिनके परिवार में किडनी की बीमारियों का इतिहास है। अगर आप अपनी किडनी से प्रेम करते हैं और अधिक महत्वपूर्ण है, तो 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से अपने किडनी की जाँच करवाना मत भूलिये। किडनी की बीमारी और उसके निदान के लिए सबसे सरल विधि है की साल में एक बार रक्तचाप का माप लेना, खून में क्रीएटिनिन को मापना और पेशाब परीक्षण करवाना।


किडनी रोगों के होने पर सावधानियाँ

किडनी रोगों की जानकारी तथा प्रारंभिक निदान

सतर्क रहें और किडनी की बीमारी के लक्षणों को अनदेखा न करें। चेहरे और पैरों में सूजन आना, खाने में अरुचि होना, उल्टी या उबकाई आना, खून में फीकापन होना, लम्बे समय से थकावट का एहसास होना, रात में कई बार पेशाब करने जाना, पेशाब में तकलीफ होना जैसे लक्षण किडनी रोगो की निशानी हो सकती हैं।

ऐसी तकलीफ से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत जाँच के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। उपरोक्त लक्षणों की अनुपस्थिति में अगर पेशाब में प्रोटीन जाता हो या खून में क्रीएटिनिन की मात्रा में वृध्दि हो, तो यह भी किडनी रोग होने का संकेत है। किडनी के रोग का प्रारंभिक अवस्था में निदान रोग के रोकथाम, नियंत्रण करने एवं ठीक करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

डायाबिटीज के मरीजों के लिए जरुरी सावधानी

किडनी की बीमारी की रोकथाम सभी मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से आवश्यक है। क्योकि दुनिया भर में सी. के. डी. और किडनी की विफलता का प्रमुख कारण मधुमेह है। डायालिसिस में आनेवाले क्रोनिक किडनी डिजीज के हर तीन मरीज में से एक मरीज किडनी फेल होने का कारण डायाबिटीज होता है। इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए डायाबिटीज के मरीजों को हमेंशा दवाई एवं परहेज से डायाबिटीज नियंत्रण में रखना चाहिए।

प्रत्येक मरीज को किडनी पर डायाबिटीज के असर की जल्द जानकारी के लिए हर तीन महीने में खून का दबाव एवं पेशाब में प्रोटीन की जाँच कराना जरुरी है। खून का दबाव बढ़ना, पेशाब में प्रोटीन का आना, शरीर में सूजन आना, खून में बार - बार शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा कम होना तथा डायाबिटीज के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की मात्रा में कमी होना आदि डायाबिटीज के कारण किडनी खराब होने के संकेत होते है। किडनी की कार्यक्षमता का आंकलन करने के लिए हर साल कम से कम एक बार सीरम क्रीएटिनिन और eGFR का माप करवाना चाहिए। यदि मरीज को डायाबिटीज के कारण आँखो में तकलीफ की वजह से लेसर का उपचार कराना पड़े, तो ऐसे मरीजों की किडनी खराब होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसे मरीजों को किडनी की नियमित रूप से जाँच कराना अत्यंत जरूरी है। किडनी को खराब होने से बचाने के लिए डायाबिटीज के कारण किडनी पर असर का प्रारंभिक निदान जरूरी है। इसके लिए पेशाब में माइक्रोएल्ब्युमिनयूरिया की जाँच एकमात्र एवं सर्वश्रष्ठ जाँच है।

सी. के. डी. को रोकने के लिए सभी मधुमेह रोगियों को खून और पेशाब में सावधानी से शक्कर की मात्रा नियंत्रित रखना चाहिए। जिसके लिए यदि आवश्यक हो तो डॉक्टर से परामर्श कर उचित दवाएँ लेना चाहिए। रक्तचाप को 130/80 mmHg से कम बनाए रखना चाहिए। इसके अलावा अपने आहार में प्रोटीन की मात्रा कम करें और वजन को नियंत्रण में रखें ।

उच्च रक्तचाप वाले मरीजों के लिए आवश्यक सावधानियाँ

उच्च रक्तचाप क्रोनिक किडनी फेल्योर का एक महत्वपूर्ण कारण है। अधिकांश मरीजों में उच्च रक्तचाप के कोई लक्षण नहीं होने के कारण कई मरीज ब्लडप्रेशर की दवा अनियमित रूप से लेते हैं या बंद कर देते हैं। ऐसे मरीजों में लंबे समय तक खून का दबाव ऊँचा बने रहने के कारण किडनी खराब होने की आशंका रहती है। कुछ मरीज इलाज अधूरा छोड़े देते हैं क्योकि वे दवा के बिना अधिक सहज महसूस करते हैं, पर यह खतरनाक है। लंबे समय तक अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है, जैसे - सी. के. डी., दिल का दौरा और स्ट्रोक।

किडनी के रोगों को रोकने के लिए सभी उच्च रक्तचाप से ग्रस्त मरीजों को नियमित रूप से रक्तचाप की निर्धारित दवा लेनी चाहिए, नियमित रूप से रक्तचाप की जाँच करवानी चाहिए एवं उचित मात्रा में नमक लेना चाहिए। चिकित्सा का लक्ष्य है की रक्तचाप, 130/80 mmHg के बराबर या उससे कम रहे। इसलिए उच्च रक्तचाप वाले मरीजों को खून का दबाव नियंत्रण में रखना चाहिए और किडनी पर इसके प्रभाव के शीघ्र निदान के लिए साल में एक बार पेशाब की और खून में क्रीएटिनिन की जाँच करने की सलाह दी जाती है।

क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीजों के लिए आवश्यक सावधानियाँ

सी. के. डी. एक बीमारी है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीज अगर सख्ती से खाने में परहेज, नियमित जाँच एवं दवा का सेवन करें तो किडनी ख़राब होने की प्रक्रिया को धीमी कर सकते हैं तथा डायालिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत को लम्बे समय तक टाल सकते है। क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीजों में किडनी को नुकसान होने से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपचार उच्च रक्तचाप पर हमेंशा के लिए उचित नियंत्रण रखना जरुरी है। इसके लिए मरीज को घर पर दिन में दो से तीन बार बी. पी. नापकर चार्ट बनाना चाहिए।

ताकि डॉक्टर इसे ध्यान में रखते हुए दवाइयों में परिवर्तन कर सके। खून का दबाव 140/84 से नीचे होना लाभ दायक और आवश्यक है।

क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीजों में मूत्रमार्ग में रूकावट, पथरी, पेशाब की परेशानी या अन्य संक्रमण, शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाना इत्यादि का तुरंत उचित उपचार कराने से किडनी की कार्यक्षमता को लम्बे समय तक यथावत रखने में सहायता मिलती है।

वंशानुगत रोग पी. के. डी. का शीघ्र निदान और उपचार

पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पी. के. डी.) एक वंशानुगत रोग है। इसलिए परिवार के किसी एक सदस्य में इस रोग के निदान होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार परिवार के अन्य व्यक्तियों को यह बीमारी तो नहीं है, इसका निदान करा लेना आवश्यक है। यह रोग माता या पिता से विरासत के रूप में 50 प्रतिशत बच्चों में आता है। इसलिए 20 साल की आयु के बाद किडनी रोग के कोई लक्षण न होने पर भी पेशाब, खून और किडनी की सोनोग्राफी की जाँच डॉक्टर की सलाह अनुसार 2 से 3 साल के अंतराल पर नियमित रूप से करानी चाहिये। प्रारभिंक निदान के पश्चात् खान - पान में परहेज, खून के दबाव पर नियंत्रण, पेशाब के संक्रमण का त्वरित उपचार आदि की मदद से किडनी खराब होने की प्रक्रिया धीमी की जा सकती है।

बच्चों में मूत्रमार्ग के संक्रमण का उचित उपचार

बच्चों में अगर बार - बार बुखार आता हो, उनका वजन नहीं बढ़ता हो, तो इस के लिए मूत्रमार्ग में संक्रमण जिम्मेदार हो सकता है। बच्चों में मूत्रमार्ग के संक्रमण का शीघ्र निदान तथा उचित उपचार महत्वपूर्ण है। अगर निदान व उपचार में विलंब होता है, तो बच्चे की विकास हो रही किडनी में अपूरणीय क्षति हो सकती है।

यह याद रखना चाहिए की मूत्रमार्ग का संक्रमण किडनी को नुकसान पहुँचा सकता हैं। विशेषकर तब, जब इसका निदान देर से एवं उचित न हुआ हो। इस तरह के नुकसान से भविष्य में किडनी में जख्म, किडनी का कमजोर विकास, उच्च रक्तचाप और किडनी फेल्योर होने की संभावनाएं हो सकती है। इस तरह के नुकसान के कारण भविष्य में किडनी के धीरे-धीरे खराब होने का भय रहता है (किन्तु वयस्कों में मूत्रमार्ग के संक्रमण के कारण किडनी खराब होने का भय कम है)। कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चों में, पेशाब में संक्रमण का मुख्य कारण मूत्रमार्ग में जन्मजात क्षति या रुकावट होती है।

इस प्रकार के रोगों में समय पर एवं त्वरित उपचार कराना जरुरी है। उपचार के आभाव से किडनी खराब होने की संभावना रहती है। संक्षेप में, बच्चों में किडनी खराब होने से बचाने के लिए मूत्रमार्ग के संक्रमण का शीघ्र निदान तथा उपचार और संक्रमण होने के कारण का निदान और उपचार अत्यंत आवश्यक है।

बचपन में 50% मूत्रमार्ग में संक्रमण के मरीजों का मुख्य कारण वेसाईको यूरेट्रेाल रिफ्लक्स है। मूत्रमार्ग में संक्रमण से प्रभावित बच्चों में नियमित जाँच और समय पर उचित उपचार विशेष रूप से अनिवार्य होता है।

वयस्कों में बार - बार पेशाब के संक्रमण का उचित उपचार

किसी भी उम्र में संक्रमण की तकलीफ अगर बार - बार हो और दवा से भी परिस्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही हो, तो इसका कारण जानना जरूरी है। इस का कारण मूत्रमार्ग में रूकावट, पथरी वगैरह हो तो समय पर उचित उपचार से किडनी को संभवित नुकसान से बचाया जा सकता है।

पथरी और बी. पी. एच. का उचित उपचार

प्रायः किडनी अथवा मूत्रमार्ग में पथरी का निदान होने के पश्चात् भी कोई खास तकलीफ न होने के कारण मरीज उपचार के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। इसी तरह बड़ी उम्र में प्रोस्टेट की तकलीफ (बी. पी. एच.) के कारण उत्पन्न लक्षणों के प्रति मरीज लापरवाह रहता है। ऐसे मरीजों में लम्बे समय के पश्चात् किडनी को नुकसान होने का भय रहता है। इसलिए समय पर डॉक्टर के सलाह के अनुसार उपचार कराना जरुरी है।


कम उम्र में उच्च रक्तचाप के लिए जाँच

सामान्यतः 30 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप एक असामान्य लक्षण है। इसके अंतर्निहित कारण को जानने के लिए एक विस्तृत जाँच की आवश्यकता होती है। कम आयु में उच्च रक्तचाप का सबसे महत्वपूर्ण कारण किडनी रोग है। इसलिए कम उम्र में उच्च रक्तचाप होने पर किडनी की जाँच अवश्य करवानी चाहिए।

एक्यूट किडनी फेल्योर के कारणों का शीघ्र उपचार

अचानक किडनी खराब होने के मुख्य कारणों में दस्त, उलटी होना, मलेरिया, अत्यधिक रक्तस्राव, खून में गंभीर संक्रमण, मूत्रमार्ग में अवरोध इत्यादि शामिल हैं। इन सभी समस्याओं का शीघ्र, उचित और संपूर्ण उपचार कराने पर किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है।

डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा का उपयोग

सामान्यतः ली जानेवाली दवाइयाँ में कई दवाइँ (जैसे की दर्दशामक दवाइँ) लंबे समय तक लेने से किडनी को नुकसान होने का भय रहता है। कई दवाओं का व्यापक रूप से विज्ञापन होता है परन्तु इनके हानिकारक परिणामों का शायद ही खुलासा होता है। सामान्यतः शरीर के दर्द के लिए और सिर दर्द के लिए दर्दनाशक दवाइयों के अंधधुंध प्रयोग से बचें। इसलिए अनावश्यक दवाईयाँ लेने की प्रवृति को टालना चाहिए तथा आवश्यक दवाइँ डॉक्टर की सलाह के अनुसार निर्धारित मात्रा और समय पर लेना ही लाभदायक होता है। सबी आयुर्वेदिक दवाईयाँ सुरक्षित हैं - यह एक गलत धारणा है। कई भारी धातुओं की भस्म किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है।

एक किडनीवाले व्यक्तियों में सावधानियाँ

एक किडनी से भी मनुष्य एक सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकता है। एक किडनी वाले, व्यक्ति को अत्यधिक नमक के सेवन एवं उच्च प्रोटीनयुक्त आहार से बचना चाहिए और अकेली किडनी पर किसी भी प्रकार की चोट से बचना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण यह है की ऐसे मरीजों की साल में एक बार नियमित चिकित्सा जाँच होनी ही चाहिए। निश्चित रूप से किडनी की कार्यक्षमता को जाँचने और परखने के लिए हर वर्ष कम से कम एक बार चिकित्स्क से परामर्श लेना चाहिए। रक्तचाप, रक्त परीक्षण और पेशाब की जाँच करवानी चाहिए और यदि जरा भी शक हो तो किडनी की अल्ट्रासोनोग्राफी अवश्य करवानी चाहिए। एक किडनेवाले व्यक्तियों को पानी अधिक पीना, पेशाब के अन्य संक्रमण का शीध्र एवं उचित उपचार कराना और नियमित रूप से डॉक्टर को दिखाना अत्यंत आवश्यक है।

कौन सा फल किडनी की रक्षा करता है?

किडनी मानव शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है, जो हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इसका मुख्य कार्य शरीर में मौजूद वेस्ट प्रोडक्ट्स और अतिरिक्त तरल को फिल्टर करना है। इसके अलावा यह इलेक्ट्रोलाइट के स्तर को बनाए रखने और खून को साफ कर शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करती है। 

किडनी हमारे शरीर का बेहद अहम अंग है। यह शरीर में कई सारे जरूरी काम करती है। ऐसे में इसकी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आप इन फलों को अपनी डाइट में शामिल कर इसे हेल्दी रख सकते हैं।


क्रैनबेरी

क्रैनबेरी अपने हाई एंटीऑक्सीडेंट गुण और यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन रोकने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाती है। साथ ही इसे खाने से किडनी से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और किडनी के कार्य में सुधार करने में मदद मिलती है।

ब्लूबेरी

ब्लूबेरी एंटीऑक्सिडेंट्स, विशेष रूप से एंथोकायनिन से भरपूर होती है, जो सूजन को कम करने और किडनी को डैमेज से बचाने में मददगार होती है। इनमें कई ऐसे कंपाउंड भी होते हैं, जो यूरिनरी ट्रैक हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

सेब

सेब फाइबर से भरपूर होते हैं और इसमें पेक्टिन नामक कंपाउंड होता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद कर सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो किडनी की सेहत के लिए फायदेमंद है।

तरबूज

तरबूज एक हाइड्रेटिंग फल है, जिसमें पानी की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो किडनी के कार्य को बढ़ावा देता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसमें लाइकोपीन भी होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है,जो किडनी के स्वास्थ्य बेहतर करता है।

नींबू

नींबू पानी किडनी में पथरी बनने से रोकने में मदद करता है। साथ ही यह यूरिन प्रोडक्शन में बढ़ोतरी कर शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है।

अनानास

अनानास में ब्रोमेलैन नामक एक एंजाइम होता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो किडनी की सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। यह हाइड्रेशन में भी मदद करता है और विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है।

अनार

अनार एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और किडनी पर सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है। यह सूजन को कम करने और ऑक्सीडेटिव डैमेज को रोकने में मदद कर सकता है।

पपीता

पपीता विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होता है। इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो यूरिन फ्लो और डिटॉक्सीफिकेशन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। 

किडनी की गंदगी कैसे साफ करें?

 किडनी यानी गुर्दा शरीर के बेहद महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. शरीर में खाना खाने के बाद कई तरह के टॉक्सिन बनते हैं. इन टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालने का काम किडनी ही करती है. यह ब्लड से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त तरल पदार्थ को छानकर पेशाब के रास्ते बहार निकाल देती है | इसके साथ ही किडनी शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखती है | इतना महत्वपूर्ण अंग होने के कारण किडनी में किसी तरह की परेशानी होने से पूरे शरीर में हलचल मच सकती है |यही कारण है कि किडनी की सफाई भी जरूरी है |किडनी की सफाई का मतलब है किडनी की तंदुरुस्ती.जब शरीर में ज्यादा मिनिरल्स, केमिकल्स, सोडियम, कैल्शियम, पानी, फॉस्फोरस, पोटैशियम, ग्लूकोज आदि की मात्रा बढ़ने लगती है तो किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है | इससे किडनी फंक्शन की क्षमता प्रभावित होने लगती है| आजकल जिस तरह की लाइफस्टाइल है, वह भी किडनी के लिए सही नहीं है|



हमारे शरीर में मौजूद गुर्दे दो ऐसे छोटे अंग होते हैं जो हमारी रीढ़ के दोनों ओर पसलियों के नीचे स्थित होता है। यह हमारे शरीर के प्रमुख अंगों में से एक होते हैं जिन पर हमारे शरीर की अधिकांश गतिविधियां निर्भर होती हैं। हमारी किडनी या हार्मोन बनाने और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही साथ या शरीर में मौजूद कचरों को बाहर निकालने का भी काम करती हैं। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में भी कई उपाय बताए गए हैं। कुछ ऐसे आसान नुस्खे हैं जिनकी मदद से आप अपनी किडनी को डिटॉक्स कर सकते हैं, इससे ना सिर्फ आपकी किडनी अच्छी तरह से काम करेगी बल्कि भविष्य में होने वाले रोगों के होने की संभावनाएं भी कम हो जाएंगी।

क्या किडनी की सफाई जरूरत है

किडनी स्पेशलिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ ने बताया कि जब बॉडी में अतिरिक्त चीजें जैसे, शुगर, नमक, पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम आदि की मात्रा ज्यादा हो जाए तो इससे किडनी पर दबाव पड़ता है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर किडनी जब हेल्दी रहती है और आपने फूड के माध्यम से कुछ ज्यादा चीजें खा ली हैं तो ज्यादा पानी पीकर भी इसे वाश आउट किया जा सकता है. लेकिन कई वजहों से किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. इस स्थिति में किडनी पर टॉक्सिन का ऑवरलोड हो जाता है. यह किडनी के खराब होने की स्थितियों में भी हो सकता है.

किडनी की कैसे करें सफाई

किडनी को हेल्दी रखने के लिए जरूरी है कि किडनी को जिन चीजों से नुकसान पहुंचता है वह चीजें न खाएं. उन्होंने कहा कि अगर किडनी में टॉक्सिन की मात्रा अधिक है तो इसे निकालने के दो ही तरीके हैं. एक तो आप उन चीजों को ले ही न और दूसरा जब ले ली तो इन टॉक्सिक पदार्थों को फ्लश आउट करने वाली चीजों का सेवन करें. किडनी डिटॉक्सीफिकेशन के लिए आंत का हेल्दी होना भी जरूरी है. इसके लिए आंत में गुड बैक्टीरिया का होना आवश्यक है. गुड बैक्टीरिया के लिए प्रोबायोटिक फूड जैसे दही, छाछ आदि का सेवन करें. इससे किडनी की सफाई होती है और शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने नहीं देते. इसके साथ ही मोटा अनाज किडनी, लिवर सहित पूरे पेट की गंदगी की सफाई कर देता है.

क्या-क्या नहीं करना चाहिए

किडनी को मजबूत करने के लिए जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, पैकेज्ड फूड, पोटैशियम रिच फूड, रेड मीट, ज्यादा नमक, ज्यादा चीनी, लोना सॉल्ट बिल्कुल नहीं लेना चाहिए. अगर कोई किडनी से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं तो उसे डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए. हर इंसान के शरीर को अलग-अलग तरह से फूड की जरूरत हो सकती है. इसलिए डॉक्टरों से संपर्क कर डाइट को बैलेंस करें.

गर्म पानी के साथ अदरक और धनिया बीज

किडनी की सफाई के लिए गर्म पानी एक अच्छा विकल्प है। आप 1 लीटर पानी में 5 ग्राम अदरक और 5 ग्राम तक धनिया के बीज को लेकर एक साथ उबाल सकते हैं। इस सामग्री को तब तक उबालना है जब तक 1 लीटर पानी पक कर 10 ग्राम तक ना हो जाए। इसे गुनगुना होने दें और फिर सेवन करें।

नारियल पानी और इलायची

नारियल पानी और इलायची भी किडनी की सफाई में एक बराबर काम करता है। हरे कच्चे नारियल के पानी में इलायची पाउडर डालकर पीना किडनी डिटॉक्स में फायदेमंद हो सकता है। 12ml नारियल पानी में 2 ग्राम इलायची पाउडर डालकर आप सेवन कर सकते हैं।

अगर आप किडनी से जुड़ी किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो इन नुस्खों का प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह ले सकते हैं। क्योंकि यह नुस्खे सिर्फ उन लोगों के लिए है नींद की किडनी स्वस्थ है उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं है।




किडनी इन्फेक्शन के लक्षण

 

किडनी इंफेक्शन से बचने के लिए जरूरी है कि हम इसके शुरुआती लक्षणों को पहचान लें और सेहत के लिए जरूरी सतर्कता को अपना लें। यहां जानें, क्या होते हैं किडनी इंफेक्श के लक्षण...

किडनी में इंफेक्शन होने के कई कारण होते हैं। इनमें अनजाने में गंदा या इंफेक्टेड पानी पी लेना, कुछ ऐसा खा लेना जिसमें हार्मफुल बैक्टीरिया पनप चुके हों और हमें पता ना चला हो। साथ ही कई दवाइयों के खाने से हुआ इंफेक्शन भी किडनी को बीमार बना देता है। यहां जानें जब किडनी में इंफेक्शन हो जाता है तो हमारा शरीर कैसे संकेत देता है...


क्यों होता किडनी इंफेक्शन?

गलत खान-पान के अलावा कई बार ब्लैडर इंफेक्शन और यूरेथ्रा (यूरिन के शरीर से बाहर निकालनेवाली ट्यूब) भी किडनी इंफेक्शन के कारण हो सकते हैं। ऐसे केस में बैक्टीरिया ब्लेडर या यूरेथ्रा में पनपता है और बढ़ते-बढ़ते किडनी तक पहुंच जाता है।

किडनी इंफेक्शन यूटीआई का ही एक पार्ट माना जाता है। लेकिन यह यूटीआई का गंभीर रूप और परिणाम है। इसलिए किडनी इंफेक्शन को 'कॉम्प्लिकेटेड यूटीआई' भी कहा जाता है।

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण या किडनी में इन्फेक्शन के लक्षण, किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य, आयु और संक्रमण की गंभीरता से अत्यधिक प्रभावित हो सकते हैं। कुछ सामान्य किडनी इन्फेक्शन के लक्षण या किडनी में इन्फेक्शन के लक्षण इस प्रकार हैं:

  1. लगातार बुखार के साथ ठंड लगना 
  2. पीठ, फ्लैंक या पेट में दर्द का अनुभव 
  3. बार-बार पेशाब आना 
  4. पेशाब करते समय दर्दनाक जलन होना 
  5. मूत्र में मवाद या खून आना 
  6. मतली और उल्टी आना 
  7. कमज़ोरी और अस्वस्थता का अनुभव 

कुछ केसेस में, पुराने वयस्कों और कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में किडनी में इन्फेक्शन के लक्षण या किडनी इन्फेक्शन के लक्षण कम विशिष्ट या कम गंभीर हो सकते हैं, जिससे निदान के समय अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 

किडनी इंफेक्शन के लक्षण

किडनी में होनेवाले ज्यादातर इंफेक्शन का संकेत हमारा शरीर यूरिन के जरिए देता है। यूरिन का रंग, स्मेल और मात्रा या यूरिन पास करने के दौरान होनेवाली असहजता के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि किडनी में इंफेक्श हो गया है।

लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि किडनी इंफेक्शन के लक्षण केवल यूरिन द्वारा ही पता किए जा सकते हैं। कई बार तेज बुखार और बहुत अधिक सर्दी लगना भी किडनी इंफेक्शन की तरफ इशारा हो सकता है। हालांकि इनके साथ ही अन्य लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं।

कमर दर्द और नोज़िया

कमर के निचले हिस्से में लगातार हल्का या तेज दर्द बना रहना भी किडनी इंफेक्शन का एक लक्षण हो सकता है। हालांकि यूरिन से जुड़ी दिक्कत लगभग हर अन्य लक्षण के साथ दिखाई देती है।

इसके साथ ही व्यक्ति को मन खराब होना, कुछ खाने की इच्छा ना करना, लगातार ऐसा महसूस होना कि अभी उल्टी आ जाएगी...ये सब भी किडनी इंफेक्शन से जुड़े हो सकते हैं।

यूरिन कलर से पहचानें किडनी इंफेक्शन

अगर आपके यूरिन का कलर साफ और ट्रांसपैरंट पानी की तरह ना होकर धुंधला है और इसे पास करते समय आपको स्मेल भी आ रही है तो यह किडनी इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।

यूरिन का रंग हल्का गुलाबी या हल्का लाल लगने पर आपको सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि यूरिन के ऐसे रंग का अर्थ है कि आपके पेशाब के साथ मिलकर बॉडी से ब्लड की कुछ मात्रा आ रही है।

यूरिन का रंग गुलाबी या लाल होना इस तरफ इशारा करता है कि आपके यूरिनरी ट्रैक्ट में ब्लीडिंग यानी खून का रिसाव हो रहा है। इसलिए तुरंत डॉक्टर से बात करें।


लगता है लेकिन यूरिन आता नहीं

यूरिन इंफेक्शन और किडनी इंफेक्शन में यह बहुत ही कॉमन लक्षण है कि इस दौरान व्यक्ति को लगता है कि उसे बहुत तेज यूरिन आ रहा है लेकिन जब वह यूरिन पास करने की कोशिश करता है तो पेशाब नहीं आता। लेकिन पेशाब आने के प्रेशर का अहसास लगातार होता रहता है।

यदि कुछ लोगों को बार-बार अहसास होने के बाद पेशाब आता भी है तो इसकी मात्रा बहुत कम होती है और पेशाब करते समय तेज जलन और चुभन होने की समस्या होती है।

पेल्विक एरिया में दर्द

पेल्विक बोन के ऊपर हिस्सा पेल्विक एरिया कहलाता है। यानी आपकी नाभि के नीचे और प्राइवेट पार्ट के बीच का हिस्सा। जहां शरीर का ऊपरी हिस्सा शरीर के निचले हिस्से के साथ जुड़ता है।

किडनी इंफेक्शन होने की स्थिति में व्यक्ति को पेल्विक एरिया में दर्द हो सकता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है तेज भी। कुछ लोगों को यह दर्द अचानक उठता है जबकि कुछ में इंफेक्शन होने के बाद लगातार बना रह सकता है।


किडनी इंफेक्शन का इलाज

किडनी इंफेक्शन का इलाज आपको डॉक्टर से ही कराना चाहिए बजाय इसके कि आप मेडिकल से दवाइयां लेकर खाएं या घरेलू नुस्खे अपनाएं। क्योंकि आपकी स्थिति कितनी गंभीर है यह डॉक्टर ही बता सकते हैं।

कुछ लोगों की स्थिति किडनी इंफेक्शन के चलते इतनी गंभीर भी हो सकती है कि उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़े। जबकि ज्यादातर लोगों को प्राइमरी चेकअप के बाद दवाएं देकर घर भेज दिया जाता है।

आमतौर पर किडनी इंफेक्शन की दवाएं एक सप्ताह तक चलती हैं और व्यक्ति पूरी तरह ठीक हो जाता है। हालांकि कुछ केस में इसका वक्त बढ़ सकता है। यदि किडनी इंफेक्शन का समय पर इलाज ना कराया जाए तो यह जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।

किडनी के लिए कौन सा व्यायाम करना चाहिए?

 टहलना या वाकिंग करना हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है. इससे किडनी से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो सकती हैं. रोजाना कम से कम आधा घंटा टहलना चाहिए.हमारे शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों में एक है किडनी, जो शरीर में फिल्टर का काम करती है. हम जो भी कुछ खाते हैं, उसमें से पोषक तत्वों के साथ हानिकारक तत्व होते हैं, जिन्हें किडनी खून से हानिकारक पदार्थों को फिल्टर करता है और पेशाब के माध्यम शरीर से बाहर निकाल देता है. इसके अलावा, किडनी ब्लड प्रेशर और शरीर के अन्य रसायनों के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है.

हालांकि, आजकल की लाइफस्टाइल और खराब खान-पान के चलते किडनी की सेहत खराब हो सकती है और इससे जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती है. इसमें किडनी में सूजन, कमजोर होना, डैमेज जैसी समस्याएं शामिल हैं. किडनी की अच्छी सेहत के लिए अच्छा खानपान के साथ व्यायाम भी जरूरी है. हाई बीपी और डायबिटीज के मरीजों में किडनी खराब होने का चांस ज्यादा रहता है. आइए जानते हैं कुछ एक्सरसाइज के बारे में, जिससे किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है.


वॉकिंग
टहलना या वाकिंग करना हमारी सेहत के लिए अच्छा होता है. इससे किडनी से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो सकती हैं. रोजाना कम से कम आधा घंटा टहलना चाहिए. वॉक करने से दिल से जुड़ी समस्याएं को भी दूर किया जा सकता है. टहलने से शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है.

स्विमिंग
एक्सपर्ट के मुताबिक, किडनी की सेहत के लिए स्विमिंग को एक अच्छी एक्सरसाइज मानी जाती है. स्विमिंग से मेटाबॉलिज्म और किडनी में सूजन को कम किया जा सकता है.

साइकिलिंग
वाकिंग और स्विमिंग के अलावा, साइकिलिंग से भी किडनी की सेहत अच्छी की जा सकती है. डायलिसिस कराने वाले लोग भी साइकिलिंग कर सकते हैं. साइकिलिंग करने से मोटापा व अन्य बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है. इससे मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं.


भुजंगासन

भुजंगासन जिसे कोबरा पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के रोजाना अभ्यास से किडनी स्टोन से राहत मिलती है। यह किडनी को स्ट्रेच करता है और ब्लॉकेज को साफ करता है। फर्श पर सपाट लेट जाएं। दोनों हाथों को शरीर के पास रखें, हथेलियां फर्श के संपर्क में हों और कोहनियां कूल्हों को स्पर्श करें। गहरी सांस लें, शरीर के ऊपरी हिस्से को जमीन से ऊपर उठाएं, पीछे की ओर झुकें और दोनों हाथों का उपयोग करके संतुलन बनाएं। इस मुद्रा को 15 से 30 सेकेंड तक बनाए रखें, फिर सांस छोड़ें और प्रारंभिक सपाट स्थिति में वापस फर्श पर आ जाएं।

सेतु बंधासन 

पीठ के बल सीधे लेटकर आसन की शुरुआत करें। अब अपने घुटनों और कोहनियों को मोड़ें। अपने पैरों को फर्श पर कूल्हों के पास और अपने हाथों को सिर के दोनों ओर मजबूती से रखें। अपने दोनों हाथों और पैरों को जमीन पर सहारा देते हुए धीरे-धीरे अपने शरीर को हवा में ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस धनुषाकार मुद्रा को 20-30 सेकंड के लिए पकड़ें और धीरे-धीरे अपने शरीर को एक खड़ी मुद्रा में लाएं।


पश्चिमोत्तानासन 

एक समतल, समतल सतह पर फर्श पर बैठ जाएं। दोनों पैरों को पूरी तरह आगे की ओर तानें, पैरों को सीधे ऊपर की ओर इशारा करते हुए। गहरी सांस लें और दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं। फिर सांस छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर मोड़ें और घुटनों को छूने की कोशिश करें, रीढ़ की एक आरामदायक मुद्रा बनाए रखें। दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी से बड़े पैर की उंगलियों को पकड़ें। इस मुद्रा में 10 सेकेंड तक रहें, फिर धीरे-धीरे हाथों को छोड़ दें, धड़ को ऊपर उठाएं और वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।


नौकासन 

पीठ को नीचे की ओर करके जमीन पर सपाट लेटकर शुरुआत करें। दोनों भुजाओं को शरीर के दोनों ओर रखें। श्वास पैटर्न को नियंत्रित करने के लिए कुछ चक्रों के लिए धीरे-धीरे श्वास लें और छोड़ें। फिर दोनों पैरों को ऊपर उठाते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को जमीन से ऊपर उठाएं।दोनों हाथों को शरीर और घुटनों के बीच फैलाकर सीधे आगे की ओर रखें। बेहतर मांसपेशियों के लचीलेपन और संतुलन को प्राप्त करने के लिए कम से कम 5 मिनट के लिए नाव की तरह इस स्थिति में रहें। सांस छोड़ते हुए शरीर को आराम दें, धीरे-धीरे इसे वापस जमीन पर लाएं। नौकासन का नियमित रूप से अभ्यास करते हुए, इस अभ्यास के अधिकतम लाभ प्राप्त करने और शरीर में रक्त परिसंचरण में काफी सुधार करने के लिए नाव की मुद्रा को 5 मिनट से बढ़ाकर 20 मिनट करें।



सुप्त बद्धकोणासन

फर्श पर सपाट लेट जाएं। धीरे से अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों को अपने दोनों पैरों के बाहरी किनारों के साथ फर्श पर लाएं। लेटने की स्थिति में, अपनी एड़ी को अपने कमर के करीब लाने की कोशिश करें। आप अपनी भुजाओं को बगल में, अपनी जघों पर टिका कर रख सकते हैं या उन्हें अपना सिर ऊपर उठाकर जोड़ सकते हैं। अब पूरे आसन के दौरान स्वाभाविक रूप से सांस लेते हुए 1-2 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें। मुद्रा से बाहर निकलने के लिए, धीरे-धीरे अपने घुटनों को सीधा करें, एक तरफ मुड़ें और फिर धीरे-धीरे उठें।



“देश भर में किडनी केयर एंड मैनेजमेंट  के लिए  स्पेशल न्यूट्रीशनिस्ट  के रूप में काम कर रही एफबोटे कहती हैं, “ मेरा सुझाव है कि शारीरिक गतिविधियों को गुर्दे की बीमारी वाले रोगियों की  ​​​​देखभाल में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए।

किसी भी शारीरिक गतिविधि से पहले अपने नेफ्रोलॉजिस्ट से बात करना अनिवार्य है जो यह बताएं कि आप कौन से व्यायाम सुरक्षित रूप से कर सकते हैं और आपके द्वारा की जाने वाली शारीरिक गतिविधि की समय सीमा क्या होनी चाहिए। यदि आप किडनी संबंधी या अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार इसे धीरे-धीरे शुरू करें और फिर अवधि और इंटेंसिटी बढ़ाएं। किसी भी चीज़ की अति से बचें। अगर आपको बेचैनी, अत्यधिक थकान, सांस फूलना आदि जैसे लक्षण महसूस हों तो तुरंत रुक जाएं।


 


डायलिसिस से बचने के उपाय

 देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें बड़ी संख्या में बच्चे भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 15 वर्षो में, देश में गुर्दो की तकलीफों वाले मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। यह एक चिंता की बात है कि देश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इनमें काफी सारे बच्चे भी शामिल हैं।


किडनी के पूरी तरह स्वस्थ करने के लिए और डायलिसिस को समाप्त करने के लिए आयुर्वेद के द्वारा कई प्रकार के योग व उपचार से साथ ही कुछ सुझाव भी दिए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार जडी बूटियों, योग, ध्यान और मालिश के द्वारा शरीर को नियमित रूप से डिटॉक्स करना बहुत आवश्यक है, जिससे शरीर में रक्त संचार बेहतर हो सके, पारंपरिक आयुर्वेदिक डिटॉक्स सिद्धांत में कई प्रकार की जड़ी-बूटियांं, सप्लीमेंट्स, पर्ज, एनीमा (जिसका उपयोग आंतों की सफाई के लिए किया जाता है) व स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, भारत में किडनी की बीमारियों पर अभी भी अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण है कि इस रोग की ठीक से जांच नहीं हो पाती। गंभीर गुर्दा रोग होने पर, कुछ वर्षो में आहिस्ता-आहिस्ता गुर्दो की कार्यप्रणाली मंद होने लगती है और अंतत: गुर्दे एकदम से काम करना बंद कर देते हैं। इस रोग की अक्सर जांच नहीं हो पाती और लोग तब जागते हैं जब उनके गुर्दे 25 प्रतिशत तक काम करना बंद कर चुके होते हैं।

इस रोग का पता तब चलता है जब रोग तेजी से बढ़ने लगता है। हालांकि, एक बार गुर्दे खराब हो जाने के बाद उन्हें ठीक कर पाना संभव नहीं होता। परेशानी बढ़ने पर, शरीर के अंदर बार बार विषाक्त कचरा एकत्रित होने लगता है।

आइए जानते हैं आयुर्वेद के माध्यम से आप न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि किडनी रोगियों के लिए यह डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण से भी बचाता है। किडनी रोगियों के लिए आयुर्वेदिक उपचार सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।


1-पेन किलर लेने से बचें

किडनी रोगियों को दर्द निवारक दवाओं, सूजन-रोधी दवाओं, नींद की गोलियों आदि दवाओं का ज्यादा उपयोग न करें और खुद से कोई भी दवा लेने से बचें।

2- सीफूड लें

अपने आहार में समुद्री भोजन, अचार, पापड़ जैसे सोडियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। इसके अलावा, अपने प्रोटीन सेवन को नियंत्रित करें और लाल मांस, डेयरी उत्पाद, मशरूम, पालक आदि से बचें। अनाज, सब्जियों और फलों के कम प्रोटीन स्रोतों का विकल्प चुनें।

3-पोटेशियम फूड्स लें

अपनी डाइट में या फिर आपको ऐसे फूड्स का सेवन करना है, जिसमें पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें, इसके बजाय कम पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ जैसे सेब, पपीता, मूली, और गाजर खाएं।

4-फैटी फूड्स न लें

आपको किडनी को हेल्दी रखने के लिए फैटी फूड्स, पैकेट बंद खाद्य पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, बेकरी आइटम और पुराने खाद्य पदार्थो सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है। आप इसके बजाए ताजा खाना खाएं।

5-इन बीमारियों पर रखें नजर

ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर लेवन और शरीर के वजन को नियंत्रित करके अपने महत्वपूर्ण अंगों की देखरेख करें, समय समय पर स्वास्थ्य का ध्यान रखें, साथ ही धूम्रपान और शराब के सेवन से आप किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं।


किडनी रोगों में सहायक टिप्स

- सक्रिय जीवन : टहलने, दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी गतिविधियों से गुर्दो की बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है।

- फास्टिंग शुगर 80 एमबी से कम रहे: मधुमेह होने पर गुर्दे खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। इसकी समय रहते जांच करा लेनी चाहिए।

- बीपी 80 एमएम एचजी से कम रहे: उच्च रक्तचाप गुर्दो के लिए घातक हो सकता है, उसे नियंत्रण मंे रखें।

- कमर का साइज 80 सेमी से कम रखें : अच्छा भोजन लें और वजन को नियंत्रण में रखें। इससे मधुमेह दूर रहेगा, दिल की बीमारियां नहीं होंगी और किडनी की परेशानियां भी नहीं होंगी।

- नमक कम खाएं: प्रतिदिन एक व्यक्ति को बस 5-6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। डिब्बाबंद भोजन और होटल के खाने में नमक अधिक रहता है।

- पानी खूब पिएं: प्रतिदिन कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पिएं। इससे किडनी को सोडियम साफ करने में मदद मिलती है। यूरिया और विषैले पदार्थ भी बाहर निकलते रहते हैं।

- धूम्रपान न करें : धूम्रपान से गुर्दो को पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह कम होता जाता है और गुर्दो के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।

अपनी किडनी को डिटॉक्स करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

 हमारा शरीर कई तरह के टॉक्सिन्स को फिल्टर और बाहर निकालने का काम करता है, जिसमें सबसे अहम भूमिका किडनी निभाती है। किडनी हमारे खून को साफ कर...